मुंबई। मुंबई से लेकर दिल्ली तक शिंदे सरकार (SHINDE GOVERMENT) के कैबिनेट विस्तार की चर्चा है। हो सकता है आज शिंदे सरकार नई कैबिनेट और विभागों के बंटवारे को अंतिम रूप दे सकते है। आज इसको लेकर मुख्यमंत्री शिंदे दिल्ली जाएंगे। मुख्यमंत्री बनने के बाद एकनाथ शिंदे शुक्रवार को पहली बार दिल्ली जा रहे हैं। यह यात्रा काफी अहम बताई जा रही है। अपनी इस यात्रा के दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के नेताओं से मुलाकात करेंगे।

शिंदे भाजपा के समर्थन से राज्य के सीएम बने हैं। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एवं भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस भी उनके साथ होंगे। बताया जा रहा है कि शिंदे अगले दो दिनों तक दिल्ली में रहेंगे। सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे। दोनों नेता शनिवार को दिल्ली से पुणे के लिए रवाना होंगे। पंढरपुर में शिंदे अषाढ़ी एकादशी की पूजा करेंगे।

नई सरकार में मंत्रियों एवं उनके विभागों का बंटवारा होना है। शिंदे सरकार में करीब 54 मंत्री बनाए जा सकते हैं। भाजपा के कोटे से 25 और शिंदे गुट से 13 विधायकों को मंत्रीमंडल शामिल किया जा सकता है। इसके बाद बची हुई बाकी सीटों पर निर्दलीय विधायकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

सूत्रों की मानें तो कैबिनेट विस्तार से पहले संख्या के साथ-साथ विभाग (SHINDE GOVERMENT) पर भी मंथन जारी है। भाजपा गृह, वित्त और राजस्व जैसे बड़े विभाग अपने पास रख सकती है, जबकि शहरी विकास और पथ निर्माण विभाग शिवसेना के शिंदे गुट को दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि विभागों का बंटवारा महाविकास अघाड़ी फॉर्मूले पर संभव है, जिसमें उद्धव की सरकार में एनसीपी-कांग्रेस ने हैवी विभाग अपने पास रखे थे।

भाजपा कैबिनेट में नए चेहरे को मौका दे सकती है। साथ ही शिंदे (SHINDE GOVERMENT) के सामने अपने विधायकों को एडजस्ट करने की चुनौती है। शिंदे कैंप में 40 बागी विधायक हैं। ऐसे में 26 विधायकों को साथ रखना आसान नहीं है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इन विधायकों को निगम-बोर्ड में एडजस्ट करने की तैयारी है।

सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता पर सुनवाई होनी है। अगर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला बागी विधायकों के पक्ष में आया तो कैबिनेट विस्तार 11 के बाद कभी भी हो सकता है। फैसला पक्ष में नहीं आने की स्थिति में विस्तार का मामला टल सकता है।

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