नाबालिग दंपती के गुनाह की सजा 4 महीने का मासूम न भुगते, इसलिए सबूत होते हुए भी आरोपी पिता हुआ बरी... बिहार कोर्ट ने लिया मानवीय आधार पर फैसला
नाबालिग दंपती के गुनाह की सजा 4 महीने का मासूम न भुगते, इसलिए सबूत होते हुए भी आरोपी पिता हुआ बरी... बिहार कोर्ट ने लिया मानवीय आधार पर फैसला

टीआरपी डेस्क। किशोर न्याय परिषद बिहार के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। नाबालिग लड़की को भगाकर शादी करने व शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी नाबालिग को सबूत रहते बरी कर दिया। साथ ही नाबालिग दंपती को साथ रहने का आदेश भी दिया। अप्रैल 2019 में दोनों ने घर से भागकर शादी की थी। तक लड़के की उम्र करीब 17 साल और लड़की की उम्र 16 साल थी।

नजीर नहीं बनेगा यह फैसला

दोनों के नाबालिग रहने के कारण यह शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं है। किशोर को सजा हो सकती थी, लेकिन जज ने कहा है कि लड़की और उसके चार महीने के बच्चे के हित को देखते हुए यह आदेश दिया है। कोई पक्षकार दूसरे केस में ऐसे अपराध की गंभीरता कम करने के लिए इस फैसले का नजीर के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।

कोर्ट ने इन वजहों से नाबालिग आरोपी को बरी किया

  • नाबालिग मां-बाप काे अगर सजा दी जाती ताे बच्चे का पालन-पोषण और संरक्षण ही नहीं, एक साथ तीन जिंदगियां प्रभावित होंगी।
  • कोर्ट को आशंका भी थी कि इस मामले में ऑनर किलिंग हो सकती है और बच्चे की जान भी खतरे में पड़ सकती थी।
  • लड़की के पिता इस शादी से नाखुश थे। उन्हें बेटी को साथ ले जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
  • लड़के को सजा देने पर उसके माता-पिता भी लड़की और बच्चे को साथ रखने से मना कर सकते थे।
  • किशोरी को कोई अन्य व्यक्ति भी नहीं अपना सकता था क्योंकि वह एक बच्चे की मां बन चुकी थी।
  • माता-पिता ने लोक-लाज के भय से पहले ही अपनाने से इनकार कर दिया था।

कुल 5 लोगों को आरोपी बनाया गया था

लड़की के पिता ने लड़के के अलावा उसके माता-पिता और दो बहनाें काे आराेपी बनाया था। हालांकि, जांच के बाद सिर्फ लड़के के खिलाफ आरोप पत्र दिया था। अगस्त 2019 को किशोरी ने कोर्ट में बयान दर्ज कराया था कि वह अपनी मर्जी से लड़के के साथ भागी थी और शादी की थी।

3 से 10 साल तक की सजा हो सकती थी

लड़के पर धारा 366ए के तहत नाबालिग लड़की को भगाकर ले जाने और शारीरिक संबंध बनाने जैसे गंभीर आरोप थे। ऐसे में उसे 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती थी। लड़की को नारी निकेतन भेजना पड़ता। इसका असर बच्चे की देखरेख पर भी पड़ता।

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