रायपुर। कलिंगा विश्वविद्यालय में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय परिसर में जैविक फार्म का निर्माण किया गया नाइजीरिया के हाई कमिश्नर और अन्य विशिष्ट अतिथियों अतिथियों की उपस्थिति में ऑर्गेनिक फार्म का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर अतिथियों ने विश्वविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण भी किया। इसी के साथ विश्वविद्यालय छात्रों के लिए आयोजित प्रतियोगिता “रील्स ऑन लाइफ एट कैंपस कंपटीशन” में विजयी सर्वश्रेष्ठ 3 विद्यार्थियों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र दिया गया। प्रथम पुरस्कार मयंक परघनिया – ₹10000, द्वितीय पुरस्कार अभिषेक कुजुर – ₹6000 और तृतीय पुरस्कार सिमोन अवस्थी – ₹4000 की राशि को चेक के साथ प्रमाण पत्र दिया गया।


विदित हो कि प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। 33 एकड़ में फैला हुआ यह विद्यालय हरियाली से समृद्ध है, और प्रदूषण मुक्त वातावरण में स्थित यहां का सर्वसुविधायुक्त कैंपस, अपने यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं उपलब्ध कराता है। इसी क्रम में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय परिसर में दो विशाल जैविक फार्म विकसित किए गए हैं। 26 फरवरी को फेडरल रिपब्लिक ऑफ़ नाइजीरिया के उच्च आयुक्त अहमद सुले और उनकी पत्नी श्रीमती हलीमा अहमद सुले, छत्तीसगढ़ शासन के एआईजी ट्रैफिक संजय शर्मा और छत्तीसगढ़ शासन के डिप्टी डायरेक्टर रोजगार ए ओ लारी, शिवकुमार फिल्म निर्माता लेखक निर्देशक केएसके फिल्म के आतिथ्य में नवनिर्मित आर्गेनिक फार्म का फीता काटकर शुभारम्भ किया गया। इसके पश्चात मुख्य अतिथियों के द्वारा विद्यालय में वृक्षारोपण किया गया।
सभी विशिष्ट अतिथि तथा कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर श्रीधर, कुलसचिव डॉ संदीप गांधी एवं छात्र कल्याण प्रकोष्ठ की अधिष्ठाता डॉ आशा अंभईकर और अकादमी कार्यों के अधिष्ठाता राहुल मिश्रा के ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन करने के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। स्वागत के लिए विश्वविद्यालय सभागार से गोपिका साहू ने छत्तीसगढ़ी गीत की प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम के अतिथि वक्ता छत्तीसगढ़ शासन के डिप्टी डायरेक्टर रोजगार ए ओ लारी ने कहा “यह देखकर अच्छा लगा कि कलिंगा विश्वविद्यालय के द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के बयानबाजी की बजाय वास्तविक रूप से अमल किया जा रहा है। जैविक खेती वर्तमान समय में मानव जाति की मांग है। एक समय था जब देश में बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिए उत्पादन बढ़ाने की जरूरत थी, तब रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हुए खाद्यान्न को बढ़ाया गया था। अब हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होने के साथ निर्यात भी करने में सक्षम हो चुके हैं। आज रासायनिक खादों का दुष्प्रभाव दिखने लगा है। प्रकृति में संतुलन और उचित स्वास्थ्य के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती ही एकमात्र विकल्प है। इससे मानव जीवन पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है एवं धरती का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
छत्तीसगढ़ शासन के एआईजी ट्रैफिक संजय शर्मा ने वर्तमान समय में विश्व विद्यालय के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों से आग्रह किया कि सड़क सुरक्षा हेतु जागरूकता फैलाने में सहयोग करें।

फेडरल रिपब्लिक ऑफ़ नाइजीरिया के उच्च आयुक्त अहमद सुले ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के लिए जैविक खेती भले ही न हो लेकिन हमारे देश में परंपरागत रुप से जैविक खाद पर आधारित खेती होती आई है। विश्वविद्यालय को देखकर यहां के विद्यार्थी अवश्य प्रेरित होंगे, यह सराहनीय पहल है।
इसके पश्चात विद्यार्थियों के मनोरंजन के लिए अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी रे टिनो, डेंजल काकुमुरा, बर्नार्ड एल तवंडा, नगरुजी और फेडजाइ सामूहिक नृत्य किया। तत्पश्चात कलिंगा विश्वविद्यालय द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक कपिल केलकर द्वारा किया गया। उक्त आयोजन में विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, छात्र कल्याण अधिष्ठाता और विद्यार्थी, अकादमी कार्यों के अधिष्ठाता और विभिन्न संकाय के अधिष्ठाता, प्राध्यापक, विद्यार्थियों के साथ-साथ समस्त अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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