टीआरपी न्यूज़। इस बार किताबों का कागज बीते बरसों के मुकाबले बेहतर रहेगा ताकि सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी अधिक सफेद कागज पर छपी किताबें मिलें। इसके साथ-साथ इस कागज में पारदर्शिता भी कम रहेगी। ये बयान है छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी का। लेकिन ठहरिये… ये सब वाकई में इतना भी पारदर्शी नहीं है। छत्तीसगढ़ शासन में कागज के नाम पर बहुत बड़ा खेल हो रहा है।

राष्ट्रीय मानकों को भी दरकिनार कर दिया गया

बात की गंभीरता को ऐसे भी समझा जा सकता है कि कागज छपाई के लिए तय किये गए राष्ट्रीय मानकों को भी दरकिनार कर दिया गया है। जी हाँ, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में हो रहे भ्रष्टाचार की दूसरी कड़ी में आज हम बताने जा रहे हैं कि कैसे राष्ट्रीय मानकों से परे जा कर चहेती कंपनियों को काम दे दिया गया।

ऐसे समझिये पाठ्यपुस्तक निगम का सारा खेल

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि इस वर्ष कागज खरीदी में पिछले बरस तक के 85 फीसदी ब्राइटनेस की तुलना में 90 फीसदी ब्राइटनेस, और 80 फीसदी ओपेसिटी के मुकाबले 90 फीसदी ओपेसिटी का कागज लिया जा रहा है। और इसी एक लाइन में सारा खेल हुआ है। दरअसल, राष्ट्रीय मानक BIS के मुताबिक पाठ्य पुस्तकों के कागज की चमक 85 फीसदी और उसकी पारदर्शिता को 80 फीसदी तय किया गया है। इसलिए अधिकतर कंपनियों की मशीनरी भी इसी आधार पर कागज उत्पादन के लिए तैयार की गयी है। अब राष्ट्रीय मानकों को दरकिनार करते हुए कुछ खास लोगों को काम देने छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने ब्राइटनेस को 85 से बढाकर 90 और ओपेसिटी यानि पारदर्शिता को 80 से बढाकर 90 फीसदी कर दिया है। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में टेंडर की तारीख निकलने के बाद CGGST को अनिवार्य करने के बाद अब ये गड़बड़ी सामने आ रही है। इसके अलावा जल्द ही टीआरपी न्यूज़ छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की एक और आर्थिक गड़बड़ी को सामने लाने वाला है।

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