पेगासस मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई एक्सपर्ट कमेटी, HC ने कहा- केंद्र द्वारा नहीं किया गया कोई विशेष खंडन
पेगासस मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई एक्सपर्ट कमेटी, HC ने कहा- केंद्र द्वारा नहीं किया गया कोई विशेष खंडन

टीआरपी डेस्क। पेगासस जासूसी मामले में उच्चतम न्यायालय ने निगरानी में स्वतंत्र जांच होगी या नहीं की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाई करते हुए फैसला सुनाया कि इस मुद्दे में केंद्र द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया है। इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। और हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा।

समिति जल्द दे सकती है रिपोर्ट

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, की पेगासस स्पाइवेयर मामले में कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति का हिस्सा बनने के लिए विशेषज्ञों को चुना गया है। तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे। अन्य सदस्य आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने समिति को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।

तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी करेगी काम

जस्टिस रविंद्रन के नेतृत्व में साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक एक्सपर्ट, आईटी और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी काम करेगी. तकनीकी समिति में तीन सदस्य शामिल होंगे:

  • डॉ नवीन कुमार चौधरी, प्रोफेसर (साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक) और डीन, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात।
  • डॉ प्रबहारन पी., प्रोफेसर (इंजीनियरिंग स्कूल), अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरी, केरल।
  • डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते, संस्थान के अध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर (कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे, महाराष्ट्र।

ऐसी तकनीक के उपयोग पर गंभीरता से विचार करना केंद्र का दायित्व है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सूचना के युग में रहते हैं और हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण है। पर न केवल पत्रकारों के लिए बल्कि सभी नागरिकों के लिए निजता के अधिकार की रक्षा करना महत्वपूर्ण है।

आज पेगासस स्पाइवेयर मामले में CJI ने CJI जॉर्ज ऑरवेल के एक उद्धरण को पढ़कर आदेश सुनाना शुरू किया। उन्होंने कहा, “अगर आप एक रहस्य रखना चाहते हैं, तो आपको इसे अपने आप से भी छिपाना होगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कुछ याचिकाकर्ता पेगासस के प्रत्यक्ष शिकार हैं।

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