TRP डेस्क : भारतीय नौकरशाही में भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज है जिससे हर देशवासी भली-भांति परिचित हैं। हॉन्ग कॉन्ग स्थित “पॉलिटिकल एंड इकोनॉमिक रिस्क कंसल्टेंसी” की 2012 की एक रिपोर्ट ने भारतीय नौकरशाही को एशिया में सबसे खराब करार दिया था। कुछ ईमानदार अधिकारियों को छोड़कर, अधिकांश ब्यूरोक्रेट्स आमतौर पर अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। कई बार तो बार-बार तबादले और खराब जगहों पर पोस्टिंग से परेशान होकर इमानदार अधिकारी भी भ्रष्टाचार में संलिप्त हो जाते हैं। उनके लिए सिस्टम से लड़ने के बजाय चाटुकारिता करना अधिक आसान होता है। नौकरशाही में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के साथ, ऐसा लगता है कि लोक सेवाओं में शामिल होने का एकमात्र मकसद ही ताकत हासिल करना, सुविधाओं का आनंद लेना और आसानी से इज्जत और बहुत सारा पैसा कमाना है। आइये नजर डालते हैं भारत के कुछ ऐसे ही IAS अधिकारियों पर जिनके कारण हमारी सोच IAS अधिकारियों की छवी को लेकर इतनी नकारात्मक हो गई है।

पूजा सिंघल (Pooja Singhal – Jharkhand)

झारखंड पूर्व उद्योग सचिव पूजा सिंघल की IAS अधिकारी पूजा सिंघल इन दिनों चर्चा में हैं। सरकार की खासमखास आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल के भ्रष्ट कारनामों के आरोप भी काफी चर्चा में है। भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में घिरीं झारखंड की आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया। कड़ी पूछताछ के बाद ईडी ने पूजा सिंघल के खिलाफ मनरेगा घोटाले के मामले में कार्रवाई की। ईडी ने पूजा सिंघल के करीबियों के रांची और बाकी ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे थे। मीडिया रिपोर्टेस के अनुसार छापे के दौरान ईडी को 19 करोड़ से अधिक कैश और कई अहम दस्तावेज मिले थे। बता दें कि यह मामला कई साल पुराना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूजा सिंघल के CA के घर से 19 करोड़ कैश से ज्यादा बरामद हुआ था। बहरहाल पूजा सिंघल के मामले में जांच जारी है और मामला लंबित है।
एस. मलाइचामी (S. Malaichamy – Delhi)

दिसंबर 2012 में दिल्ली की एक अदालत द्वारा खादी ग्राम उद्योग के 72 वर्षीय पूर्व एमडी को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में पांच साल की जेल की सजा दी गई थी और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। वे 1971 बैच (एजीएमयूटी कैडर) के आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी के रूप में भी काम किया था। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 1971 में आईएएस अधिकारी बनने के बाद उनकी संपत्ति 46 लाख से रु. बढ़कर 1.3 करोड़ हो गई। यह बढ़त उनकी आय के ज्ञात स्रोत से अत्यधिक अनुपातहीन था। एस मलाइचामी की गिनती भारत के सबसे भ्रष्ट अधिकारियों में की जाती है। (Source-Indian Express)
नितेश जनार्दन ठाकुर (Nitesh Janardan Thakur – Maharashtra)

मार्च 2012 में, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मुंबई में नितेश जनार्दन ठाकुर के डुप्लेक्स फ्लैट पर छापा मारा। पता चला कि उसके पास एक 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और नकदी है। जी हाँ 200 करोड़, वह भी उनकी लोक सेवा काल के 12 साल के अंदर। संपत्तियों के अलावा, उनके पास लैंड रोवर, मर्सिडीज और बीएमडब्ल्यू सहित 10 लग्जरी गाड़ियाँ थीं। जब वे अलीबाग के कलेक्टर थे तो उन्होंने जमीन के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। नितेश पर अपनी पत्नी के साथ सेवा में रहते हुए कई फर्जी कंपनियाँ बनाकर उनके नाम पर 300 करोड़ गबन करने का आरोप लगा था। शिकायत के आधार पर मुंबई की डीसीबी सीआईडी अपराध शाखा ने जालसाजी, धोखाधड़ी और जबरन वसूली के आरोप में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 387, 467, 471 और 420 के तहत नीतेश ठाकुर और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया। ईडी द्वारा जांच शुरू करने से पहले नीतीश ठाकुर विदेश भाग गए थे और वर्तमान में उनके दुबई में होने की सूचना है। (Source – Business Standard)
जोशी दंपत्ती (Arvind Joshi & Tinoo Joshi – Madhya Pradesh)

1971 बैच के इस आईएएस दंपति को आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। एक ही वर्ष में जन्मे, इन अधिकारियों ने एक ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय से एक साथ एमबीए किया, इसके बाद एक ही वर्ष में भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए चुने गए और उन्हें एक ही कैडर आवंटित किया गया। जिसके बाद एक साथ भ्रष्टाचार करते हुए दोनों एक साथ जेल भी पहुँच गए। सितंबर 2015 में आत्मसमर्पण करने के बाद टीनू जोशी ने बिमारी को आधार बनाकर जमानत लेने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। (Source – Outlook)
नीरा यादव (Neera Yadav – Uttar Pradesh)

नीरा यादव को 2012 में सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया था जिसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यादव सजा को आगे बढा दिया। नीरा यादव ने 1971 में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और सेवा संवर्ग के रूप में अपना गृह राज्य उत्तर प्रदेश प्राप्त किया। उनका नाम पूरे यूपी और एनसीआर कई जमीन घोटालों में सामने आया था। नोएडा में रहते हुए, उन्होंने बड़े पैमाने में कई राजनेताओं और बिज़नेसमैन को पॉश इलाकों में भूमि भूखंड आवंटित किए थे। और इसके एवज में मोटी रकम वसूली थी। करीबी राजनीतिक संबंधों के कारण अधिकारी उसके खिलाफ जांच का आदेश देने से हिचकते रहे। अगस्त 2017 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव की दोषी करार दिया और भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई। (Source – Business Standard)
बाबूलाल अग्रवाल (Babulal Agrawal – Chhattisgarh)

2010 में छत्तीसगढ़ सरकार ने 1998 बैच के आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल को निलंबित किया था। उस समय अग्रवाल राज्य के कृषि सचिव के रूप में कार्यरत थे। आईटी के छापे में, यह पाया गया कि उनकी कुल संपत्ति 500 करोड़ से अधिक की थी। साथ उनके 446 बेनामी बैंक खातों में 40 करोड़ रुपये जमा थे। इसके साथ ही, उनके पास 16 फर्जी कंपनियां थीं, जिनका इस्तेमाल उन्होंने हवाला लेनदेन के लिए किया था। गहन जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी संपत्तियों को कुर्क किया। (Source – NDTV)
टी. ओ. सूरज (T. O. Suraj – Kerala)

वह केरल कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। 2003 से उनका नाम कई विवादों में सामने आया। उनका नाम मराड में हिंदू-मुस्लिम दंगों को भड़काने में सामने आया। जब वे कोझीकोड के जिला कलेक्टर के रूप में कार्यरत थे। बाद में उन पर कई जमीन हथियाने और आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप लगे। विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके आवास पर छापेमारी के दौरान 20 लाख रुपये नकद और 30 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए। बताया गया था कि उनके पास कोच्चि में सात लग्जरी फ्लैट, दुबई में एक फ्लैट और ऐसी ही अन्य अघोषित संपत्तियां थीं। माना जाता है कि वे बेनामी लेनदेन में भी शामिल थे। (Source – The News Minute)
राकेश बहादुर (Rakesh Bahadur – Uttar Pradesh)
राकेश बहादुर उत्तर प्रदेश कैडर के एक दागी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ उनके बहुत करीबी संबंध थे। नोएडा भूमि आवंटन परियोजना में अनियमितताओं का पता चलने पर उन्हें 2009 में मायावती सरकार ने निलंबित कर दिया था। मायावती सरकार के अनुसार, वे अपने सहयोगियों के साथ 4000 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में शामिल थे। लेकिन ढाई साल के निलंबन के बाद अखिलेश यादव ने उन्हें बहाल कर दिया और उन्हें नोएडा विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद से सम्मानित किया। (Source – The Economics Times)
सुभाष अहलूवालिया (Subhash Ahluwalia – Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुभाष अहलूवालिया मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रधान निजी सचिव थे। विजिलेंस ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप में उनसे और उनकी पत्नी (कॉलेज की प्रिंसिपल) से पूछताछ की थी। बाद में उन्हें उनकी सेवा से निलंबित कर दिया गया और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन कुछ समय बाद कांग्रेस सरकार ने उन्हें विभागीय जांच से मुक्त कर दिया और उन्हें फिर से बहाल कर दिया। (Source – Indian Express)
राकेश कुमार जैन (Rakesh Kumar Jain – Jharkhand)

वाणिज्य विभाग के निदेशक के रूप में कार्य करते हुए, IAS जैन को वर्ष 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। 7.5 लाख रुपये घूस लेने के आरोप में उनपर 2 लाख का जुर्माना भी लगाया गया। उनका नाम झारखंड की एक कंपनी- सिस्को (शिवम आयरन एंड स्टील कंपनी) द्वारा अधिग्रहित कोयला लिंकेज के हस्तांतरण में सहायता के लिए रिश्वत लेकर अपने पद का दुरुपयोग करने के लिए सामने आया था। IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत, CBI की एक अदालत ने उन्हें साजिश और अन्य अपराधों के आरोप में दोषी ठहराया। (Source – Indian Express)
Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्राम, कू और वॉट्सएप, पर…