रायपुर। छत्तीसगढ़ में सिकल सेल की जांच पॉइंट ऑफ केयर जांच तकनीक से होगी। बताया जा रहा है कि ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य हाेगा। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टीएस सिंहदेव ने आज पांच जिलों के लिए इसके पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की।

यह पायलट प्रोजेक्ट दुर्ग, सरगुजा, दंतेवाड़ा, कोरबा और महासमुंद जिलों में चलेगा। स्वास्थ्य कर्मियों को इस तरह की जांच के लिए प्रशिक्षण इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च, मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनो हिमेटोलॉजी के विशेषज्ञ दे रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि आज के समय में सिकल सेल असाध्य रोग नहीं रहा। ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जिससे सिकल सेल का मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन, इसके लिए रोग की पहचान जरूरी है। आज से शुरू हो रही परियोजना जांच को आसान बनाकर बीमारी की जांच को सरल बनाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि रोग की पहचान शीघ्र होने से इलाज भी शीघ्र शुरू हो पाएगा।

छत्तीसगढ़ में 10 प्रतिशत आबादी है प्रभावित

छत्तीसगढ़ में एक सिकल सेल संस्थान बना हुआ है। लेकिन, अभी तक इसके जांच की सुविधा शहर के बड़े अस्पतालों और जिला अस्पतालों में ही उपलब्ध थी। नई तकनीक से गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी जांच की जा सकती है। एक सर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा इस रोग की चपेट में है। कुछ समुदायों में यह 30 प्रतिशत तक है।

दो वर्षों से चल रही थी स्क्रीनिंग

पिछले दो वर्षों से सिकलसेल के संदिग्ध मरीजों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग की गई है। स्क्रीनिंग में 1 लाख 3 हजार बच्चों को सिकलसेल के संदिग्ध मामलों के रूप में पहचाना गया है।

क्या है सिकलसेल रोग

सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है। सामान्य रूप में हमारे शरीर में लाल रक्त कण प्लेट की तरह चपटे और गोल होते हैं। यह रक्त वाहिकाओं में आसानी से आवाजाही कर पाते हैं लेकिन यदि जीन असामान्य हैं तो इसके कारण लाल रक्त कण प्लेट की तरह गोल न होकर अर्धचंद्राकार रूप में दिखाई देते हैं। इस वजह से यह रक्त वाहिकाओं में ठीक तरह से आवागमन नहीं कर पाते हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके कारण मरीज को एनीमिया की समस्या होती है।

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