कांकेर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज भेंट मुलाकात कार्यक्रम में कांकेर के दौरे पर है। अपने कांकेर दौरे पर उन्होंने आज कांकेर विधानसभा के लिए 124 करोड़ रूपए के विकासकार्यों का उद्घाटन और शिलान्यास किया। सीएम बघेल ने कांकेर में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 8.43 करोड़ के 13 विकास कार्यो का उद्घाटन किया। वही जल संसाधन विभाग के 26.71 करोड़ के 04 विकास कार्यों समेत लोक निर्माण विभाग के 31.53 करोड़ के 17 कार्यों, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत 93.07 लाख लागत के डूमाली में सड़क निर्माण, नगरीय प्रशासन विभाग अंतर्गत 2.24 करोड़ लागत से 13 आंगनबाड़ियों भवनों के निर्माण, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कारपोरेशन के द्वारा आयुष पाॅलीक्लीनिक भवन निर्माण हेतु 2.38 करोड़ रूपये, जिला खनिज संस्थान न्यास द्वारा 91.41 लाख लागत से 11 देवगुड़ियों के निर्माण के साथ 1.36 करोड़ के अन्य 12 विकास कार्यों का भूमि पूजन किया गया।

इसके अलावा मुख्यमंत्री द्वारा जिला निर्माण समिति के 36.16 करोड़ लागत के 06 विकास कार्यों, नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा 72.67 लाख लागत से हुए डंडिया तालाब सौन्दर्यीकरण, जल संसाधन विभाग द्वारा 3.25 करोड़ लागत से नाथियानवागांव एनिकट निर्माण, लोक निर्माण विभाग द्वारा 5.54 करोड़ लागत से तहसील कार्यालय भवन कांकेर एवं मातृ एवं शिशु रोग विभाग हेतु भवन, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा 3.76 करोड़ लागत से निर्मित एकीकृत सुविधा केन्द्र एवं 50 लाख रूपयों की लागत से निर्मित गांधी ग्राम कुलगांव के निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया गया।

बस्तरवासियों की सहमति के बिना नहीं शुरू होगी बोधघाट परियोजना

कांकेर में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जब तक बस्तर के लोग सहमत नहीं होंगे बोधघाट परियोजना प्रारम्भ नहीं की जाएगी। सीएम ने कहा कि ” सरकार का पहले साल चुनाव में और आगे का दो साल कोरोना के प्रबंधन में बीता। हमने समय का सदुपयोग कर योजनाएँ बनाई अब जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है। लोग योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।”

मुख्यमंत्री ने मीडिया से आगे कहा कि “बस्तर की अपनी अलग पहचान है। भौगोलिक से लेकर वनोपज और पर्यटन से लेकर नक्सल तक की बात होती है। 3.5 साल में बस्तर और कांकेर में परिवर्तन दिख रहा है। पिछले साढ़े तीन सालों में जो परिवर्तन हुए हैं, वो सबको दिख रहे हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सभी जिलों ने काम किया है।”

आदिवासी हैं जंगल के संरक्षक

इससे पहले आज सुबह कांकेर सर्किट हाउस में सीएम भूपेश बघेल ने अफसरों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासियों को जंगल में रहने पर सजा का अहसास ना हो बल्कि उन्हें सभी सुविधाएँ नियमों के दायरे में ही मिले। आदिवासी संस्कृति वनों का नुक़सान करने की नहीं है, बल्कि आदिवासी वनों के संरक्षक हैं। वो दिन भी देखे जब ना आधार कार्ड था ना वोटर कार्ड, ना राशन मिलता था ना किसी योजना का लाभ, लेकिन अब परिस्थितियाँ बदली हैं। शासकीय योजना का अच्छा क्रियान्वयन हो तो जनता शिकायत नहीं करेगी।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सक्रिय होकर काम करेंगे, लोगों की बेहतरी के लिए काम करेंगे तो प्रशंसा मिलेगी आपका भी नाम होगा। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन साल पहले के कांकेर और अब के कांकेर में बहुत अंतर आया है। स्कूल अच्छे हो रहे हैं तो पढ़ाई का स्तर भी बढ़ रहा है। गाँव में जो काम कर रहे हैं, उसका असर शहर में भी दिख रहा है।

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