शराब से छत्तीसगढ़ की कमाई अब झारखण्ड को भी लुभाई
शराब से छत्तीसगढ़ की कमाई अब झारखण्ड को भी लुभाई

0 मुनाफा कमाने का गुर सिखाकर छग आबकारी विभाग कमाएगा राजस्व का ढाई टका

0 झारखंड के बाद पंजाब, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और तेलंगाना भी लाईन में

रायपुर। टीआरपी डेस्क
छत्तीसगढ़ को शराब से मिलने वाली रकम और यहां की आबकारी नीतियां अब देश के दूसरे राज्यों को भी लुभाने लगी हैं। काफी विरोध और निंदा के बाद ठेका पद्धति बंद कर यह कारोबार पूर्व की भाजपा सरकार ने अपने हाथों में लिया था। शुरुआत में इस नीति का काफी माखौल भी उड़ा था, लेकिन छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति को बदलने के चलते ही अब आबकारी का राजस्व 5100 करोड़ के आंकड़े को पार करने जा रहा है। चंद सुधार के बाद रेवेन्यू अर्निंग में इज़ाफ़ा होने से खुश महकमा अब इस लक्ष्य को 5700 करोड़ करने में जुट गया है।

आबादी में झारखंड, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और कर्नाटक से कम छत्तीसगढ़ का आबकारी राजस्व इन राज्यों से कई गुना ज़्यादा है। नतीजतन छत्तीसगढ़ से कमाई के गुर सीखने के लिए इन राज्यों की लाईन लगने लगी है। आबकारी के इस गुर को सिखाने के लिए छत्तीसगढ़ के आबकारी महकमें ने झारखंड राज्य से अनुबंध भी कर लिया है। शराब बेचने से लेकर पिलाने और लीकेज कम करने के उपाय बताने के लिए आबकारी विभाग झारखण्ड से कंसल्टेंसी फी भी ले रहा है। फ़िलहाल बतौर शुल्क प्रदेश के आबकारी विभाग झारखण्ड से 5 से 6 करोड़ अर्न कर रहा है, लेकिन यह आंकड़ा आबकारी राजस्व बढ़ते ही 20 करोड़ हो जायेगा।

आबकारी विभाग के सूत्रों का दावा है कि चार अन्य राज्य पंजाब, तेलंगाना, मध्य्प्रदेश और कर्नाटक भी झारखण्ड की तर्ज पर प्रदेश की आबकारी नीतियां अपनाने के लिए कंसल्ट कर कर रहे हैं। कर्नाटक और तेलंगाना को छग. आबकारी विभाग के बीच कंसल्टेंसी फ़िलहाल पाइप लाइन में है। इस काम के एवज में राज्य का छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड इन राज्यों से कंसल्टेंसी शुल्क लेगा।

सालाना आय पर तय होगा कंसल्टेंसी परसेंट

यूं कहे तो छग. आबकारी महकमा राज्यों से दो से ढाई टका कंसल्टिंग फी लेगा। राज्यों से इसके लिए सालाना राजस्व आय पर परसेंट तय होगा। जानकारों की मानें तो उदाहरण स्वरुप तेलंगाना की आबादी अगर 12 करोड़ है और आबकारी से आय 1300 करोड़ है जबकि छत्तीसगढ़ की नीतियों और आबकारी के खरीद, वितरण व भंडारण को अपनाकर ये आंकड़े 8 से 32 हज़ार करोड़ होती। छत्तीसगढ़ की आबादी कम है, फिर भी आबकारी राजस्व इस बार 5100 करोड़ रहा और अब लक्ष्य 5700 करोड़ का है। आबादी के मुताबिक मध्यप्रदेश में ये आंकड़े 1200 करोड़ और ओडिशा में भी लगभग इतने ही आंकड़े है। जबकि छत्तीसगढ़ में आबादी के हिसाब से साढ़े 4 लीटर लिकर कंजम्शन था वह अभी कम दिखेगा। इसके बाद भी रेवेन्यू में हमारा प्रदेश हाईएस्ट है।

ऐसे सुधरी प्रदेश की आबकारी नीति और लीकेज

राज्य निर्माण के बाद जोगी गवर्मेन्ट में इसकी शुरुआत हुई थी और रमन सरकार के समय ठेका पद्धति को बंद कर शासन ने शराब की बिक्री, खरीदी, वितरण और भंडारण से लेकर खुदरा दुकानों को भी अपने हाथों में ले लिया। महज़ खुदरा दुकानों के संचालन का ठेका प्लेसमेंट एजेंसी को दिया गया। इस बदलाव से आमतौर पर ठेका पद्धति से प्रदेश में गुंडागर्दी, अवैध शराब बिक्री और कीमत को लेकर गड़बड़ियां, ओवररेट की शिकायत बंद हो गई हैं। आबकारी की भाषा में कहा जाये तो इस नीति से महकमे ने आबकारी लीकेज, जो रेवेन्यू को नुकसान पहुंचाता था वो बंद हो गया है। वहीं होम डिलवरी और यूनिक बार कोड बिलिंग सिस्टम से सीएसएमसीएल के विशेषज्ञों द्वारा राजस्व में भी बढ़ोत्तरी कर ठेकेदारों को इसके लिए दिए जा रहे मार्जिन मनी का करीब 25 प्रतिशत बचत भी कर ले रहा है।

आबकारी से विस में पूछा गया है सवाल

झारखण्ड को आबकारी द्वारा कंसल्टेंसी और राजस्व संबंधी सवाल छत्तीसगढ़ विधानसभा में पूछे गए हैं और महकमे ने इसका जवाब भी प्रस्तुत किया है। टारगेट, फ़ीस से लेकर राजस्व तक का लिखित जवाब माँगा गया है। बताते हैं कि झारखण्ड को हमारा राज्य एडवाइज़री का काम कर रहा है। होलोग्राम, बॉटलिंग का काम भी विभाग के पास होने से लीकेज कम हुई है और इंकम। वर्ष 2016 -17 में जो देसी की बिक्री हुई उसमे 24 फीसदी ज़्यादा बिकी। खपत, मांग, वितरण के अलावा एवरेज पर -केपिटल इंकम राज्य आबकारी की तब और बढ़ जाएगी जब एफएल-10 का जो लाइसेंस ठेके में दिया गया है, उसे भी विभाग खुद करे तो किसी मेट्रो सिटी की तुलना में राज्य का रेवेन्यू पहुंच जायेगा। बताते हैं कि इस बार देसी शराब बिक्री 60 और अंग्रेजी की 40 फीसदी का रेवेन्यू रेशियो है।

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