Forest workers on strike, forest is burning with fire, life of wildlife is in danger
Forest workers on strike, forest is burning with fire, life of wildlife is in danger

रायपुर। हर वर्ष गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लग जाती है और इससे बचाव के लिए पूरा वन अमला जुट जाता है, मगर इस बार स्थिति अलग है, वन विभाग का मैदानी अमला ऐन वक्त पर हड़ताल पर है और जंगलों में लगी आग फैलते जा रही है, इससे वनो में निवास करने वाले जानवरों के लिए भीषण खतरा पैदा हो गया है। हालांकि वन मुख्यालय का दावा है कि निचले स्तर पर तैनात किये गए अग्नि रक्षक समय रहते आग पर काबू पा रहे हैं।

एक महीने में आग की 4773 घटनाएं..!

वनों से आच्छादित छत्तीसगढ़ में वन विभाग का व्यापक अमला है, जो जंगल और जंगली जानवरों की सुरक्षा में लगा रहता है। विशेषकर जंगलों में लगने वाली आग को लेकर ज्यादा गंभीरता दिखाई जाती है। APCCF (संरक्षण) ओ पी यादव बताते हैं कि जंगलो में आग लगने की घटनाओं की रिपोर्ट मुख्यालय तक पहुंचती है। हर वर्ष 15 फ़रवरी से इस तरह की घटनाएं शुरू हो जाती हैं। इस बार 15 फ़रवरी से आज तक पूरे छत्तीसगढ़ में जंगलों में आग लगने की 4773 घटनाएं घट चुकी हैं। आग लगने की घटनाएं इतनी ज्यादा हुई हैं, यह गंभीर बात है। हालांकि समय रहते आग पर काबू पा लेने का दावा भी किया जा रहा है।

वनकर्मियों की हड़ताल का हो रहा है असर

बीते कुछ दिनों से वन विभाग में डिप्टी रेंजर से लेकर मैदानी स्तर के कर्मचारी पूरे प्रदेश में हड़ताल पर हैं और कहा जा सकता है कि जंगल अनाथ हो गए हैं। ओ पी यादव ने बताया कि पूरे प्रदेश में जंगलों में हर बीट पर एक अग्नि रक्षक की नियुक्ति हर वर्ष गर्मी के सीजन में की जाती है। वर्तमान में आग की जिन घटनाओं की जानकारी अधिकारियों तक पहुंच रही है, वे अग्निरक्षकों और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पा रहे हैं, मगर मैदानी अमले के हड़ताल पर चले जाने से आग बुझाने में दिक्क्तें जरूर आ रही हैं। वर्तमान में जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक सरगुजा, कोरबा, कवर्धा और धमतरी सहित अनेक जिलों के जंगलों में आग ज्यादा लगी है। इस समय वन विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे हैं, इसलिए आग बुझाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।

नक्सल प्रभावित इलाको में वन ज्यादा प्रभावित

वन विभाग का कहना है कि नक्सल प्रभावित बस्तर के बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर में जंगलों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा होती हैं, चूंकि ग्रामीणों से वन अमले का संपर्क नहीं हो पाता और नक्सलियों के हमले का डर रहता है इसलिए आग बुझाने में दिक्कत होती है।

जंगली जानवरों की मौतों का दौर शुरू

गर्मी के मौसम में अक्सर जंगली जानवरों की मौत प्यास की वजह से हो जाती है, इस तरह की घटनाओं की अब शुरुआत भी हो चुकी है। जांजगीर-चांपा जिले के पंतोरा और उससे सटे हुए कोरबा जिले के जंगल में चीतल की बहुतायत है। गर्मी के मौसम में जंगल के भीतर जल श्रोत सूख जाने से चीतल आबादी वाले इलाके के नदी-तालाब या नहर की ओर आ जाते हैं, इस दौरान या तो कुत्ते इन्हें मार देते हैं या फिर प्यास से दौड़ते भागते इनकी मौत हो जाती है।
ऐसे ही एक वयस्क चीतल की मड़वारानी पहाड़ के इलाके में मौत हो गई। बेसुध पड़े चीतल को देखकर ग्रामीणों ने उसे अपने स्तर पर बचाने का प्रयास किया मगर उसने कुछ देर बाद ही दम तोड़ दिया। इसी हफ्ते इलाके में एक अन्य चीतल को कुत्तों ने नोचकर मार डाला था। यहां हर वर्ष इस तरह की कई घटनाएं घटती हैं और वन अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है।

ग्रामीण भी लगा देते हैं आग

ग्रामीण इलाकों में अक्सर लोग महुआ बीनने के फेर में पेड़ों के नीचे गिरे पत्तों को जला देते हैं अक्सर ये आग फैलकर जंगल तक पहुँच जाती है। चूँकि वन अमला हड़ताल पर है, इसलिए आग बुझाने में दिक्कत आ रही है। दावा तो यह है कि रेंजर और अन्य वन अधिकारी खुद मैदान में उतर गए हैं और जहां भी आग लगने की सूचना मिल रही है वहां अग्नि रक्षकों और ग्रामीणों की मदद से आग को बुझाने की कोशिश की जा रही है।

इस नंबर पर दी जा सकती है आग लगने की सूचना

APCCF (संरक्षण) ओ पी यादव ने बताया कि उनका राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम नवा रायपुर में अरण्य भवन में है। प्रदेश में अगर किसी भी जंगल में आग लगी हो तो टोल फ्री नंबर 1800-233-7000 पर फोन करके जानकारी दी जा सकती है। इसके अलावा हर वन मंडल के कण्ट्रोल रूम का अपना अलग फोन नंबर है।

सेटेलाइट की ली जा रही है मदद

ओ पी यादव बताते हैं कि वनों में लगी आग का पता लगाने के लिए हम सेटेलाइट की भी मदद लेते हैं। आग के लोकेशन का पता चलते ही संबंधित इलाके में तैनात वनकर्मी को मैसेज भेजकर अलर्ट किया जाता है, ताकि आग को बढ़ने से पहले ही काबू में कर लिया जाये।

वन विभाग भले ही सतर्कता दिखा रहा है मगर वर्तमान में हड़ताल के चलते जंगलों में लगी आग को बुझाने में दिक्क्तें तो आ ही रही हैं। जंगलों में कई स्थानों पर आग की लपटें दिखाई पड़ जाती हैं, जिन्हे बुझाने वाला कोई भी अमला नहीं होता है। ऐसा ही कुछ नजारा हमारे रिपोर्टर ने अपने कैमरे में कैद किया। आग लगने की यह घटना कोरबा जिले के मड़वारानी पहाड़ की है। देखिये वीडियो :

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