कोयला उत्पादन बढ़ाने इधर अधिकारी कर रहे बैठक, उधर भूविस्थापितों के आंदोलन का हो रहा विस्तार
कोयला उत्पादन बढ़ाने इधर अधिकारी कर रहे बैठक, उधर भूविस्थापितों के आंदोलन का हो रहा विस्तार

बिलासपुर। देश भर में कोयला संकट की खबरों के बीच कोयला मंत्रालय ने भले ही कोयले के पर्याप्त स्टॉक का दावा किया है, मगर सच यह भी है कि खदानों में कोयले का उत्पादन भूविस्थापितों के आंदोलन के चलते बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस मुद्दे को लेकर बिलासपुर के संभागायुक्त की अध्यक्षता में SECL और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक भी हुई, मगर आंदोलन को ख़त्म करने के कोई ठोस प्रयास नहीं हो रहे है, उलटे आंदोलन का विस्तार हो चला है।

कोरबा जिले में भूविस्थापितों के संगठन ऊर्जाधानी भुविस्थापित किसान कल्याण समिति ने अपनी मांगों को लेकर SECL की दीपका खदान के मुहाने पर 03 अक्टूबर को धरना प्रदर्शन शुरू किया था। अपने इसी आंदोलन का विस्तार करते हुए एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के अंतर्गत नराईबोध ओबी पॉइंट पर दूसरा पंडाल डाल दिया गया है। इससे SECL के OB याने कोयले के ऊपर की मिटटी की खुदाई प्रभावित हो रही है। तय है कि इससे कोयला उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।

जमीन अधिग्रहण के बावजूद खदान का विस्तार प्रभावित

आपको बता दें कि SECL की गेवरा-दीपका खदान एशिया की सबसे बड़ी खदानों में शुमार हैं, मगर इन कोयला खदानों का विस्तार नहीं हो पा रहा है। SECL के PRO शनिश्चंद्र बताते हैं कि अवैध कब्जाधारियों के हस्तक्षेप के चलते गेवरा, दीपका और कुसमुण्डा कोयला खदानों का विस्तार नहीं हो पा रहा है। उनका कहना है कि भूविस्थापितों की जमीन के बदले जो भी प्रावधान हैं उसे पूरा कर दिया गया है, मगर मौकापरस्त लोगों ने अधिग्रहित की गई जमीनों पर बेजा कब्ज़ा कर लिया है और कई मांगों को लेकर उनके द्वारा आंदोलन खड़ा कर दिया गया है।

भूविस्थापितों की ये हैं मांगें

एक तरफ आंदोलनकारियों को SECL के प्रवक्ता बेजा कब्जाधारी बता रहे हैं, जबकि सच तो यह है कि इनमे अधिकांश आंदोलनकारी भूविस्थापितों के आश्रित हैं। इनकी मांग है कि परियोजना, एरिया स्तर पर पुनर्वास समिति एवं ग्राम समितियों का गठन किया जाये जिसके माध्यम से परिसम्पतियों का मुआवजा, रोजगार, बसाहट आदि का निर्धारण किया जाए। इसके अलावा भूविस्थापित परिवार के बेरोजगार युवाओ को अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार उपलब्ध कराया जाये। इनकी मांग है कि SECL की परियोजनाओं में निकलने वाले ठेकों में उन्हें प्राथमिकता दी जाये।
भूविस्थापितों का आरोप है कि प्रबंधन ने लिखित में समझौता होने के बावजूद कोई पहल नहीं की, उलटे प्रबंधन उनके ऊपर कोयला उत्पादन बाधित करने का आरोप लगा रहा है।

कमिश्नर की अध्यक्षता में हुई बैठक

कोयला खदानों का विस्तार प्रभावित होने का हवाला देते हुए SECL प्रबंधन ने पिछले दिनों मुख्यालय में बैठक आयोजित की जिसकी अध्यक्षता कमिश्नर संजय अलंग ने की। इस बैठक में बिलासपुर आईजी रतनलाल डांगी और कोरबा के कलेक्टर-एसपी भी शामिल हुए। इस मौके पर प्रबंधन ने गुहार लगाई कि उनकी खदानों के विस्तार में आ रही बाधाओं को दूर किया जाये।

गौर करने वाली बात यह है कि इस बैठक के बाद भी कोरबा जिला प्रशासन ने भूविस्थापितों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए कोई पहल नहीं की। उलटे आज यहां की गेवरा परियोजना में आंदोलन का विस्तार हो गया है। आंदोलनकारियों का कहना है कि इस बार वे मांगें पूरी होने तक नहीं हटेंगे।

फ़िलहाल SECL प्रबंधन ने बैठक आयोजित कर गेंद प्रशासन के पाले में डाल दी है मगर प्रशासन को यह भी पता है कि SECL अब तक कई मुद्दों पर वादाखिलाफी करता रहा है। प्रशासन की पहल पर मुख्यालय में बैठक होने के बावजूद SECL प्रबंधन ने कोई भी पहल नहीं की। अब देखना है कि देश में कथित तौर पर हो रहे बिजली संकट के नाम पर कोयला खदान के विस्तार को बलपूर्वक समाप्त कराया जाता है या फिर किसी समझौते की पहल होती है।

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