दामिनी बंजारे

रायपुर। राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए राज्य सरकार के साथ प्रशासन भी पूरा जोर दे रही है। शहर को स्मार्ट बनाने की सोच के साथ वर्ष 2015 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों की लागत से कई प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए।
स्मार्ट सिटी बनाने की तर्ज पर कुल 16 प्रोजेक्ट में काम किया गया। साथ ही स्मार्ट सिटी मिशन को लेकर 2019 में 13 मार्च को शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से संसद में जानकारी दी गई कि रायपुर में जारी की गई निविदाओं (टेंडर) में 298.9 करोड़ रुपए के कुल 21 प्रोजेक्ट हैं। वहीं पूरे हो चुके या निर्माणाधीन 263.7 करोड़ रुपए की कुल 34 प्रोजेक्ट हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन एवं नगर निगम द्वारा शहर में नेकी की दीवार, तेलीबांधा झील शुद्धिकरण और कायाकल्प, शहीद स्मारक, टाउन हॉल, नालंदा परिसर, हेरिटेज वॉक, आनंद समाज पुस्तकालय, बापू की कुटिया, इंटर स्टेट बस टर्मिनल, वाटर एटीएम, आईटीएमएस, साइकिल ट्रैक, मल्टी लेवल पार्किंग, तालाबों का विकास, जवाहर बाजार समेत कई योजनाएं हैं। जो कहीं न कहीं शुरू तो हो चुकी हैं मगर आज भी ये बदहाल हैं। आज टीआरपी की टीम इस भाग में आपको स्मार्ट सिटी की एक योजना साइकिल ट्रैक की जमीनी हकीकत से आपको रूबरू करवा रही है।
शहर को प्रदूषण मुक्त व हैल्दी बनाने के उद्देश्य से करीब 1 करोड़ 15 लाख रुपए से अधिक राशि खर्च कर साइकल ट्रैक का निर्माण किया गया था। इसे बनाकर प्रशासन ने वाहवाही भी लूटी मगर तीन साल के अंदर ही बदहाल साइकल ट्रैक स्मार्ट सिटी की पोल खोल रहे हैं।


आंबेडकर चौक से गौरव पथ की ओर बने इस साईकिल ट्रैक पर लोहे के एंगल ही गायब हो गए हैं। हैरानी की बात ये है की जहां एंगल गायब हुए हैं उसी के नजदीक में कलेक्ट्रेट है और स्वयं मुख्यमंत्री का आवास भी मौजूद है। तो जाहिर सी बात है कि सुरक्षा के लिए पुलिस व गार्ड भी तैनात रहते हैं फिर भी उनके बीच से साईकिल ट्रैक से लोहे के एंगल गायब होना प्रशासन की मुस्तेदी पर सवाल खडा करता है।


साइकिल ट्रैक बना भूले जिम्मेदार
निर्माण के बाद अधिकारी इसकी देखरेख करना भूल गए। नतीजतन महज तीन साल में दोनों साइकिल ट्रैक बदहाली के शिकार हो गए। आंबेडकर चौक से लेकर गांधी उद्यान तक करीब दो दर्जन से अधिक लोहे के एंगल गायब हो गए हैं।

पड़ी चोरों की नजर
पुराना पीएचक्यू, वनविभाग के पास के एंगल गायब हैं। साथ ही ट्रैक पर लिखे दिशा-निर्देश व रंग रोगन भी मिट गए हैं। जब इस विषय में अधिकारियों बात गई तब उनका कहना है कि केंद्र की गाइड लाइन थी कि राजधानी में साइकिल ट्रैक का निर्माण करना है, इसलिए निर्माण किया गया था। साथ ही साइकिल ट्रैक का निर्माण करने के लिए 24 जून 2017 में स्मार्ट सिटी ने नागपुर की मेसर्स कैटेलाइन कंस्ट्रक्शन टेक्नोलाजी को आंबेडकर चौक से गांधी उद्यान तक 1 करोड़ 15 लाख रुपये की लागत से टेंडर जारी किया था।
ठेका एजेंसी ने मुख्य सड़क के किनारे महज लोहे के खंभे लगा दिए और सड़क को कई कलर में पेंट कर बता दिया कि साइकिल ट्रैक का निर्माण कार्य पूरा हो गया। स्मार्ट सिटी के अधिकारी ठेका एजेंसी को पैसा जारी करने के बाद साइकिल ट्रैक को भूल गए।
क्या था मकसद
साइकिल ट्रैक निर्माण के संबंध में बताया गया था कि शहर की आबोहवा को प्रदूषण से मुक्त कराने व लोगों को सेहतमंद करने साइकिलिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। शहर में प्रत्येक माह की तीन तारीख को नो व्हीकल डे मनाया जाएगा। निगम ने इसके लिए नो व्हीकल डे मनाना भी शुरू किया था।

लोहा हो रहा गायब
आंबेडकर चौक से लेकर गांधी उद्यान तक करीब दो दर्जन से अधिक लोहे के एंगल गायब हो गए हैं। पुराना पीएचक्यू, वनविभाग के पास के एंगल गायब हैं। साथ ही ट्रैक पर लिखे दिशा-निर्देश व रंग रोगन भी मिट गए हैं। लापरवाही के चलते लोहे के खंभों को असामाजिक चोरी कर ले जा रहे हैं। वर्तमान में साइकिल ट्रैक पर वाहन पार्क किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ मोतीबाग में करीब एक करोड़ की लागत से साइकिल ट्रैक बनाया गया था, जो पूरी तरह उजड़ गया है।
लगने लगी दुकानें और गाड़ियां होने लगी पार्क
इस करोड़ों के साइकिल ट्रैक में अब छोटी-छोटी दुकानें लगने लगी हैं। वहीं कई बार गाड़ियां, ऑटो रिक्शा भी पार्क किया जाने लगा है। मगर इस ओर स्मार्ट सिटी के अधिकारी या नगर निगम के कर्मचारी किसी प्रकार का ध्यान नहीं दे रहे हैं।

टीआरपी की टीम ने जब साइकिल ट्रैक का एक हफ्ते तक सर्वे किया तब यह तथ्य निकल कर आया कि इस ट्रैक पर मुश्किल से गिने चुने लोग ही यह साइकिल ट्रैक चलाते हैं। जिस मकसद से यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था वह विफल होता नजर आ रहा है। अब हालात यह बन गए हैं कि साइकिल ट्रैक कार, ऑटो या साइकल रिक्शा आदि के लिए पार्किंग की जगह बन चुकी है।
नोटः टीआरपी की टीम स्मार्ट सिटी सर्जरी के नाम से आपके समक्ष कई योजनाओं की हकीकत इसी तरह अलग-अलग भागों में लेकर आ रही है। इन योजनाओं के संबंध में जानने के लिए हमसे आगे भी जुड़े रहें और इसकी अगली कड़ी भी जरूर पढ़ें।
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