टीआरपी डेस्क। देश में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में पेड़ों की सुरक्षा के लिए उनका आर्थिक मूल्यांकन तय किया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक रिपोर्ट पेश किया जिसमें पेड़ों के उम्र के हिसाब से कीमत बताई गई है। इसके साथ ही इसमें पेड़ की सभी चीजों को मिलाकर कीमत आंकी गई है। इनमें पेड़ से मिलने वाली ऑक्सीजन की कीमत भी जोड़ी गई है।

पेड़ काटने की मनाही, वृक्ष परियोजना से अधिक लाभदायक

दरअसल, पश्चिम बंगाल में ओवरब्रिज बनाने के लिए 300 पेड़ काटे जा रहे थे। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मांगी गयी थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपा है। रिपोर्ट के अनुसार ओवरब्रिज के निर्माण की वजह से काटे जा रहे पेड़ों की कीमत 2.2 अरब रुपये बताई गयी है।

समिति का कहना है कि जिंदा वृक्ष परियोजना से ज्यादा लाभदायक है। धरोहर वृक्ष बड़ा पेड़ होता है जिसे परिपक्व होने में दशकों या सदियों लग जाते हैं।

इन आधारों पर तय होगी पेड़ों की कीमत

पर्यावरण विशेषज्ञों की इस समिति ने पेड़ की बची हुई उम्र, ऑक्सीजन, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स, कंपोस्ट और अन्य जैव उर्वरक सहित कई कारकों के आधार पर किया है। समिति ने बताया कि किसी पेड़ की कीमत सिर्फ उसकी लकड़ी के आधार पर नहीं तय की जा सकती है। लकड़ी के अलावा भी कई चीजें हैं, जिनकी कीमत लगाई जा सकती है।

पेड़ जितना पुराना होगा, उसकी कीमत उतनी ही अधिक होगी

समिति के अनुसार, एक पेड़ का आर्थिक मूल्‍य एक साल में 74,500 रुपये हो सकता है। पेड़ जितना पुराना होगा, उसके मूल्‍य में हर साल 74,500 रुपये से गुणा किया जाना चाहिए। समिति का कहना है कि 100 साल पुराने एक हैरिटेज वृक्ष की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। इसमें ऑक्‍सीजन की कीमत 45,000 रुपये जबकि जैव-उर्वरकों की कीमत 20,000 रुपये होती है। इसके अलावा बची हुई कीमत लकड़ी की मानी जा सकती है।

आपको बता दें, यह ओवरब्रिज ‘सेतु भारतम मेगा परियोजना’ का हिस्सा हैं जिसका वित्त पोषण केंद्र सरकार कर रही है। इसमें देश के 19 राज्यों में 208 रेल ओवर और अंडर ब्रिज बनना है। इसके लिए 20,800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।

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