RIMS dean's license canceled
RIMS पर छात्रों ने लगाया दुश्मनी निकालने का आरोप, प्रबंधन की गड़बड़ी उजागर करने के कारण रोका छात्रों का प्रमाण पत्र

रायपुर : रायपुर के RIMS कॉलेज (रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस) से छात्रों के साथ दुश्मनी निकालने के आरोप लग रहे हैं। दरअसल कुछ छात्रों का आरोप है कि RIMS प्रबंधन उनसे दुश्मनी निकालने के नाम पर इंटर्नशिप पूरी हो जाने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं दे रहा है। जिसके कारण छात्रों का भविष्य अधर पर लटका हुआ है। दरअसल कुछ छात्रों ने RIMS प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, पुराने कुछ कारणों को ध्यान में रखकर रिम्स प्रबंधन लगातार उन छात्रों को प्रताड़ित कर रहा है और उनसे उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है। जिसके तहत उन्हें तरह-तरह से परेशान करने की कोशिश भी की जा रही है। छात्रों ने यह भी बताया कि इस संबंध में मेडिकल क्षेत्र से संबंधित समस्त संगठनों से शिकायत की जा चुकी है। जिसपर छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल ने RIMS प्रबंधन को 48 घण्टे के अंदर छात्रों को प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश भी दिए। लेकिन प्रबंधन के द्वारा छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के निर्देश की भी अवहेलना कर दी है।

ये है पूरा मामला

इंटर्नशिप पूरी हो जाने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने के मामले पर प्रमाण पत्र से वंचित छात्रों ने RIMS पर आरोप लगाते हुए बताया कि कुछ समय पहले रिम्स प्रबंधन के द्वारा छात्रों से स्टाइपेंड के नाम पर एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर लिया जा रहा था। जिसमें लिखा हुआ था कि छात्रों को पूरा स्टाइपेंड दिया जा चुका है। जबकि दस्तखत करने तक उन्हें स्टाइपेंड नहीं दिया गया था। इसका इन छात्रों ने विरोध जताया। रिम्स प्रबंधन के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर छात्रों ने इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। जिसके बाद जिन छात्रों का नाम याचिकाकर्ताओं की सूची में शामिल था, सिर्फ उन्हीं छात्रों की इंटर्नशिप का प्रमाण पत्र रोक दिया गया है। छात्रों का सीधा आरोप है कि हाईकोर्ट में रिम्स प्रबंधन की गड़बड़ी को उजागर करने के कारण रिम्स प्रबंधन छात्रों से दुश्मनी निकाल रहा है और उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि किसी भी तरह उस शिकायत को वापस लें।

छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के निर्देश की हुई अवमानना

रिम्स प्रबंधन की इस मनमानी के संबंध में छात्रों ने छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में इस बात की शिकायत की थी। जिसके बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के द्वारा इस विषय पर व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया था। लेकिन उसमें रिम्स प्रबंधन से कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ। जिसके बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसलिंग ने रिम्स प्रबंधन को 8 जून को इस बात के निर्देश दिए कि “48 घंटे के भीतर नियमानुसार इंटर्नशिप प्रदान किया जाए। अन्यथा आपके संस्था के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।” CGMC के सख्त निर्देश के बावजूद रिम्स प्रबंधन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और इस निर्देश की अवहेलना करते हुए प्रबंधन ने छात्रों के को इंटर्नशिप का प्रमाण पत्र नहीं प्रदान किया।

CGMC के द्वारा जारी पत्र

छात्रों के पास है इंटर्नशिप के प्रमाण

पीड़ित छात्रों ने बताया कि उनके पास उनके इंटर्नशिप से संबंधित सभी प्रमाण है। छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा ट्रेनिंग के समय किए गए कार्यों का लॉग बुक (LogBook) (जिसमें यह पूरा रिकॉर्ड होता है कि छात्रों ने कौन कौन से काम सीखे हैं) उसे भी प्रबंधन के द्वारा जब्त कर के रख लिया गया है। हालांकि छात्रों ने उसकी तस्वीरें पहले ही अपने मोबाइल पर निकाल ली थी। जिसकी प्रति को उन्होंने छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में शिकायत करने के समय संलग्न भी किया था। छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के द्वारा जारी किए गए निर्देश में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि, छात्रों के पास लॉग बुक की कॉपी है। जिसे उन्होंने काउंसिल के समक्ष प्रस्तुत किया है। इसके बाद भी रिम्स प्रबंधन की ओर से छात्रों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है।

ये है प्रबंधन का कहना

छात्रों के प्रमाण पत्र ना देने के संबंध में RIMS के डीन डॉ गंभीर सिंह से जब TRP ने बात की तो उन्होंने बताया कि, दरअसल यह पूरा मामला अटेंडेंस से जुड़ा हुआ है। छात्रों के कुछ दिनों के अटेंडेंस इंटर्नशिप में कम है। जिसके लिए उन्हें उस हिस्से को रिपीट करने का आग्रह प्रबंधन के द्वारा किया गया। लेकिन छात्र इस बात को मान नहीं रहे हैं। जिसके कारण उनका प्रमाण पत्र रुका हुआ है। वही छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के द्वारा जारी निर्देश के संबंध में डॉ गंभीर सिंह ने कहा कि, मेडिकल काउंसिल के द्वारा एक पक्ष की बात सुनकर निर्णय लिया गया है रिम्स प्रबंधन के द्वारा एक बार रिम्स का पक्ष भी देखने का आग्रह मेडिकल काउंसिल के समक्ष किया गया है। इसके साथ ही सुनवाई में किसी कारण से नहीं पहुंच पाने के कारण एक बार और सुनवाई की तिथि मेडिकल काउंसिल से मांगी गई है।

छात्रों के पास लॉग बुक की प्रति होने के संबंध में डॉक्टर गंभीर सिंह ने बताया कि सिर्फ लॉग बुक की अटेंडेंस का क्राइटेरिया पूरा नहीं करता है। इसके साथ में सीसीटीवी और बायोमैट्रिक अटेंडेंस जैसे कुछ अनिवार्य चीजों की जांच करना भी आवश्यक है। जिनमें छात्रों की उपस्थिति का प्रमाण नहीं है इसलिए पूरे क्राइटेरिया में से केवल एक लॉग बुक को ही आधार मानकर रिम्स प्रबंधन पर ऐसे आरोप लगाना अनुचित है। साथ ही हाइकोर्ट के याचिकाकर्ताओं का ही प्रमाण पत्र रुकने के संबंध में डॉ सिंह ने कोई सटीक तर्क नहीं दिया।

छत्तीसगढ़ के डीएमई डॉक्टर विष्णु दत्त ने टीआरपी से चर्चा में कहा कि इस संबंध में उन्होंने रिम्स प्रबंधन को पत्र लिखकर छात्रों को की समस्याओं को सुनकर उस पर विचार करने की निर्देश दे दिए हैं।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर