रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर टीआरपी न्यूज़ ने लगातार खबरें प्रकाशित की हैं। हाल ही में पाठ्य पुस्तक निगम की एक और गलती या गैर जरूरत खर्च को लेकर लापरवाही सामने आ रही है। दरअसल, बिना किसी मांग के पेपर की ब्राइटनेस को आधार बनाकर छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम ने सरकार को करीब 27 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है।

ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि पूरे देश में कहीं भी 90 प्रतिशत ओपेसिटी का कागज इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है तो फिर छत्तीसगढ़ में ही इसकी जरूरत क्यों महसूस की गई। साथ ही 80 की जगह 90% ब्राइटनेस को बढ़ाया गया है जबकि इसके लिए कोई अलग से मांग नहीं की गई थी।

बता दें कि इससे पूर्व वर्षों में 85 प्रतिशत ब्राइटनेस की निविदा निकाली गई थी और BIS में 80 प्रतिशत है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि अचानक ही 90 प्रतिशत ब्राइटेनस की निविदा क्यों निकाली गई। बता दें कि पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा 11 हजार टन पेपर के लिए निविदा निकाली गई है। इसके लिए जीएसटी क्लियरेंस 50 हजार टन से बढ़ाकर 60 हजार टन कर दिया गया।
विभाग ने नहीं लिया बाजार भाव
टीआरपी के पास टेंडर दिनांक के अंतिम दिन का बाजार भाव उपलब्ध है। जो 45-48 रु/किग्रा है। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा इस टेंडर को लेकर किसी प्रकार का सर्वे नहीं किया गया। न ही मौजूदा बाजार भाव टेंडर निकालने से पहले लिए गए। जो अपने आप में ही एक बड़ा सवाल है।
ऐसे समझिये मामले को
वर्तमान में जिस फर्म से छत्तीसगढ़ कागज ले रही है उसी से मध्यप्रदेश और ओडिशा भी कागज ले रहे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ की दरों में भारी अंतर दिखाई दे रहा है। इसके लिए कारण बताया जा रहा है बढ़ी हुई ओपेसिटी और ब्राइटनेस को जबकि इसकी कोई ख़ास मांग नहीं की गयी थी। लेकिन इसी अंतर के कारण छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार को 27 करोड़ का अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ रहा है।
क्रमांक | राज्य | कीमत ( Per kg with Tax ) |
1. | पश्चिम बंगाल | 48 रुपये |
2. | ओडिशा | 58 रुपये |
3. | मध्यप्रदेश | 60 रुपये |
4. | छत्तीसगढ़ | 73 रुपये |
शुरू से देखिये पूरे मामले की गड़बड़ी को
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