भूमि अधिकार के लिए आयोजित सम्मेलन में शामिल हुईं सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर
भूमि अधिकार के लिए आयोजित सम्मेलन में शामिल हुईं सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर

रायपुर। भूमि अधिकार आंदोलन से संबद्ध देश के समस्त जनवादी कार्यकर्ताओं का सम्मलेन राजधानी रायपुर में आयोजित किया गया। सम्मेलन में किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद कामरेड हन्नान मौला, नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, किसान नेता व पूर्व विधायक डा सुनीलम, प्रफुल्ल सामंत राय, उल्का महाजन सहित छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता पूर्व सांसद अरविंद नेताम, आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम भी शामिल हुए।

छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन को लेकर जो आंदोलन अलग-अलग स्थानों पर चलाया जा रहा है उसे एकजुट करने और भूमि अधिकार आंदोलन से जोड़ने के लिए यह एक दिवसीय सम्मलेन राजधानी रायपुर के बैरन बाजार के पास्टोरल हॉल में आयोजित किया गया। जिसमे विभिन्न स्थानों सिलगेर, रावघाट, हसदेव, नई राजधानी, तुमगांव, चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल भिलाई, रायगढ़ सहित प्रदेश में दर्जनों जगहों पर चल रहे जनवादी, लोकतांत्रिक आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ एवं विभिन्न राज्यों के जनवादी संघर्षों से जुड़े लोगों के अलावा दूसरे राज्यों के कार्यकर्त्ता भी शामिल हुए। जिन्हें प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया।

बहुत संघर्ष किया है छत्तीसगढ़ ने : मेधा पाटकर

नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने इस मौके पर पूर्व में छत्तीसगढ़ में हुए आंदोलनों को याद करते हुए कहा कि जल, जंगल, जमीन की लड़ाई यहाँ सालों से चली आ रही है, मगर हमेशा लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में असंवैधानिक रूप से जमीन हड़पने की कोशिश हो रही है जिसका विरोध समाज का एक व्यापक हिस्सा कर रहा है। जिस विकास मॉडल की बात नरेंद्र मोदी कर रहे हैं उसका स्पष्ट उदाहरण आज देश के हर राज्य में जंगलों के विनाश, खेती की जमीन को बांध बना कर डुबो देने, विस्थापन के मध्यम से लोगों उजाड़ने के रुप में देखने को मिल रहा है। मेधा ने भूमि अधिग्रहण की स्थिति पर बोलते हुए कहा कि आज राज्य सरकारें एक कागज के नोट के आधार पर कंपनियों को जमीनें दे रही हैं। विशेष कर छत्तीसगढ़, झारखण्ड और ओड़िसा में आदिवासियों के प्राकृतिक संसाधनों पर हमले तेज हुए है। हम सब लोग मिल कर नहीं लड़ेंगे तो न हम बचेगे और न समाज बचेगा। इस संदेश को गाँव-गाँव तक पहुँचाना होगा।

इस सम्मलेन को संबोधित करते हुए किसान नेता व पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने छत्तीसगढ़ के स्व. शंकर गुहा नियोगी जैसे श्रमवीरों के संघर्ष को याद किया। उन्होंने कहा कि जब संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन सफल हो सकता है तो वर्तमान में जंगलों की हरियाली और जमीन को बचाने के लिए चल रहे संघर्ष को भी सफलता मिलेगी।

इस एक दिवसीय सम्मलेन को आदिवासी नेता अरविन्द नेताम, मनीष कुंजाम सहित अन्य लोगों ने भी संबोधित किया और प्रदेश में अलग-अलग चल रहे आंदोलन को एकजुट करने पर भी जोर दिया।

गौरतलब है कि भूमि अधिकार आंदोलन की 3 जून को दिल्ली में हुई एक बैठक हुई, जिसमे यह तय किया गया कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जल, जंगल और ज़मीन की कथित लूट के खिलाफ प्रदेश भर में चल रहे आंदोलनों के समर्थन में एकदिवसीय सम्मेलन किया जाए। यह सम्मेलन भूमि अधिकार आंदोलन द्वारा समय-समय पर अलग-अलग राज्यों में किए गए सम्मेलनों की ही कड़ी है। उल्लेखनीय है कि अपने गठन के 7 सालों में भूमि अधिकार आंदोलन ने झारखंड, अहमदाबाद और दिल्ली में सम्मेलन किए हैं और ज़मीन की जबरन लूट के खिलाफ स्थानीय संघर्षों के समर्थन में आवाज़ बुलंद की है।

हसदेव अरण्य के आंदोलनकारियों से मिलेंगी मेधा

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में हसदेव अरण्य का मुद्दा प्रकाश में हैं, जहां 172 लाख हेक्टेयर में फैले हसदेव अरण्य को बचाने के लिए बीते एक दशक से दो जिलों कोरबा और सरगुजा की 30 से ज़्यादा ग्राम सभाएं निरंतर आंदोलनरत हैं। यह इलाका संविधान की पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र के दायरे में आता है। पेसा कानून, 1996 और वनधिकार कानून 2006 के तहत ग्राम सभाओं को विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं। मगर फर्जी ग्राम सभाओं के बूते यहां कोयला खदान शुरू किये जाने की अनुमति देने के आरोप लग रहे हैं। इसी के खिलाफ हसदेव अरण्य क्षेत्र के आदिवासी नागरिक 2 मार्च से परियोजना क्षेत्र में सत्याग्रह कर रहे हैं। इस सत्याग्रह को 100 दिन से ज़्यादा हो रहे हैं। इस बीच दो बार भारी पुलिस बल के साथ रात में ही तकरीबन 600 पेड़ों को कटवाया जा चुका है।

सम्मेलन में शामिल लगभग 15 राज्यों के जन आंदोलन के कार्यकर्त्ता अगले दिन 29 जून को हसदेव अरण्य क्षेत्र में चल रहे अनिश्चतकालीन धरने मे शामिल होंगे। सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर और अन्य सभी प्रमुख लोग इस धरने में शामिल होने के बाद इस आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति के संबंध में मार्गदर्शन भी देंगे।

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