टीआरपी डेस्क। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच जारी टकराव Bengal Governor Vs Mamata थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) ने अब अपने पास मंजूरी के लिए आईं वित्तीय मामलों से संबंधित फाइलों को राज्य सरकार को वापस लौटा दिया है।

राज्यपाल ने कहा- वित्तीय मामलों पर तभी बात की जाएगी, जब राज्य मंत्रिमंडल विधानसभा बुलाने का निर्णय लेगा और इसकी अधिसूचना गजट में प्रकाशित की जाएगी। उन्होंने 21 जनवरी, 2022 को जारी किए गए नोट के अनुपालन के लिए भी कहा है। इस नोट में राज्य के फंड के बारे में जानकारी मांगी गई थी। दूसरी ओर टीएमसी (Trinamool Congress) ने अपने मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में ‘मिस्टर जगदीप धनखड़’ के नाम से संपादकीय लिखा है, जिसमें राज्यपाल पर संवैधानिक पद को हंसी का पात्र बनाने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल की जमकर आलोचना की गई है।
बता दें कि इससे पहले राज्यपाल ने बिना कैबिनेट की मंजूरी के सात फरवरी से विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजी गई फाइल भी संसदीय कार्य विभाग को वापस लौटा दिया था।
राज्यपाल ने बिना मंजूरी की वापस कर दी फाइल
बता दें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सात मार्च से राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने की सिफारिश धनखड़ के पास भेजी थी। इसे जगदीप धनखड़ ने मंजूरी दिए बिना वापस कर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव संवैधानिक मानदंडों को पूरा नहीं करता है। राज्यपाल ने कहा था संविधान राज्यपाल को कैबिनेट की सिफारिश पर सदन का सत्र बुलाने की अनुमति देता है। स
रकार ने मुझे 17 फरवरी को एक फाइल भेजी थी, जिसमें सात मार्च को विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गई थी। हालांकि, उस पर केवल मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर थे। इस स्थिति में कैबिनेट के फैसले की भूमिका आवश्यक है। ममता बनर्जी ने इसको लेकर राज्यपाल पर निशाना साधा था।
टीएमसी ने राज्यपाल पर जमकर साधा निशाना
बंगाल के राजभवन द्वारा जारी बयान
दूसरी ओर, टीएमसी ने अपने मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में ‘मिस्टर जगदीप धनखड़’ के नाम से बुधवार को संपादकीय लिखा है, जिसमें राज्यपाल पर संवैधानिक पद को हंसी का पात्र बनाने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल पर निशाना साधा गया है। संपादकीय में लिखा गया है कि एक मनोनीत व्यक्ति हर दिन पूरी जनसमर्थन से जीती सरकार को परेशान कर रहा है। यह वह व्यक्ति है, जिनकी नौकरी और रिटायमेंट पूरी तरह से दिल्ली के गेरुआ नेताओं की इच्छा और अनिच्छा पर निर्भर करता है। यदि इस भद्र लोग से उनके उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी, तो इन्हें बदल देंगे। 24 घंटे में ही उन्हें राजभवन से तीन रूम के फ्लैट में लौट जाना पड़ेगा। परिस्थिति बदलती है। गणित बदलता है। चेयर बदलता है। चेहरे भी बदलेंगे। उस दिन उल्टे चेयर पर बैठकर सभी कुकृत्य हजम करना होगा।
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