दिल्ली में प्रशांत किशोर बना रहे हैं चुनावी रणनीति, सोनिया गांधी की मौजूदगी में अशोक गहलोत और भूपेश बघेल के साथ हुई चर्चा

टीआरपी डेस्क। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर से अगले लोकसभा चुनाव और कांग्रेस में नयी जान फूंकने के लिए पेश की गयी रणनीति पर पार्टी के भीतर चल रहे गहन मंथन के क्रम में बुधवार को भी जारी रहा।आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ कांग्रेस के आला नेताओं ने चर्चा की। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि किशोर की ओर से दिए गए सुझावों पर मंत्रणा का दौर अगले एक-दो दिन में संपन्न हो जाएगा।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में गहलोत और बघेल के समक्ष किशोर ने अपनी रणनीति रखी और आज कुछ अतिरिक्त सुझाव भी दिए। इस मौके पर कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी और सुरजेवाला भी मौजूद थे। बैठक के बाद सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर के सुझावों पर विचार के लिए एक समिति बनाई थी।

इन सुझावों में कांग्रेस संगठन को और प्रभावी बनाने और आने वाले चुनावों में संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने, संगठनात्मक बदलाव करने, संगठन को लोगों को अकांक्षाओं के अनुरूप बनाने की बातें शामिल हैं। इन सुझावों पर पिछले तीन दिनों से गहन मंत्रणा हो रही है। उन्होंने बताया कि समिति ने यह समझा कि संगठन को और प्रभावी बनाने के लिए दोनों मुख्यमंत्रियों से उनके सुझाव लेने जरूरी हैं। ऐसे में आज दोनों मुख्यमंत्रियों से मंत्रणा की गई।

सुरजेवाला ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले 24 से 48 घंटे में यह मंत्रणा पूरी हो जाएगी। पिछले पांच दिनों के भीतर प्रशांत किशोर चौथी बार सोनिया गांधी के आवास पर पहुंचे थे। किशोर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर शनिवार को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और वरिष्ठ नेताओं के समक्ष पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई और अगले लोकसभा चुनाव की रणनीति का खाका पेश किया।

सूत्रों ने बताया कि किशोर ने सुझाव दिया है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों में कांग्रेस को नए सिरे से अपनी रणनीति बनानी चाहिए और इन प्रदेशों में गठबंधन से परहेज करना चाहिए. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, अपनी प्रस्तुति में प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि कांग्रेस को लगभग 370 लोकसभा सीट पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल एवं तमिलनाडु में गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहिए।

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