0 जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव के लिए कर सकते हैं अपनी पार्टी का एलान

विशेष संवादाता, रायपुर
गुलाम नबी आज़ाद 18 साल की उम्र से कांग्रेस ज्वाइन किये और पुरे 75 की उम्र में वे पार्टी का साया बने रहे। लगातार कांग्रेस की पराजय और हार से सीखने की बजाये अदूरदर्शिता भरे फैसलों से आहत होकर आज़ाद ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उनके 5 पन्नो के लिखे इस्तीफे में पार्टी छोड़ने की कई वजहों में राहुल गांधी को ज्यादा जिम्मेदार माना है। सोनिया गांधी को उनका इस्तीफा मिल गया है और गुलाम नबी ने शायद नहीं लौटने का मन बनाकर खुद ही इस्तीफे की बात को स्वीकार किया है।

ऐसे में इस्तीफा नामंज़ूर करने या समझने वाली नौबत अब नहीं रही है बस अध्यक्ष सोनिया गाँधी का कोई अधिकृत बयान इसपर नहीं आया है। आज़ाद के इस्तीफे के बाद सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार भी गरमा गया है। कयास लगने लगे हैं कि कश्मीर में चुनाव होना है और वे बीजेपी का चेहरा बनाकर उतरे जा सकते हैं। इसमें कितनी सच्चाई है यह वक्त बताएगा। क्योंकि जवानी से उम्रदराज़ी की दहलीज़ पर खड़े गुलाम नबी जैसी शख्सियत भाजपा में जाने से बेहतर विकल्प खुद नई पार्टी गठित कर चुनाव का रुख बदलने का माद्दा रखते हैं। इन कयासों में सबसे ज़्यादा मान्य भी नई पार्टी बनाना या फिर क्षेत्रीय दल की कमान हाथ में लेना हो सकता है।

भाजपा भी यही चाहेगी कि वो अलग पार्टी बनाकर जम्मू और कश्मीर में होने वाले चुनाव में ऐसे नहीं तो वैसे यानि बाहर रहकर भी बीजेपी को फायदा दे सकते हैं। बता दें कि आज़ाद ने हाल ही में कांग्रेस की कैंपेन कमेटी के चेयरमैन और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के राजनीतिक मामलों की समिति से इस्तीफा दे दिया था। खास बात है कि G-23 समूह के सदस्य आजाद पार्टी से लंबे समय से नाराज चल रहे थे। उन्हें राज्यसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी ने नजरअंदाज कर दिया था।

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