आईपीएस मुकेश गुप्ता का निलंबन समाप्त, पदोन्नति पर संशय बरक़रार
आईपीएस मुकेश गुप्ता का निलंबन समाप्त, पदोन्नति पर संशय बरक़रार

बिलासपुर। प्रदेश के सबसे विवादस्पद IPS अधिकारी मुकेश गुप्ता खुद को बचाने के एक और प्रयास में विफल हो गए हैं। मदनवाड़ा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्यवाही पर रोक लगाने हेतु उनके द्वारा दाखिल की गई याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

मुकेश गुप्ता की लापरवाहियां हुईं उजागर

12 जुलाई 2009 को राजनांदगाँव के मदनवाड़ा में हुए नक्सली हमले में 29 जवानों समेत तात्कालीन राजनांदगांव एसपी विनोद चौबे शहीद हो गए थे। कांग्रेस की सरकार के आने के बाद मदनवाड़ा हमले पर रिटार्यड जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। जांच आयोग ने दुर्ग रेंज के तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता की मुठभेड़ के दौरान क़ई लापरवाही अपनी जांच रिपोर्ट में बताई है।

कार्रवाई से बचने दाखिल की थी याचिका

मदनवाड़ा कांड की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्यवाही से अंतरिम राहत पाने के लिए मुकेश गुप्ता ने अधिवक्ता गैरी मुखोपाध्याय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका की सुनवाई 12 अप्रैल को जस्टिस आरसीएस सामंत के सिंगल बेंच में हुई। जिसमे मुकेश गुप्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने पेश होकर अदालत को बताया कि न्यायिक जांच आयोग ने मुकेश गुप्ता का पक्ष सुने बगैर ही एकतरफा अपनी रिपोर्ट दे दी है। 12 अप्रैल को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसमें फैसला देते हुए आज मुकेश गुप्ता क़ी अंतरिम राहत देने की मांग को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार को भी नोटिस जारी करते हुए 8 सप्ताह में जवाब मांगा है ।

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