रायपुर। छत्तीसगढ़ में 12 साल पुराने मदनवाड़ा कांड की न्यायिक जांच पूरी हो चुकी है। न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाले न्यायिक जांच आयोग ने आज मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

एसपी चौबे सहित 29 जवान हुए थे शहीद
बता दें कि वर्ष 2009 में 12 जुलाई की सुबह राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा गांव के पास हुए एक बड़े नक्सली हमले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे सहित 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इनमें25 जवान कोरकोटि के जंगल में, 2 मदनवाड़ा में और जवानों का शव लाते समय 2 जवानो नक्सलियों ने एम्बुश लगाकर मार दिया था। जवान यह पहला मौका था, जब नक्सलियों के हमले में किसी जिले के एसपी की शहादत हुई हो।
इस मामले में मानपुर थाने में अपराध क्रमांक 55 , 56, 57/ 2009 के तहत अपराध दर्ज किया गया था। इस हमले के बाद कुछ वरिष्ठ पुलिस अफसरों की भूमिका पर उंगली उठती रही है। माना जा रहा है कि आयोग द्वारा इस मामले की जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर कुछ बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी को लेकर टिप्पणी जरूर की गई होगी, साथ ही कुछ और बड़े खुलासे भी रिपोर्ट में हो सकते हैं।
गौरतलब है कि मदनवाड़ा नक्सल हमले की जांच में हो रही लेट-लतीफी को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक सदस्यीय जांच आयोग गठित की जिसकी रिपोर्ट आज पेश हो गई। अब लोगों को इस रिपोर्ट में किये गए खुलासे का इंतजार रहेगा।
इन बिंदुओं पर आयोग ने की जांच
- यह घटना किन परिस्थितियों में हुई थी।
- क्या घटना को घटित होने से बचाया जा सकता था।
- क्या सुरक्षा की निर्धारित प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन किया गया था।
- किन परिस्थितियों में एसपी और अन्य सुरक्षाबलों को उस अभियान में भेजा गया।
- एसपी और जवानों के एम्बुस में फंसने पर क्या अतिरिक्त बल उपलब्ध कराया गया, अगर हां तो स्पष्ट करना है।
- मुठभेड़ में माओवादियों को हुए नुकसान और उनके मरने और घायल होने की जांच।
- सुरक्षाबलों के जवान किन परिस्थितियों में मरे अथवा घायल हुए।
- घटना से पहले, उसके दौरान और बाद के मुद्दे जो उससे संबंधित हों।
- क्या, राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों के बीच समुचित समन्वय रहा है?
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