World Elephant Day

रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आई.यू.सी.एन.) की रेट लिस्ट में इनडेंजर हाथी छत्तीसगढ़ में दो विभागों के बीच रु. 1674 की लड़ाई में फंस कर बिजली करंट से जान गवा रहे हैं। हाल ही में जशपुर क्षेत्र में एक हाथी की बिजली करंट से हो मौत हो गई। छत्तीसगढ़ में बिजली करेंट से हो रही हाथियों की मौत के मामले वर्ष 2018 में जनहित याचिका लगाने वाले रायपुर के नितिन सिंघवी ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर समाधान निकालने हेतु पत्र लिखा है।

क्या है 1674 करोड़ की लड़ाई

दरअसल वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में हाथियों की करंट से मौत के संबंध में दायर जनहित याचिका के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य विधुत वितरण कंपनी ने हाथियों को मौत से बचाने के लिए 810 किलोमीटर 33 केवी, 3761 किलोमीटर 11 केवी लाइन की ऊंचाई बढ़ाकर कवर्ड कंडक्टर लगाने और 3976 किलोमीटर निम्न दाब लाइन में ए. बी. केबल लगाने के लिए वन विभाग से रु.1674 करोड़ की मांग की थी। वन विभाग द्वारा भारत सरकार पर्यावरण वन एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इस राशि की मांग की गई। जवाब में भारत सरकार ने जून 2019 में वन विभाग को लिखा कि विधुत लाइनों का सुधार कार्य करना, कबर्ड कंडक्टर लगाना, यह सभी कार्य विधुत वितरण कंपनी के हैं और उन्हें अपने बजट से इसे पूरा करना है। सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्णयों का हवाला देते हुए भारत सरकार पर्यावरण वन एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लिखा कि अगर वितरण कंपनी इस कार्य में फेल होती है तो दोषियों के विरुद्ध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, इंडियन पेनल कोड और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत कार्यवाही की जाए।

वितरण कंपनी ने कहा नहीं लागू होते सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश हम पर

भारत सरकार से निर्देश मिलने के पश्चात वन विभाग ने तत्काल विधुत लाइनों में रु. 1674 करोड़ के कार्य अपने बजट से करने के लिए वितरण कंपनी को लिखा। जिसके जवाब में वितरण कंपनी ने लिखा की सुप्रीम कोर्ट, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश छत्तीसगढ़ राज्य पर लागू होना नहीं माना जा सकता और लाइनों की ऊंचाई बढ़ाने कबर्ड कंडक्टर और केबल लगाने के लिए रुपए 1674 करोड़ देंगे तभी सुधार कार्य हो सकेगा।

अधिकारी गहन निद्रा में, परन्तु जारी है दोनों विभागों में पत्राचार?

2018 में दायर जनहित याचिका का निराकरण करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा था कि याचिका का निराकरण करने का यह मतलब नहीं निकाला जाए कि अधिकारी गहन निद्रा में चले जाएं। चालू किए गए अच्छे कार्य जारी रहने चाहिए, अगर अधिकारियों के खुद के लिए नहीं तो आने वाली पीढ़ियों के लिए अच्छे कार्य होने चाहिए। नितिन सिंघवी ने बताया कि 3 वर्ष हो गए है परंतु वितरण कंपनी रुपए 1674 के कार्य नहीं करा रही है और हाथी मारे जा रहे हैं। परंतु इस बीच में दोनों विभाग कागजी खानापूर्ति में कोई कमी नहीं कर रहे हैं। वन विभाग स्मरण पत्र पर स्मरण पत्र जारी कर रहा है और वितरण कंपनी रुपेश 1674 करोड़ की मांग कर रही है।

वैधानिक सीमा में रहकर कार्य करें वन विभाग के मैदानी अधिकारी

भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से निर्देश मिलने के पश्चात प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने अपने समस्त अधीनस्थों को जून 2019 में आदेश दिया कि वन्य प्राणियों खासकर हाथी, भालू, तेंदुआ आदि की विधुत करंट से मृत्यु होने के कारण विधुत वितरण कंपनी के जिला अधिकारियों के विरुद्ध वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, इंडियन पैनल कोड और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर कोर्ट में चालान प्रस्तुत करें। जून 2020 में रायगढ़ के गेरसा में अवैध विद्युत कनेक्शन से एक हाथी की मृत्यु के बाद धरमजयगढ़ उप संभाग के सहायक यंत्री और अन्य विभागीय कर्मचारियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भी भेजा गया। इस पर विद्युत वितरण कंपनी ने प्रमुख सचिव वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 और अधिसूचना दिनांक 13 अप्रैल 2015 का हवाला देते हुए कहा है कि वन विभाग के मैदानी अधिकारियों को वैधानिक सीमा में रहकर कार्य करने के शीघ्र निर्देश दें। विधुत वितरण कंपनी ने कहा है कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों की लाइनों में स्वयं के संसाधनों से सर्वेक्षण कराकर बहुत से कार्य किए जा चुके हैं। मगर आवश्यक राशि का भुगतान शासन या वन विभाग द्वारा नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में वन विभाग की मंशा के अनुसार कार्य कर पाना संभव नहीं हो सकेगा।

हाथी जंगल में ही रहे और रिहायशी क्षेत्र में ना आए

विधुत वितरण कंपनी ने प्रमुख सचिव को प्रेषित पत्र में यह भी कहा है कि वन्य प्राणी हाथी जंगल में ही रहे और रिहायशी क्षेत्र में ना आए इसका उत्तरदायित्व वन विभाग का है। इस पर नितिन सिंघवी ने कहा कि जंगलों के बीच रहवासी क्षेत्र बन गए है वहां बोर अवैध कनेक्शन चल रहे है बिजली की लाइनें मापदंड से नीचे से जा रही हैं। जंगलों के बीच और आसपास बसे गांव में हाथी जाएगा ही।

वन विभाग की लापरवाही उजागर

जब हाथी जशपुर के तपकरा वन क्षेत्र के पास गांव में गया तब वन विभाग अगर जागरूक होता और रेगुलर मॉनिटरिंग करता तो विधुत वितरण कंपनी से विधुत प्रदाय बंद करवा कर हाथी की जान बचा लेता। मगर ऐसा न होना वन विभाग की लापरवाही को उजागर करता है।

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