''लाल गुब्बारों'' के द्वारा जगदलपुर और बीजापुर में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य पर हुई कार्यशालाएं
''लाल गुब्बारों'' के द्वारा जगदलपुर और बीजापुर में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य पर हुई कार्यशालाएं

उप-शीर्षक- यूनिसेफ, छ.ग. द्वारा “आओ बात करे” कार्यक्रम के तहत सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशालाएं की गईं आयोजित 

रायपुर। एक लाल गुब्बारा लें, उसमें अपनी सभी चिंताओं और तनावों को भरें, और बस इसे हवा में उड़ा दें और फोड़ दे, कुछ शम्मी कप्पूर के डांस मूव्स करें, ताली बजाएं और बात चित करें। सरल और दिलचस्प है ना?

ऐसे मनोरंजक तरीके से, यूनिसेफ, छ.ग.  द्वारा “आओ बात करे” नामक प्रोजेक्ट के तहत एनजीओ, छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति की टीम ने सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशालाओं का आयोजन किया। यह 28 से 30 दिसंबर 2021 तक जगदलपुर के कृषि महाविद्यालय के सभागार और बीजापुर के जिला पंचायत के सम्मेलन कक्ष में हुआ।

कार्यशाला में न केवल वयस्कों, बल्कि शिशुओं, बच्चों, किशोरों से लेकर वृद्धों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं तक के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया। मानसिक स्वास्थ्य क्या है, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच अंतर, मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग कैसे भिन्न होते हैं, उनके लिए क्या किया जाना है, से संबंधित प्रश्न? आदि, सभी पर चर्चा की गई और कार्यशाला में उत्तर दिए गए। उदाहरणों के माध्यम से यह समझाया गया कि अस्वस्थ मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित व्यक्ति का पता कैसे लगाया जाए।

इसके बाद ऊपर वर्णित विभिन्न खेलकूद व मनोरंजक गतिविधियों की सहायता से इसे ठीक करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं और यह कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में मदद कर सकता है, बताया गया। इस कार्यशाला में युवोदय और बीजादुतिर वालंटियर्स, स्कूल शिक्षकों, स्वयंसेवको, ग्रामीणों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और मितानिनों सहित अन्य ने दर्शक वर्ग के रूप में उत्साहपूर्वक भाग लिया। वे इससे उत्साहित थे और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने पर बताया की वे किसी भी तरह से पहले कभी इसके बारे में नहीं जानते थे। उन्होंने उल्लेख किया कि मानसिक स्वास्थ्य पर पहले कभी कोई चर्चा नहीं हुई थी। लेकिन वे अब जानते हैं कि यह क्या है, उन्होंने इसके महत्व और विभिन्न पहलुओं को समझ लिया है। अब से, वे किसी भी अस्वस्थय मानसिक स्वास्थ्य वाले लोगों का पता लगने पर समग्र रूप से समाज की बेहतरी के लिए उनकी मदद करने में अग्रसर होंगे। दानिश हुसैन, मनीषा मोटवानी, योगेश पुरोहित और कुछ अन्य प्रशिक्षक थे जिन्होंने इन कार्यशालाओं में सुचारू रूप से प्रशिक्षण दिया। छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति के सचिव मानस बनर्जी ने भी इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर विचार साझा किए।

इसके बाद बस्तर जिले की समाज कल्याण विभाग की उप सहायक निदेशक वैशाली मदारकल ने कहा कि सभी लोगों का मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। इसके लिए अब से पूरे बस्तर जिले में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि एनजीओ, छत्तीसगढ़ एग्रीकॉन समिति, जो बापू ट्रस्ट, पुणे की मदद से और पॉल हैमलिन फाउंडेशन से फंडिंग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पर काम करती है, इस प्रोजेक्ट के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन के लिए यूनिसेफ, छत्तीसगढ़ द्वारा भागीदारी की गई है। इसमें युवोदय एवं बीजादुतिर वालंटियर्स एवं जिला प्रशासन का सक्रिय सहयोग मिल रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए यह एनजीओ ‘बायोमेडिकल मॉडल’ के बजाय ‘साइकोसोशल मॉडल’ पर ध्यान केंद्रित करता है। ‘बायोमेडिकल मॉडल’ दवाओं के माध्यम से बीमारी के इलाज का समर्थन करता है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य पर ‘मनोसामाजिक मॉडल’ समुदाय के लोगों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से कारण को ठीक करने का समर्थन करता है। यह एनजीओ इसके लिए समुदाय के लोगों को पिछले चार वर्षों से इस दिशा में प्रेरित और जागरूक करने का प्रयास कर रही है।

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