हसदेव अरण्य के आंदोलन को समर्थन देने हरिहरपुर पहुंचे मेधा पाटकर और जनवादी कार्यकर्त्ता
हसदेव अरण्य के आंदोलन को समर्थन देने हरिहरपुर पहुंचे मेधा पाटकर और जनवादी कार्यकर्त्ता

सरगुजा। आज हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान के ख़िलाफ़ हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा किये जा रहे आंदोलन को समर्थन देने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर, किसान नेता डॉ सुनीलम सहित देश के 15 राज्यों से विभिन्न जनवादी संघर्षों के कार्यकर्ता हरिहरपुर धरना स्थल पर पहुंचे। इससे पूर्व काफिले को अडानी की कंपनी के तथाकथित समर्थकों द्वारा रोकने का प्रयास किया गया, मगर आंदोलन से जुड़ी महिलाओं ने मौके पर पहुँच कर उन्हें दूर तक खदेड़ दिया।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की बिपाशा पाल ने TRP न्यूज़ को बताया कि जब मेधा पाटकर और उनका काफिला हरिहरपुर की ओर जा रहा था, तब ग्राम साल्ही के पास कोयला खदान के तथाकथित समर्थकों ने काफिले को रोकने का प्रयास किया। इस बीच हसदेव अरण्य के संघर्ष से जुड़ी महिलाओं को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर खदान समर्थकों को खदेड़ा और काफिले को वही से रैली की शक्ल में नैरा लगते हुए हरिहरपुर पहुंची। बता दें कि खदान के समर्थक ये वही लोग हैं जिन्होंने पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के हरिहरपुर दौरे के मौके पर उन्हें रोककर यह बताने का प्रयास किया था कि इलाके में कोयला खदान खोला जाये तो यहां के आदिवासी और गांव समृद्ध होंगे।

जमीन और जंगल हमेशा देंगे साथ – सुनीता

ग्राम हरिहरपुर में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह ने देश भर से जुटे जनवादी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया। वहीं रामलाल ने हसदेव अरण्य में कोयला खदान खोले जाने से रोके जाने को लेकर चल रहे संघर्ष के सभी महत्वपूर्ण पक्षों के बारे में बताया। आंदोलन की सुनीता पोर्ते ने कहा कि कंपनी के दिए पैसे पेड़ में लगे पत्तों की तरह झड़ जाएँगे, लेकिन हमारी ज़मीन और जंगल हमें हमेशा साथ देंगे।

सरकारें संविधान और जनता से आंखें फेर चुकी – मेधा

मेधा पाटकर ने यहां अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ की जनवादी संघर्ष की परम्परा रही है। वह हसदेव के संघर्ष की जीवटता व प्रतिबद्धता को प्रणाम करती हैं। उन्होंने अड़ानी व उन जैसे पूँजीपतियों को संरक्षण व समर्थन देने वाली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारें अब सविधान और जनता से आँखे फेर चुकी है, पर लोग अब भी संविधान की रक्षा में खड़े है।

इस मौके पर लोरमी विधायक धरमजीत सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने अपनी बात रखते हुए संघर्ष के साथियों को अड़ानी के दलालों से सावधान रहने के लिए चेताया। उन्होंने राहुल गांधी को मदनपुर में किया वादा याद दिलाया और कहा कि प्रदेश में अगले चुनाव में जनता सरकार को सबक़ सिखाएगी।

यहां मौजूद अनुराधा भार्गव ने मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा में अड़ानी थर्मल प्लांट के विरूद्ध चले संघर्ष की दास्तान को बयान किया और बताया कि किस तरह उन्हें प्रताड़ित किया गया। उन्होंने भरोसा दिलाया की भले ही सरकार व सरकारी संस्थान आपके खिलाफ होगी, पर अंततः जीत जनता की ही होती है।

सर्वहारा जन आंदोलन की नेता उल्का महाजन ने अम्बानी के मुनाफ़े के लिए बनाए जा रहे महा मुंबई सेज के ख़िलाफ़ चले संघर्ष के अनुभव सुनाए। उन्होंने बताया कि कैसे कम्पनी ने गांव-गांव में दलाल पैदा किए और संघर्ष को तोड़ने की कोशिश की। प्रशासन, राजनीति और मीडिया में अम्बानी की हर तरह से मदद की, पर जीत जनता की ही हुई।आंदोलन के चलते आज वे जमीनें वापस मिल गयी जो धोखे से ली गयी थी।

लोक संघर्ष मोर्चा की प्रतिभा शिंदे ने वन अधिकारों के लिए चले लम्बे संघर्ष के बारे में बताया। वहीं, कश्मीर घाटी के तोसा मैदान में फ़ायरिंग रेंज के ख़िलाफ़ लम्बे चले संघर्ष और स्थानीय बाशिंदों के जीत के बारे में डा शेख़ ग़ुलाम रसूल ने सभा को बताया और हसदेव के संघर्ष को समर्थन जताया। इस मौके पर बड़ी संख्या में हसदेव अरण्य के इलाके के ग्रामीण यहां मौजूद थे।

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