वैज्ञानिकों ने उगाया सबसे महंगा मशरूम Cordyceps Militaris, इसे हिमालयीन सोना भी कहा जाता है... एक किलो की कीमत डेढ़ लाख रुपये

टीआरपी डेस्क। गुजरात के वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे महंगा मशरूम उगा लिया है। Cordyceps Militaris नाम के इस मशरूम में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटिक, सूजन रोधी, कैंसर रोधी, मलेरिया रोधी, थकान रोधी, एचआईवी रोधी और एंटी वायरल गुण हैं। सेहत के लिए बेहद गुणकारी यह मशरूम शरीर में ट्यूमर के आकार को कम करने में मदद भी करता है। इस मशरूम की 1 किलो मात्रा की कीमत करीब 1.50 लाख रुपए है।

कच्छ के गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ डिजर्ट इकोलोजी (GUIDE) के वैज्ञानिकों ने Cordyceps Militaris को 90 दिनों के अंदर लैब के नियंत्रित वातारण में उगाया। उन्‍होंने 35 जार में इस मशरूम को उगाया है। पता चला है कि मशरूम की इस प्रजाति का इस्‍तेमाल चीन और तिब्बत की प्राकृतिक दवाइयों में लंबे समय से होता रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक संस्थान के डायरेक्टर वी.विजय कुमार ने बताया, ‘मशरूम की Cordyceps Militaris प्रजाति को हिमालयीन सोना कहा जाता है। इसका सेवन करने से सेहत को कई लाभ होते हैं। साथ ही यह कई बीमारियों को रोकने में बहुत मददगार है।’

यह मशरूम शरीर में ट्यूमर को होने से रोकता है और यदि ट्यूमर हो जाए तो उसके आकार को कम करने में मदद करता है। शुरुआती अध्ययन में पता चला है कि इस मशरूम का अर्क महत्वपूर्ण नतीजे दे सकता है। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक कार्तिकेयन ने बताते हैं, ‘लोगों पर मेडिकल ट्रायल करने के लिए नियामक मंजूरी मांगी गई है। हम इस मशरूम का अतिरिक्त प्रभाव प्रोस्टेट कैंसर पर भी खोज रहे हैं. हालांकि, कोविड-19 महामारी के चलते इसमें देरी हो गई है।’

वैज्ञानिकों की योजना है कि वे भारतीय परिस्थिति में इस प्रजाति के कैंसर रोधी और एंटी वायरल गुणों की जांच करें। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में इसे उपयोगी पाने के बाद संस्थान ने अब कारोबारियों को इसका प्रशिक्षण देने का फैसला किया है, ताकि इस मशरूम की खेती की जा सके। वैसे तो लैब में इस मशरूम की खेती के एक हफ्ते के प्रशिक्षण का शुल्‍क एक लाख रुपये है, लेकिन संस्थान सामान्य शुल्क पर प्रशिक्षण देगा। बता दें कि इस रिसर्च टीम में निरमा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिगना शाह और गाइड वैज्ञानिक जी जयंती भी शामिल थे।

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