टीआरपी डेस्क। ऑस्ट्रेलिया में कोरोना वायरस का कोई खास असर नहीं दिख रहा है। यहां बीते साल 18 मार्च तक 113 केस हो गए थे। 20 मार्च को प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने लॉकडाउन की सलाह नहीं दी थी। सभी फ्लाइट्स बंद कर दी गई। बंदरगाह बंद कर दिए गए। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस भी बंद कर दिए गए। वर्क फ्रॉम होम का आदेश दिया गया। रेस्त्रां, होटल, अस्पताल, केमिस्ट, ग्रॉसरी जैसी जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी सार्वजनिक स्थल बंद कर दिए गए।

मई 2020 आते-आते ऑस्ट्रेलिया को समझ में आ चुका था कि आने वाले समय में वेंटिलेटर्स की कमी पड़ सकती है लिहाजा 5500 वेंटिलेटर्स मंगाए। हालांकि इन वेंटिलेटर्स की जरूरत आज तक नहीं पड़ी। जून में ढिलाई देने पर मेलबर्न में स्थिति बिगड़ी। फिर संक्रमण रुकने तक मेलबर्न समेत पूरे विक्टोरिया में 111 दिन सख्त लॉकडाउन रहा। इस साल जनवरी के आखिरी में मामले बढ़े तो 11 फरवरी को फिर 5 दिन का लॉकडाउन लगाया।
अब जहां मामले मिल रहे हैं, सिर्फ उन जगहों को सील किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने कैसे संक्रमण पर काबू पाया, इस पर मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. व्योम शर्मा कहते हैं, ‘यहां सरकार और लोगों ने कभी माना ही नहीं कि कोरोना से छुटकारा पा लिया। अब तक लोग नियमों का कड़ाई से पालन कर रहे हैं।’ नतीजा ढाई करोड़ आबादी वाले इस देश में 257 एक्टिव केस हैं। कुल 29,725 केस आ चुके हैं। 910 मौतें हुईं हैं। 19 लाख लोगों को कोविड की वैक्सीन लग चुकी है।
ऑस्ट्रेलिया मॉडल: इन 6 प्वाइंट में ऑस्ट्रेलिया ने इस तरह संक्रमण रोका और इकोनॉमी बचाई
जॉब कीपर और जॉब सीकरः छंटनी से बचाने निजी कर्मियों, बेरोजगारों के लिए खोला खजाना
लॉकडाउन से नौकरियां जाने लगी तो सरकार आगे आई। 50% से अधिक घाटा झेलने वाली कंपनियों को छंटनी न करने की हिदायत दी। साथ ही निजी कंपनियों के हर कर्मचारी को हर महीने 1.70 लाख रुपए दिए। 5 लाख बेरोजगारों का भत्ता दोगुना बढ़ाकर 1.2 लाख रुपए कर दिया। ताकि काम के लिए ये न निकलें।
हेल्थकेयरः मार्च में 100 कोविड क्लिनिक हॉस्पिटल के लिए 15 हजार करोड़ रुपए जारी किए
मार्च 2020 में ही 100 कोविड क्लिनिक के लिए 15 हजार करोड़ रुपए जारी किए गए। इन अस्पतालों को बनाने के पीछे मकसद यह था कि कोविड लक्षण वाले मरीज सीधे अस्पताल न जा कर इन क्लिनिक्स में जांच करवाएं, इससे इंफेक्शन का संक्रमण दूसरे मेडिकल संस्थानों में फैलने से रोका जा सकता था।
आइसोलेशन और टेस्ट के एवज में पैसा दिया, ताकि काम से छुट्टी लेने पर नुकसान न हो
ऑस्ट्रेलिया में हेल्थ केयर फ्री है। टेस्ट से लेकर इलाज तक फ्री किया गया। यही नहीं, जो लोग कच्ची नौकरी कर रहे थे और टेस्ट के लिए छुट्टी लेने पर पगार कटने के डर था कि उन्हें टेस्ट करवाने की एवज में 14 हजार रुपए दिए गए। 14 दिन अगर आइसोलेशन में जाना पड़ा, तक 86 हजार रुपए दिए गए।
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, सीवरेज सैंपलः संक्रमित व्यक्ति की 14 दिनों की हिस्ट्री खंगाली जाती है
संक्रमित के मिलते ही 14 दिनों की हिस्ट्री खंगाली जाती है। वह कहां-कहां गया, कहां कितने समय रहा, सम्पर्क में कौन-कौन आया। यह सब सूचना जनता को दी जा रही है। सीवरेज प्लांट्स में सैंपल लिए जा रहे हैं। जैसे ही किसी सैंपल में कोविड का अंश दिखता है, तो उस इलाकों को अलर्ट करते हैं।
ढिलाई के बाद मेलबर्न में 800 बुजुर्गों की मौत, फिर सबसे लंबा और सख्त लॉकडाउन लगा
जून में ढिलाई दी गई तो संक्रमण से 800 बुजुर्गों की मौत हो गई। फिर जुलाई में मेलबर्न समेत पूरे विक्टोरिया राज्य में सख्त लॉकडाउन लगा। राशन लेने भी घर से एक ही व्यक्ति जा सकता था। नियम तोड़ने वालों पर 10 लाख रु. जुर्माना लगाया गया। दिसंबर तक संक्रमण काबू में आया व लॉकडाउन हट गया।
प्रोत्साहनः सरकार घूमने और बच्चों को खेल से जोड़ने के लिए 12-12 हजार रुपए दे रही
इकोनॉमी बूस्ट करने के लिए राज्य सरकारें कई स्कीम लाई है। जनवरी से सैर-सपाटे पर जाने के लिए 200 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 12 हजार रुपए) दे रही है बशर्ते वह 400 डॉलर क्षेत्रीय इलाकों में खर्च करे। बच्चों को खेल से दोबारा जोड़ने के लिए प्रति बच्चा 200 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर विक्टोरिया राज्य दे रही है।
अपनी पूरी अर्थव्यवस्था को दांव पर लगा दिया
मोनाश यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स विभाग के प्रोफेसर विनोद मिश्रा कहते हैं ऑस्ट्रेलिया ने इकोनॉमी की जगह लोगों को बचाने का फैसला लिया। इसी फैसले ने हमें फिर से खड़ा किया। लोगों को घर बैठे पैसा दिया। बड़ी कंपनियों, छोटे कारोबारियों और दुकानदारों को 1.1 लाख करोड़ रुपए की मदद दी। वर्ष 2020-21 के बजट में रिकॉर्ड 1 ट्रिलियन डॉलर का घाटा झेलना पड़ा। मई 2020 तक 8.70 लाख नौकरी जा चुकी थी। रेवन्यू में 72% कमी आई। जीडीपी 7% तक सिकुड़ गई। दिसंबर में संक्रमण पर काबू आते ही बाजारों में रौनक लौट आई। जीडीपी में 3% उछाल आया। नई नौकरियां आने लगी। अब 93% बेरोजगार आ चुके हैं।