छत्तीसगढ़ के स्कूलों में बच्चे जैविक तरीके से उगाएंगे सब्जियां, 3 मई अक्षय तृतीय से होगी शुरुआत

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या जीवनयापन के लिए कृषि पर निर्भर हैं। ऐसे में राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अब भी बच्चों को सब्जियां उगाने का पाठ पढ़ाया जाएगा।

बता दें कि छात्र जैविक खेती रासायनिक खाद और दवाईयों के इस्तेमाल किए बिना सब्जियाँ उगाएंगे। शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी शुरु कर दी हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल 3 मई से अक्षय तृतीय-अक्ती पर माटी पूजन दिवस मनाने की घोषणा की है। शुरुआत में कृषि की पढ़ाई वाले हायर सेकेंडरी स्कूलों को इसमें लिया गया है।

इन सभी स्कूलों की भूमि पर बच्चे रासायनिक खाद और दवाईयो का इस्तेमाल किए बिना सब्जियाँ उगाएंगे। इन सब्जीयों का इस्तेमाल मध्याह्न भोजन में किया जाएगा। प्राकृतिक खेती में किसान और जनता की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए इस आयोजन को महाअभियान के रूप में आयोजीत किया जाएगा।

कृषि विभाग ने राज्य भर में हार्वेस्टर और आयुक्तों को एक परिपत्र जारी किया। सरकार ने कहा कि वह माटी पूजन दिवस मनाने के लिए ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत स्तरों के साथ-साथ रायपुर में राज्य स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेगी।

अधिकारियों का कहना है, प्रदेश के 214 हायर सेकेंडरी स्कूलों में कृषि संकाय संचालित है। कृषि के अध्ययन-अध्यापन के लिए स्कूलों में मापदंड अनुरूप कम से कम चार एकड़ कृषि भूमि उपलब्ध है। यहां जैविक खेती की जाएगी। शिक्षा विभाग ने यहां भूमि के रखरखाव, जैविक बीज, वर्मी कम्पोस्ट, गोमुत्र आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है। जैविक खेती के लिए संबंधित जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र एवं उद्यानिकी विभाग के वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों की मदद ली जाएगी।

अधिकारियों का कहना हैं ,विद्यालयों में किचन गार्डन से बच्चे इस कार्य में प्रशिक्षित होंगे, और बच्चो में जैविक खेती के प्रति लगाव उत्पन्न होगा। शहरो के ऐसे स्कूल जहाँ किचन गार्डन के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है, ऐसे क्षेत्रों में गमले में सब्जियाँ उगाई जाएंगी। इसमें लता वाली सब्जियाँ जैसे लौकी ,तोरई ,कददू ,खीरा ,करेला खरबूज आदि लगायी जाएंगी। इन गतिविधियों से बच्चों का प्रकृति के प्रति आकर्षण बढ़ेगा और उनमें पर्यावरण को संरक्षित करने की भावना जागृत होगी।

अधिकारियों का कहना है, वर्तमान में राज्य के लगभग 90% स्कूलों में अहाता और पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है। इस नये अभियान का मकसद स्कूलों में थोड़े प्रयास से जैविक किचन गार्डन अथवा पोषण वाटिका का विकास किया जाना है। मध्याह्न भोजन में इसे शामिल करने से पोषण मिलेगा और बच्चों को प्रशिक्षित भी किया जा सकेगा।

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