रेडी टू ईट

0 शमी इमाम
रायपुर। छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट बनाने का काम महिला समूहों से लेकर बीज निगम को दे तो दिया गया है, मगर समूहों को रेडी टू ईट के परिवहन का काम देने का वादा करने के बावजूद इसे पूरा नहीं किया जा सका है। इसका परिणाम यह हुआ है कि समूह में शामिल महिलाओं के पास कोई भी काम नहीं रह गया है और वे बेरोजगार हो गई हैं।

परिवहन का काम देने की घोषणा

छत्तीसगढ़ में बीते कई सालों से आंगनबाड़ी के बच्चों के अलावा गर्भवती, धात्री महिलाओं तथा किशोरियों के लिए पौष्टिक आहार रेडी टू ईट बनाने का काम महिला स्व-सहायता समूहों से कराया जा रहा था। इस कार्य में होने वाली आय के चलते इसमें शामिल महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुईं। इस बीच केंद्र सरकार के निर्देश पर रेडी टू ईट बनाने का काम महिला समूहों से वापस लेकर छत्तीसगढ़ राज्य कृषि एवं बीज विकास निगम को दे दिया गया। हालांकि राज्य में इसका काफी विरोध हुआ और कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका भी दायर की गई। इस बीच सरकार ने घोषणा की कि महिला समूहों को रेडी टू ईट के आंगनबाड़ी केंद्रों तक परिवहन का काम दिया जायेगा, इससे आय पहले की तरह होती रहेगी।

साझेदारी से रेडी टू ईट तैयार कर रहा बीज निगम

रेडी टू ईट का नए तरीके निर्माण करने के आदेश के बाद बीज निगम ने रायगढ़ की फर्म छग एग्रो फूड कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ साझेदारी करके मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट बनाने का काम शुरू किया और प्रदेश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में इसका वितरण प्रारम्भ किया। यह काम अप्रैल के महीने से चल रहा है।

धीमी गति से चल रहा है अनुबंध का काम

सरकार के आदेश के मुताबिक बीज निगम को राज्य भर में रेडी टू ईट का काम कर चुकी महिला समूहों से अनुबंध करके उन्हें अब रेडी टू ईट के परिवहन का काम दिया जाना है। आज बीज निगम को रेडी टू ईट बनाने का काम शुरू किये 5 माह बीत चुके मगर कुछ ही स्थानों पर रेडी टू ईट के परिवहन का काम महिला समूहों के माध्यम से प्रारम्भ कराया जा सका है। ऐसे में अधिकांश समूहों से जुडी महिलाएं आज बेरोजगार हो चुकी हैं और उनके पास कोई भी काम नहीं है।

692 समूहों की सूची बीज निगम के पास

रेडी टू ईट का काम महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित होता है। बीज निगम में इसका काम देख रहे डिप्टी जीएम एल डी बुंदेला ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा उनके पास प्रदेश भर से अब तक 692 समूहों की सूची भेजी गई है। उन्होंने दावा किया कि अब तक अधिकांश समूहों से अनुबंध करके रेडी टू ईट वितरण शुरू कर दिया गया है, मगर जिलों में पदस्थ जिला कार्यक्रम अधिकारियों (DPO) का कुछ और कहना है। इनके मुताबिक अधिकांश समूहों से अनुबंध ही नहीं किया गया है। एक-दो जिलों को छोड़कर बाकी स्थानों पर बीज निगम द्वारा ही रेडी टू ईट के परिवहन का कार्य किया जा रहा है।

एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश भर में रेडी टू ईट का काम करने वाले महिला समूहों की संख्या 1500 से ऊपर है मगर विभाग ने मार्च-अप्रैल के महीने तक केवल 692 समूहों का नाम ही अनुबंध के लिए भेजा है। ऐसा क्यों किया गया? इस संबंध में सवाल पूछने पर DPO बताते हैं कि उन्हें मुख्यालय से आदेश मिला था कि विभाग से जिस महिला समूह का अनुबंध जीवित है, उसका नाम ही बीज निगम से अनुबंध के लिए भेजना है। ऐसे में अधिकांश समूहों के नाम कट गए क्योंकि उनके साथ अनुबंध का रिन्यूअल नहीं हो सका था। बीज निगम का कहना है कि उनके पास और समूहों के नाम आएंगे तो उनके साथ भी अनुबंध किया जायेगा और रेडी टू ईट परिवहन का काम दिया जायेगा।

परिवहन के एवज में ये होगी आय

बीज निगम के डिप्टी जीएम एलडी बुंदेला ने बताया कि महिला समूहों को अपने सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्रों तक रेडी टू ईट की खेप पहुँचाने के एवज में प्रति माह 15 हजार रूपये के अलावा प्रति क्विंटल प्रति किलोमीटर 100 रूपये दिया जायेगा। महिला समूह की यह आय पहले से भले ही कम होगी मगर उन्हें कुछ आय तो हो ही जाएगी, मगर उन्हें काम दिलाने के लिए न तो महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी रूचि ले रहे हैं और न ही वे जन-प्रतिनिधि जो उनका काम छीने जाने के समय सरकार का विरोध करने में जुटे हुए थे।

छिन गई बेजा कमाई…

दरअसल प्रदेश के जिलों में रेडी टू ईट के जरिये महिला एवं बाल विकास विभाग के अमले को टेबल के नीचे से एक बड़ी रकम की आय होती थी। महिला समूहों को भुगतान करते समय एक निश्चित कमीशन बंधा हुआ था, मगर जैसे ही यह काम बीज निगम के पाले में आया, अमले की कमाई बंद हो गई। वहीं दूसरी ओर महिला समूहों का काम भी छिन गया। अब जब कुछ समूहों के साथ अनुबंध कर लिया गया है तो अभी तक इनमे से काफी समूहों को काम नहीं दिया जा सका है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के मुख्यालय में पदस्थ अधिकारियों ने महिला समूहों को काम देने के लिए जीवित अनुबंध का नियम क्यों लागू किया, यह बात अधिकारियो के भी गले नहीं उतर रही है। जब ये समूह सालों से महिला एवं बाल विकास विभाग में रेडी टू ईट बनाने का काम कर रहे थे तो उनके साथ नए सिरे से अनुबंध करने में क्या दिक्कत है, मगर ऐसा नहीं करके महिला समूहों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। कुछ समूहों ने TRP संवाददाता से चर्चा के दौरान बताया कि रेडी टू ईट बनाने के दौरान घर का खर्च चलाने में उनका भी योगदान होता था, मगर काम छीनने के बाद वे बेरोजगार हो गई हैं, अब उन्हें परिवहन का काम मिलने की उम्मीद थी, मगर छह माह बीत गए और अब तो इसकी उम्मीद भी नहीं रह गई है।

नए समूहों को दिया जायेगा काम : अनिला भेड़िया

महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने इस संबंध में TRP संवाददाता से चर्चा करते हुए बताया कि कई समूहों ने रेडी टू ईट से कम आय होने की बात कहकर काम करने से मन कर दिया है, वहीं जिन समूहों का रिकॉर्ड ख़राब होगा उनके नाम भी नहीं भेजे गए होंगे। उन्हें बताया गया कि जिन समूहों का पंजीयन जीवित नहीं है, उन्हें छोड़ दिया गया है, तब उन्होंने कहा कि अब नए समूहों को भी जोड़ा जायेगा। ऐसे में पुराने समूह की महिलाओं के बेरोजगार हो जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम नए नाम मंगा रहे हैं, तो ऐसा नहीं है कि पुरानों को छोड़ दिया जाये, उन्हें भी इस काम से जोड़ा जायेगा।

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