सुकमा जिले से गायब किया गया लाखों का तेंदूपत्ता उड़ीसा से जब्त

सुकमा। जिले के बहुचर्चित अवैध तेंदूपत्ता कांड को लेकर बाजार सरगर्म है। इस मामले में काफी शोर-शराबे के बाद वन विभाग ने उड़ीसा में छापामारी कर ठेकेदार के कब्जे से सुकमा जिले का तेंदूपत्ता जो अवैध रूप से रखा गया था, उसे जब्त भी किया है।

दरअसल इसी साल फ़रवरी के महीने में तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर यह शिकायत की गई कि ठेकेदार गुलाम खान उर्फ खान बहादुर ने समिति की बजाय सीधे ही लाखों रूपये के तेंदूपत्ते की खरीदी कर ली। बताया जाता है कि इस पूरी अवैध खरीदी में वन अमले और समिति की भी भूमिका रही, अन्यथा तेंदूपत्ते के भारी-भरकम स्टॉक को वह सीधे कैसे खरीद लेता। ठेकेदार ने तेंदूपत्ते की अवैध तरीके से खरीदी तो कर ली, मगर वह इसका भुगतान ग्रामीणों को नहीं कर रहा था। जिसकी शिकायत शुरू हुई तब मामला उजागर हुआ। बावजूद इसके वन विभाग कार्रवाई करने से बचता रहा।

5 महीने बाद शुरू हुई कार्रवाई

इस मामले में काफी किरकिरी के बाद वन अमला सक्रिय हुआ और एक टीम का गठन कर उड़ीसा के मलकानगिरी में भेजा गया। SDO फारेस्ट, सुकमा अशोक सोनवानी सहित अन्य SDO और दूसरे वन कर्मियों की टीम कल मलकानगिरी पहुंची। यहां खान बहादुर के कब्जे से दो गोदामों से 3 हजार बोरी तेंदूपत्ते की जब्ती करते हुए गोदामों को सील कर दिया गया। हालांकि ये भी बताया जा रहा एर्राबोर स्थित गोदाम से भी 500 बोरा तेंदूपत्ते की जब्ती की गई।

ठेकेदार को किया पुलिस के सुपुर्द

मिली जानकारी के मुताबिक तेंदूपत्ता ठेकेदार खान बहादुर उर्फ़ गुलाम खान को वन अमला अपने साथ लेकर सुकमा पहुंचा और यहां कोंटा थाने में मामले में FIR दर्ज कराते हुए ठेकेदार को पुलिस के सुपुर्द कर दिया। चर्चा तो ये हो रही है कि गुलाम खान मौका पाकर थाने से निकल गया मगर यह भी बताया जा रहा है कि पुलिस ने केवल पूछताछ की औपचारिकता के बाद ठेकेदार को छोड़ दिया। अब उसे ढूंढने की कवायद हो रही है।

भोले-भले ग्रामीणों को कैसे मिलेगा न्याय..?

तेंदूपत्ता घोटाले के इस प्रकरण पर नजर डालें तो ठेकेदार ने वन अमले की मिलीभगत से बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ते की सीधे ग्रामीणों से खरीदी कर ली। नियम के मुताबिक ग्रामीणों से तेंदूपत्ते की खरीदी समिति और वन अमले द्वारा सामंजस्य स्थापित करके की जाती है, और ठेकेदार द्वारा समिति के खाते में तेंदूपत्ते की रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। यही पैसा संग्राहकों के खाते में उनके पत्तों के हिसाब से ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनके मेहनताने का पैसा मिलने की पूरी गारंटी होती है मगर ठेकेदार ने अगर सीधे खरीदी की हो तो उसका गारंटर कोई भी नहीं होता। बस्तर के सुकमा जिले में कुछ ऐसा ही ग्रामीणों के साथ ठेकेदार ने किया ह। वहां की भोली-भली जनता को बेवकूफ बना दिया गया और अब उनकी रकम फंस गई है।

अब इस मामले में वन विभाग सफाई दे रहा है कि खान बहादुर को पकड़ा ही नहीं गया है। DFO सागर जादव ने TRP न्यूज़ से चर्चा करते हुए यही कहा और विस्तृत जानकारी के लिए SDO कोंटा से संपर्क करने को कह दिया। SDO कोंटा के एस ध्रुव ने पूछने पर TRP न्यूज़ को बताया कि ठेकेदार खान बहादुर अवैध तरीके से ख़रीदे गए तेंदूपत्ते में से 7592 बोरे पत्ते बेच चुका है, उसके पास 3900 बोर पत्ते बचे हैं जिसकी जब्ती बनाई गई है। ध्रुव का कहना है कि ठेकेदार ने ग्रामीणों को अधिक कीमत का लालच देकर उनसे सीधे पत्ते की खरीदी कर ली और इसमें वन अमले की कोई भी भूमिका नहीं है। उधर पुलिस भी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है।

इस प्रकरण में मूल प्रश्न अब भी यही है कि ठेकेदार द्वारा अवैध तरीके से ख़रीदे गए तेंदूपत्ते की रकम ग्रामीणों को मिलेगी या नहीं, वही इस बात की जांच होगी या नहीं कि ठेकेदार द्वारा किये गए इस कृत्य में वन अमले की क्या भूमिका रही?

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