बलरामपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में धर्मान्तरित लोगों को डिलिस्टिंग करने की मांग तेज होती जा रही है। प्रदेश भर के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में इस मांग को लेकर रैलियां निकाली जा रही है, जिसमे बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हो रहे हैं। ऐसी ही एक रैली बलरामपुर जिले में निकाली गई, जिसमे भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
पूर्व मंत्री भगत ने शुरू की मुहिम
जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने धर्मान्तरण के मुद्दे को लेकर अभियान शुरू किया था और अब उनकी पहल पर ढर्मान्तरित लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की मांग को लेकर प्रदेश भर में मुहिम चलाई जा रही है। इनकी मांग है कि धर्मान्तरित लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित किया जाये।
इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में “डिलिस्टिंग” की मांग को लेकर जनजातीय सुरक्षा मंच के बैनर तले हजारों आदिवासी सड़क पर उतरे। धर्मांतरित आदिवासियों पर दोहरा लाभ लेने का आरोप लगाते हुए उन्हें आदिवासियों की सूची से बाहर करने की मांग को लेकर बलरामपुर में हुई रैली में मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत, राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम, वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय, पूर्व संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा के साथ हजारों की संख्या में आदिवासी समाज से जुड़े हुए लोग सड़कों पर उतरे।
मूल आदिवासी हक़ से हो रहे वंचित : नेताम
राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने इस मौके पर कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के लाखों लोग धर्मांतरित हो चुके हैं, ऐसे लोग आदिवासी के साथ अल्पसंख्यक का भी दर्जा प्राप्त कर दो लाभ शासन से ले रहे हैं, इसके चलते वास्तविक आदिवासियों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। ऐसे लोगों को केंद्र सरकार से जल्द “डिलिस्टिंग” कराने की मांग को लेकर रैली का आयोजन किया गया।
दोहरा लाभ उठा रहे हैं धर्मांतरित लोग : नन्दकुमार साय
डीलिस्टिंग रैली में आदिवासी समाज के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने कहा कि सभी धर्मांतरित लोगों को जल्द से जल्द डिलिस्टिंग किया जाए और उन्हें अल्पसंख्यक वर्ग का भी लाभ ना मिले। भारत सरकार इस पर जल्द से जल्द फैसला ले।
धर्मान्तरण के बाद रीति-रिवाज भी बदला : भगत
जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने बलरामपुर में कहा कि डिलिस्टिंग की मांग एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है, आगे चलकर इससे और अधिक लोग जुड़ेंगे। भारत सरकार जल्द ही इस विषय पर फैसला ले। उन्होंने कहा कि जो लोग धर्म परिवर्तन कर चुके हैं, उन्होंने अपने रीति रिवाज को भी बदल दिया है, इसके बाद भी वे जनजातीय आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं, ऐसे लोगों पर डीलिस्टिंग करते हुए इनका आरक्षण समाप्त किया जाए।
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