BEEJ NIGAM KRISHI

0 चाईनीज मशीनों पर अपना लेबल लगाकर भेजी मशीनें ! 0 दो महीने में ही खराब हुए रोटरी टिलर, ज्यादातर मिनी पल्वेराईजर स्व सहायता समूह के अध्यक्ष के घरों में

0 शमी इमाम
रायगढ़। DMF मद से मिले फंड की बरदबांट करने में रायगढ़ जिला अव्वल साबित हो रहा है। यहां स्व सहायता समूहों को मिनी पल्वेराइजर मशीन और रोटरी टिलर खरीदी के लिए राशि जारी की गई थी। जो मशीन सप्लाई की गई है, वह चाइनीज हैं। उनका नाम बदलकर KRISHI KRAFT के नाम से सप्लाई कर दिया गया। अब यह मशीनें खराब होती जा रही हैं।

जिला खनिज न्यास (DMFT) की रकम के छत्तीसगढ़ के जिलों में हो रहे दुरूपयोग के किस्से उजागर होते जा रहे हैं। जिलों में हर वर्ष DMF की शासी परिषद की होने वाली बैठकों में प्रस्तावित खरीदी अथवा निर्माण कार्यों को स्वीकृति दी जाती है, और इसके बाद ही कार्यादेश दिया जाता है। मगर जिलों के कलेक्टर और DMF के पदेन अध्यक्ष द्वारा कई कार्य अपने स्तर पर स्वीकृत कर दिए जाते हैं।

कोरबा जिले के बाद रायगढ़ में भी DMF के मद से बिना स्वीकृति के अनाप-शनाप खर्च किये जाने का मामला RTI से उजागर हो रहा है। यहां कृषि और उद्यानिकी विभाग में तो उपकरणों की खरीदी में करोड़ों रुपए फूंक दिए गए हैं। अभी यह जानकारी सामने आ रही है कि चाइनीज मशीनें सप्लाई करने वाली दो फर्मों को भी ठेका दिया गया। एक को 95 रोटरी टिलर और दूसरे को इतने ही पल्वेराइजर का काम दे दिया गया।

आदेश में गुणवत्ता का भी ध्यान नहीं…

रायगढ़ जिले में कृषि विभाग ने दुर्ग-भिलाई की दो कंपनियों को 95 रोटरी टिलर और 95 मिनी पल्वेराइजर खरीदी का आदेश दिया। यह काम इतनी तेजी से किया गया, जितना कि दूसरे सरकारी विभागों में नहीं होता। 7 दिसंबर 2021 को उप संचालक कृषि विभाग ने नौ तहसीलों में 95 नग रोटरी टिलर 8 एचपी और 95 नग मिनी पल्वेराइजर खरीदी का प्रस्ताव बनाया। कृषि विभाग रायगढ़ को उक्त सामग्री खरीदी की DM याने कलेक्टर से प्रशासकीय स्वीकृति 14 दिसंबर 2021 को मिल गई।

हैरानी की बात यह है कि प्रभारी उप संचालक कृषि, डिगेश पटेल ने 14 दिसंबर को ही जिला प्रबंधक बीज निगम रायगढ़ को कुल 190 उपकरण खरीदने का आदेश जारी कर दिया। उप संचालक कृषि ने इन मशीनों के लिए जिन दो फर्मों का उल्लेख किया गया उनमे SKY TECH को 95 नग रोटरी टिलर सप्लाई का काम दिया गया। वहीं 95 नग मिनी पल्वेराइजर खरीदने के लिए दुर्ग की ही ANNABHUMI के नाम का क्रय आदेश दिया गया।

खरीदी में भी खेल

महिला समूहों के लिए दो तरह की मशीनों की इस खरीदी में कृषि विभाग के बाद बीज निगम ने भी खेल कर दिया। कृषि विभाग रायगढ़ के जिम्मेदार अधिकारियों ने मशीनों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया, वही विभाग ने जिन दो फर्मों के नाम पर क्रय आदेश दिया है, उनके संचालक दावे के साथ कह रहे हैं कि मशीनों की सप्लाई उन्होंने नहीं की है। ANNABHUMI GREENTECH के संचालक हरीश मोदी ने TRP NEWS बताया कि कृषि उप संचालक, रायगढ़ ने भले ही हमारी फर्म के नाम पर पल्वेराइजर खरीदने का क्रय आदेश दिया है, मगर बीज निगम ने हमसे यह मशीन खरीदी ही नहीं है, कायदे से अगर कृषि विभाग ने क्रय आदेश दिया है, तो हमें ही वर्क आर्डर दिया जाना था, मगर लगता है कि कृषि विभाग ने किसी और फर्म से खरीदी कर ली।

इसी तरह SKY TECH ब्रांड की मशीन बेचने वाले JM ENTERPRISES के संचालक मितुल पटेल का भी कहना है कि उन्होंने रायगढ़ जिले में किसी मशीन की सप्लाई नहीं की है, हालांकि मशीन में SKY TECH के स्टिकर के नीचे JM ENTERPRISES प्रिंट किया हुआ स्पष्ट नजर आ रहा है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि मशीन उनकी है ही नहीं। उनके पर 4 प्रकार की मशीनें हैं, मगर किसी भी मशीन की डिजाइन इससे नहीं मिलती, अब वे यह पता लगाएंगे कि आखिर किसके द्वारा उनके नाम का स्टिकर मशीन लगाया गया है।

फिर बीज निगम ने किससे की खरीदी..?

दो मशीनों की खरीदी के इस मामले में RTI के जरिए जो दस्तावेज बाहर आये हैं, उनमें डिलीवरी नोट KISHAN AGROTECH, दुर्ग के नाम का बना हुआ है। रोटरी टिलर और पल्वेराइजर मशीन के अलग-अलग डिलीवरी नोट हैं और दोनों में SUPPLIER’S REF. में M/S KISHAN AGROTECH, दुर्ग का जिक्र है और और दोनों ही मशीनों का BRAND NAME – KRISHI KRAFT लिखा हुआ है। अगर मशीनों पर नजर डालें तो एक में KRISHI KRAFT तो दूसरे में SKY TECH का स्टिकर चिपका हुआ है। अब ये तो बीज निगम और कृषि विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं उन्होंने आर्डर किसके नाम का दिया और खरीदी किससे की है।

चाइना की मशीनों की कर दी गई ब्रांडिंग..!

खरीदी के घालमेल से हटकर अब जरा उन मशीनों की गुणवत्ता पर चर्चा कर लें। यह तो तय है कि बीज निगम ने मशीन की खरीदी में जमकर खेल किया। चाइना से खरीदी गई मशीनों की ब्रांडिंग करके रायगढ़ में सप्लाई कर दी गई। बीज निगम ने M/S KISHAN AGROTECH, दुर्ग को सप्लाई ऑर्डर दिया। कोई भी मशीन खरीदते समय यह भी नहीं देखा गया कि मैन्युफैक्चरिंग कहां की है। आंखमूंद कर बीज निगम को खरीदी का आदेश दिया गया। कमीशनखोरी के लिए ऐसी फर्मों से मशीनें खरीद ली गईं, जिनकी टेस्ट रिपोर्ट भी नहीं है। बिना किसी कार्ययोजना और परिणाममूलक उद्देश्य के हल्की क्वालिटी की मशीने ऊंची कीमतों पर खरीदी गई हैं।

कंडम हो गई अधिकांश मशीनें

रायगढ़ जिले में महिला समूहों के नाम पर खरीदी गई मशीनें आबंटित तो कर दी गई हैं मगर इनमे से अधिकांश कंडम हालत में पड़ी हुई हैं, और वो भी समूह अध्यक्षों के मकानों में। इनका कहना है कि मशीनें उनके कोई काम नहीं आ रही हैं। स्वाभाविक है कि अगर अच्छी कंपनियों से मशीनें खरीदी गई होतीं तो उनकी आज यह देश नहीं होती।

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