रायपुर। कांग्रेस पार्टी ने दुर्ग के सांसद विजय बघेल पर निर्वाचन के दौरान नामांकन पत्र के साथ शपथ पत्र में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया है। प्रदेश कांग्रेस ने दस्तावेज जारी कर खुलासा किया है कि बघेल पहले साढ़े 3 एकड़ कृषि भूमि बताकर धान बेचते रहे।

पिछले दो साल से बेच रहे हैं धान

मगर पिछले दो साल से साढ़े 17 एकड़ कृषि भूमि से उपार्जित धान बेच रहे हैं, और उन्होंने राजीव गांधी न्याय योजना का फायदा भी उठाया। कांग्रेस ने बघेल की सदस्यता खत्म करने की मांग की है। कांग्रस के संचार विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी और उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन ने राजीव भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि धान खरीद के आंकड़े निकालने से कई खुलासे हो रहे हैं।

निर्वाचन नामांकन पत्र के साथ शपथ पत्र में भी गलत जानकारी

उन्होंने बताया कि भाजपा सांसदों ने कभी भी छत्तीसगढ़ का पक्ष केन्द्र सरकार के सामने नहीं रखा, अलबत्ता निर्वाचन नामांकन पत्र के साथ दिए गए शपथ पत्र में भी गलत जानकारी भरते रहे, जिसकी शिकायत दुर्ग लोकसभा के मतदाता अश्वनी साहू ने की है। साहू तीन बार ग्राम पतोरा के सरपंच रहे, और साहू संघ के अध्यक्ष हैं। वे पाटन ब्लॉक के कांग्रेस की जोन कमेटी के प्रमुख भी हैं।

कांग्रेस नेताओं ने बघेल के नामांकन पत्र के साथ दिए गए शपथ पत्र का ब्यौरा देते हुए बताया कि विजय बघेल जिला दुर्ग के ग्राम उरला के निवासी है जो वर्तमान में भिलाई में निवासरत है। विधानसभा चुनाव 2008 में पाटन से भाजपा प्रत्याशी के रूप में भरे गये नाम निर्देशन पत्र में कृषि भूमि 1.35 हेक्टेयर ग्राम उरला पाटन तथा 0.708 हेक्टेयर ग्राम जंजगिरी धमधा में बताई गई थी। विजय बघेल ने विधानसभा चुनाव 2013 में पाटन से भाजपा प्रत्याशी के रूप में भरे गये नाम निर्देशन पत्र में कृषि भूमि 1.35 एकड़ और 0.708 एकड़ दर्शाई गयी है। लोकसभा चुनाव 2019 में लोकसभा क्षेत्र दुर्ग से भरे गए नाम निर्देशन पत्र में कृषि भूमि 1.35 एकड़ ग्राम उरला पाटन तथा 0.708 एकड़ ग्राम जंजगिरी धमधा में बताई गई है। विजय बघेल प्रति वर्ष शासन की धान खरीदी प्रक्रिया में धान बेचते आए है, तथा पात्रतानुसार धान का समर्थन मूल्य, बोनस तथा राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ उठाया है।

2017-18 में विजय बघेल ने 3.33 एकड़ भूमि का 49.6 क्विंटल धान बेचा था। जबकि 2018-19 में 253.6 क्विंटल धान बेचा था जिसका रकबा 6.86 हेक्टेयर (16.95 एकड़) था। यानी 2017-18 से 2018-19 के बीच इनकी जमीन 13.62 एकड़ बढ़ चुकी थी। इसका अर्थ है कि 31 जनवरी 2019 के पूर्व विजय बघेल के पास कुल 16.95 एकड़ भूमि थी।

विजय बघेल की लोकसभा सदस्यता की जाए समाप्त

कांग्रेस नेताओं ने बताया कि चुनाव लड़ने के समय विजय बघेल के नाम पर इससे कहीं ज्यादा भूमि स्वयं के नाम पर तथा संयुक्त नाम से थी, उन्होंने अपनी काफी भूमि को नामांकन पत्र में नहीं दर्शाया था। विजय बघेल द्वारा उरला पाटन की भूमि विरासत में मिली होना तथा जंजगिरी धमधा की भूमि सन 2005 के पूर्व स्व अर्जित करना लेख किया गया था। इन्होंने हिंदू अविभाजित परिवार के नाम पर कोई भी कृषि भूमि नहीं होना बताया है।

इसकी जानकारी देते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिये विजय बघेल की लोकसभा सदस्यता समाप्त की जाए, और जरूरी वैधानिक कार्यवाही कर भविष्य में चुनाव लडऩे पर रोक लगाई जाए। साथ ही भाजपा के लोकसभा सदस्य विजय बघेल ने अपनी घोषित कृषि भूमि के अतिरिक्त भूमि से जो भी राशि प्राप्त की है धान बिक्री से, बोनस और राजीव गांधी न्याय योजना से, उसे शासकीय कोष में जमा करें।

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