छत्तीसगढ़ सरकार ने परसा कोयला खनन परियोजना को दी अंतिम मंजूरी, विरोध की तैयारी में जुटे इलाके के रहवासी और संगठन
छत्तीसगढ़ सरकार ने परसा कोयला खनन परियोजना को दी अंतिम मंजूरी, विरोध की तैयारी में जुटे इलाके के रहवासी और संगठन

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने सूरजपुर और सरगुजा जिलों में पड़ने वाली परसा ओपनकास्ट कोयला खनन परियोजना के लिए भूमि के गैर-वानिकी उपयोग और कोयला खनन को अंतिम मंजूरी दे दी है,
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा परसा खनन परियोजना के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि की स्वीकृति 6 अप्रैल को दी गई थी। छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 15 शर्तों के साथ खनन की स्वीकृति प्रदान की, जिसका उल्लेख अनुमोदन आदेश में किया गया है।

छत्तीसगढ़ में जिन कोल ब्लॉक्स का विरोध किया जा रहा है, उनमे परसा खनन परियोजना भी शामिल है। आरोप है कि फर्जी ग्राम सभा के सहारे इस परियोजना को मंजूरी दी गई, और शिकायत के बावजूद सरकार ने ग्रामसभाओं की जांच नहीं कराई।

सैकड़ों लोग होंगे विस्थापित

परसा कोल ब्लॉक का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं का दावा है कि परसा खनन परियोजना के कारण लगभग 700 लोग विस्थापित होंगे और लगभग 841 हेक्टेयर घने जंगल नष्ट हो जाएंगे।

राजस्थान को आबंटित है कोल ब्लॉक

परसा कोयला ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आबंटित किया गया है। हाल ही में इसी कोयला खदान के लिए अनुरोध करने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रायपुर आकर सीएम भूपेश बघेल से मिले थे।

इस तरह दी गई ‘परसा’ को मंजूरी

जुलाई 2019 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने परसा कोयला खदान को 5 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) की क्षमता से संचालित करने के लिए पर्यावरण मंजूरी (EC) प्रदान की।
फरवरी 2020 में, मंत्रालय द्वारा परसा कोयला खदान के लिए स्टेज- I वन मंजूरी जारी की गई थी और अक्टूबर 2021 में, परियोजना के लिए स्टेज- II वन मंजूरी जारी की गई थी।

अंतिम स्वीकृति के बाद विरोध तेज

बिलासपुर के पर्यावरण अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने इसका विरोध करते हुए कहा है “छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा परसा कोयला ब्लॉक को दी गई अंतिम मंजूरी न केवल सरगुजा क्षेत्र के आदिवासियों के साथ विश्वासघात है, बल्कि हसदेव बांगो बांध के लिए भी हानिकारक है। 2009 की जनगणना वन विभाग के अनुसार, लगभग 95,000 पेड़ों को काटे जाने की उम्मीद थी, लेकिन अब 2022 में पेड़ों की संख्या लगभग 2 लाख होगी, ”

फर्जी ग्राम सभाओं का सहारा

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की सदस्य बिपाशा पॉल ने कहा कि “परसा ओपन कास्ट कोयला खनन परियोजना के लिए हसदेव अरण्य वन में 841.538 हेक्टेयर वन के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अंतिम आदेश संविधान की पांचवीं अनुसूची, पेसा 1996 और वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत दिए गए प्रावधानों का पूर्ण उल्लंघन है। परसा कोयला खदान के लिए वन मंजूरी की पूरी प्रक्रिया फर्जी ग्राम सभा दस्तावेजों और कलेक्टर से मिले प्रमाण पत्र पर आधारित है। उपर्युक्त कानूनों की घोर अवहेलना के बावजूद, MoEFCC और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों ने मंजूरी दी, जो समुदाय और इस क्षेत्र के संरक्षण मूल्य के पक्ष में नहीं है, बल्कि कॉर्पोरेट हित के पक्ष में है।”

प्रभावित ग्रामीणों का लगातार जारी है आंदोलन

आपको बता दें कि परसा कोल ब्लॉक से इलाके के 6 गांव साल्ही, हरिहरपुर, घाटबर्रा, फतेपुर, तारा और जनार्दनपुर हैं। यहां से सैकड़ों ग्रामीणों का दल पदयात्रा कर राजधानी रायपुर पहुंचा था और यहां राजयपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर परसा कोल् ब्लॉक को स्वीकृति नहीं देने की मांग की थी। साथ ही फर्जी ग्राम स्वीकृति की शिकायत भी की थी। रायपुर से लौटने के बाद से ग्राम हरिहरपुर में ग्रामीणों का धरना आज भी जारी है।

विरोध की बन रही है रणनीति

परसा कोल ब्लॉक को अंतिम स्वीकृति दिए जाने की जानकारी मिलते ही छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक शुक्ला सहित प्रभावित ग्रामीण और संगठनों की बैठक इलाके में शुरू हो गई है। इसमें यह तय किया जायेगा कि किस तरह विरोध किया जाये। जानकारी के मुताबिक कोल ब्लॉक से सम्बंधित कुछ मुद्दों पर NGT और हाईकोर्ट में प्रकरण चल रहा है। फ़िलहाल आंदोलन का स्वरुप कैसा हो इस पर विचार किया जा रहा है।

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