जानें क्या है क्रिकेट से बीजेपी का कनेक्शन !

टीआरपी डेस्क। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह के पास जब से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की कमान आई है तब से इस मुद्दे पर सियासत तेज है। सत्ता के गलियारे में इस बात का हल्ला है कि सौरव गांगुली को भाजपा में शामिल होने से मना करने की सजा के तौर पर ही अध्यक्ष पद की कुर्सी नहीं दी गई। इस बारे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साध चुकी हैं।

18 अक्टूबर 2022 को बीसीसीआई चुनाव के बाद जो पदाधिकारी शामिल किए गए हैं उनमें राजीव शुक्ला ही हैं जो इकलौते कांग्रेसी हैं।

ये हैं बीसीसीआई (BCCI) के नए पदाधिकारी

अध्यक्ष: रोजर बिन्नी (कर्नाटक), सचिव: जय शाह (गुजरात), उपाध्यक्ष: राजीव शुक्ला (उत्तर प्रदेश), कोषाध्यक्ष: आशीष शेलार (महाराष्ट्र), संयुक्त सचिव: देवजीत सैकिया (असम), आईपीएल चेयरमैन: अरुण धूमल (हिमाचल प्रदेश) हैं।

नए पदाधिकारियों के बारे में गौर करें तो अमित शाह के बेटे जय शाह दोबारा सचिव बने रहेंगे। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के सहयोगी और महाधिवक्‍ता देवजीत सैकिया संयुक्त महासचिव हैं। मुंबई से भाजपा विधायक आशीष शेलार कोषाध्यक्ष हैं।

वहीं आईपीएल में भी सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल प्रभारी हैं। दक्षिण भारतीयों को संतुष्ट करने के लिए चुने गए नए अध्यक्ष रोजर बिन्नी और उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ही अपवाद के तौर पर BCCI में शामिल हैं। बीसीसीआई से संबद्धित कई स्टेट क्रिकेट संघों पर भी राजनेताओं के रिश्तेदारों का ही कब्जा है।

बता दें कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया अप्रैल 2022 में ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन (जीडीसीए) का उपाध्यक्ष बने थे। जय शाह बीसीसीआई सचिव बनने से पहले गुजरात क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव थे। वहीं अमित शाह भी जीसीए अध्यक्ष रह चुके हैं।

बीसीसीआई के 38 पूर्ण सदस्यों में एक तिहाई से ज्यादा पदों पर पूर्व अधिकारियों या रसूखदार राजनेताओं के बेटे या रिश्तेदार काबिज हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिश के बावजूद है। बीसीसीआई के इतिहास में यह संख्या सबसे ज्यादा है।

साल 2016 में नए बीसीसीआई संविधान को तैयार करते हुए, यह रेखांकित किया गया था, ‘कुछ राज्यों में सभी सदस्य कुछ परिवारों या एक ही परिवार से होते हैं। इससे कुछ विशेष व्यक्तियों के हाथों में ही क्रिकेट का नियंत्रण बना रहता है।’

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