सुप्रीम कोर्ट
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TRP DESK: केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई महत्वाकांक्षी सैन्य योजना ‘अग्निपथ’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना के राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना पर प्रभाव की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व जज की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाए और इस मामले की गहनता से पड़ताल की जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कोर्ट से इस योजना के खिलाफ हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन के साथ रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट इसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का भी गठन करे।

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याचिका में कहा गया है कि अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद शुरू हुए हिंसक विरोध ने पूरे देश को गंभीर समस्या में घेर लिया है। इस योजना में युवाओं की मुख्य चिंता सेवा की अवधि (4 साल) का है, जो कहीं से भी उचित नहीं ठहराई जा सकती है। इसके अलावा अग्निवीरों को कोई पेंशन लाभ भी नहीं दिया जाएगा। योजना का विरोध करने वाले हजारों बेरोजगार युवाओं ने आरोप लगाया है कि अग्निपथ योजना उन सैनिकों के लिए अनिश्चितता भरी है, जिन्हें 4 साल बाद सेवाएं छोड़नी होंगी।

याचिकाकर्ता ने गिनाई स्कीम सम्बन्धी समस्याऐं

याचिकाकर्ता विशाल तिवारी के अनुसार, 4 साल का अनुबंध पूरा होने के बाद कुल गठित बल का 25 प्रतिशत ही सेवा में जाएगा और बाकी कर्मियों को छोड़ दिया जाएगा, जिससे फौज में शामिल होने वाले युवाओं के भविष्य के लिए गंभीर अनिश्चितता पैदा हो जाएगी। इसके अलावा योजना में नौकरी की सुरक्षा के साथ, दिव्यांगता पेंशन सहित किसी भी तरह के पेंशन का लाभ नहीं दिया जाएगा। सैनिकों को उनका कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपये से कुछ अधिक की एकमुश्त राशि ही मिलेगी।

इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि विभिन्न सैन्य दिग्गजों के अनुसार संविदा भर्ती की यह योजना स्थायी भर्ती की तुलना में प्रशिक्षण, मनोबल और प्रतिबद्धता से भी समझौता करने वाला प्रयास साबित हो सकता है। याचिका में कहा गया है कि सेना की संरचना और पैटर्न में इस तरह के प्रयोगात्मक आमूल-चूल परिवर्तन से सैन्य रणनीतिक विस्तार में भी गंभीर अनिश्चितता पैदा हो सकती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। इन्ही मुद्दों के कारण पूरे देश में युवा बेरोजगार गंभीर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट तत्काल इसमें न्यायिक हस्तक्षेप करे।

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