टीआरपी डेस्क। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार देर रात राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इससे पहले उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को एक पत्र भी लिखा था। जिसमें उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की थी। इस्तीफे के पीछे की वजह संवैधानिक संकट पैदा होना बताया गया। वहीं पिछले कई दिनों से उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री का चेहरा बदले जाने के कयास लगाए जा रहे थे।

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कार्यकाल के दौरान तीरथ सिंह रावत के विवादित बयान
बता दें, तीरथ रावत से पहले साल 2002 में भगत सिंह कोश्यारी 123 दिन का मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था। वह 115 दिन के लिए ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। वहीं इस दौरान उनके काम की तारीफ कम और उनके बयानों से विवाद ज्यादा बढ़ा। कभी कुंभ की भीड़ तो कभी महिलाओं की फटी जींस पहनने को लेकर तीरथ सिंह रावत के बयानों से बीजेपी (BJP) बैकफुट पर आ गई।
इस्तीफा देने की वजह
हालांकि तीरथ सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड में संवैधानिक संकट टालने के लिए उन्होंने इस्तीफा दिया है क्योंकि नियमों के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के 6 महीने के अंदर उन्हें विधान सभा का सदस्य बनना था। लेकिन संविधान के आर्टिकल 151 के मुताबिक अगर विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचता है तो वहां उपचुनाव नहीं कराए जा सकते।
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नए CM के लिए इन 2 नामों पर हो रही चर्चा
जानकारी अनुसार, नए सीएम पद के लिए भाजपा अब किसी को बाहर से लाने की बजाय विधायकों में से ही नया चेहरा चुना जाएगा। फिलहाल जिन चार नेताओं का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे है। उसमें धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और पुष्कर धामी का भी नाम चर्चा में है।
गौरतलब है कि तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 10 मार्च 2021 को राज्य के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था लेकिन महज चार महीने के अंदर ही उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा। हालांकि इन तीन महीनों में तीरथ सिंह रावत कोई ऐसा करिश्मा नहीं कर पाए कि उन्हें आगामी चुनाव का चेहरा बनाया जा सके। कहा जा रहा है कि तीरथ सिंह रावत ने विधान सभा चुनाव लड़ने को लेकर भी कोई उत्सुकता नहीं दिखाई। पार्टी में भी उनके के खिलाफ विरोध की आवाज तेज हो गई।
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