नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाए हुए तीन साल हो चुके हैं। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर को खास दर्जा देने वाली इस धारा को समाप्त कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी बांट दिया गया। अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है।

हालांकि सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। इन तीन वर्षों में कश्मीर घाटी की तस्वीर काफी बदल चुकी है। केंद्र सरकार का दावा है कि तीन साल के भीतर जम्मू -कश्मीर के हालात बदल चुके हैं, दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में कानून व्यवस्था बेहतर है और आतंकी घटनाओं में भी कमी आई है।


धारा 370 हटाए जाने के तीन साल पूरे होने पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक आंकड़ा साझा किया है। जिसमें धारा 370 हटाए जाने से पहले के आंकड़ों की तुलना वर्तमान के आंकड़ों से की गई है। इन आंकड़ों के मुताबिक 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच 930 आतंकी घटनाएं हुई थीं, जिनमें 290 जवान शहीद हुए थे और 191 आम लोग मारे गए थे। वहीं 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच 617 आतंकी घटनाओं में 174 जवान शहीद हुए और 110 नागरिकों की मौत हुई थी।


 हाल ही में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया है कि 2019 से जून 2022 तक जम्मू-कश्मीर में 29,806 लोगों को पब्लिक सेक्टर में भर्ती किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई योजनाएं भी शुरू की हैं। सरकार का अनुमान है कि स्वरोजगार योजनाओं से 5.2 लाख लोगों को रोजगार मिला होगा।


इसी साल मई में परिसीमन आयोग ने रिपोर्ट दी थी। इसमें आयोग ने जम्मू-कश्मीर में 7 विधानसभा सीटें बढ़ाने का सुझाव दिया है। इनमें से 6 सीटें जम्मू और एक सीट कश्मीर में बढ़ाने की सिफारिश की गई है। लद्दाख के अलग होने के बाद जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं। अगर आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं तो कुल 90 सीटें हो जाएंगी। जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें होंगी। 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर या पीओके में हैं।


जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद अब वहां बाहरियों यानी दूसरे राज्य के लोगों के लिए संपत्तियां खरीदना भी मुमकिन हो गया है। जबकि पहले वहां सिर्फ स्थानीय लोग ही संपत्ति खरीद सकते थे। इस साल 29 मार्च को गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्य के 34 लोगों ने संपत्तियां खरीदी हैं। ये संपत्तियां जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदरबल जिलों में खरीदी गई हैं।


धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में पहले केंद्र के बहुत से कानून और योजनाएं लागू नहीं होती थीं. पहले केंद्र के कानून और योजनाएं लागू करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी थी, लेकिन अब वहां केंद्रीय कानून और योजनाएं भी लागू हैं। इस साल मार्च में जम्मू-कश्मीर का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में केंद्र के 890 कानून लागू हो गए हैं।

पहले बाल विवाह कानून, जमीन सुधार से जुड़े कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून लागू नहीं थे, लेकिन अब लागू कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में पहले महिलाएं अगर दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करती थीं, तो उनके पति को मूल निवासी नहीं माना जाता था, लेकिन अब दूसरे राज्य के पुरुष जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की महिलाओं से शादी की है, उन्हें भी यहां का स्थानीय निवासी माना जाता है।


धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट भी करवाई गई थी. इस समिट में 13,732 करोड़ रुपये के समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके अलावा इस साल अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि आजादी के बाद 7 दशकों में जम्मू-कश्मीर में प्राइवेट इन्वेस्टर्स ने 17 हजार रुपये का निवेश किया था, जबकि अगस्त 2019 के बाद से अब तक 38 हजार करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है।  

लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत 58,477 करोड़ रुपये की लागत के 53 प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं। ये प्रोजेक्ट्स रोड, पावर, हेल्थ, एजुकेशन, टूरिज्म, खेती और स्किल डेवलपमेंट जैसे सेक्टर में शुरू हुए हैं। अगस्त 2019 से पहले हर दिन औसतन 6.4 किमी सड़क ही बन पाती थी, लेकिन अब हर दिन 20.6 किमी सड़क बन रही हैं। जम्मू-कश्मीर में सड़कों का 41,141 किलोमीटर लंबा जाल है।

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