नई दिल्ली। बच्चों के बगैर परिवार की कल्पना नहीं की जा सकती। देश में हजारों ऐसे दंपत्ति हैं जिनकी कोई संतान नहीं है। बच्चों की कमी को दूर हो इसके लिए निःसंतान दंपत्तियों द्वारा अनाथ बच्चों को गोद लिए जाते हैं जिससे अनाथ बच्चों को भी अच्छा जीवन जीने का अवसर मिल जाता है। इस बीच एक चौकाने वाली खबर सामने आई है जहां देश में लड़कों की जगह लोग लड़कियों को गोद लेने में ज्यादा दिलस्पी लेते हैं।
 महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में बताया कि गोद लिए गए 200 बच्चों को उनके अभिभावकों ने लौटा दिया है। मंत्री ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।


उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि भारत में गोद लिए जाने वाले लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या अधिक है। वर्ष 2021-22 में 1293 लड़के गोद लिए गए जबकि गोद ली जाने वाली लड़कियों की संख्या करीब 1690 थी। इसी प्रकार 2020-21 में 1200 लड़कों एवं 1856 लड़कियों को गोद लिया गया। उन्होंने कहा कि 2019-20 में 1400 लड़कों एवं 1938 लड़कियों को गोद लिया गया।


पैरेंट्स को किया जाता है फॉलो-अप
ईरानी ने बताया कि अभिभावकों ने गोद लिए गए 200 बच्चों को राज्य को वापस लौटा दिया है। उन्होंने कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया को कठोर बनाया गया है और किसी बच्चे को गोद लिए जाने के बाद दो साल तक मामले की निगरानी की जाती है। उन्होंने कहा कि इस दौरान माता-पिता के साथ बच्चों से भी नियमित संपर्क रखा जाता है और गौर किया जाता है कि गोद लिए गए बच्चों को कोई परेशानी तो नहीं हो रही है।
ईरानी ने कहा कि इसके लिए बाल कल्याण समिति को भी मजबूत बनाने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि गोद लिए जाने की प्रक्रिया से गैर-सरकारी संगठनों को अलग कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नए नियमन के तहत एनजीओ को प्रशासनिक कार्यों से अलग कर दिया गया है और जोर इस बात पर दिया गया है कि प्रशासन ही दायित्वों का निर्वहन करे। ईरानी ने कहा कि इस प्रक्रिया में जिलाधिकारी के साथ ही पुलिस व्यवस्था को शामिल किया गया है।


ईरानी ने कहा कि यदि अधिक माता-पिता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तैयार हैं तो किसी बच्चे को गोद लेने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अदालती प्रक्रियाओं के जरिए बच्चे को गोद लेने में लगने वाला औसत समय इतना लंबा था कि गोद लेने वाले माता-पिता को कम से कम दो साल का इंतजार करने की आवश्यकता होती थी। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया में अधिक समय लगने के मद्देनजर मंत्रालय ने कानून में संशोधनका प्रस्ताव किया है। ईरानी ने कहा कि इस साल 23 सितंबर को सरकार ने नए नियमों को अधिसूचित किया और उस समय विभिन्न न्यायालयों में करीब 900 मामले लंबित थे। राज्यों द्वारा नए संकल्प पर कार्रवाई किए जाने के बाद, 580 से अधिक बच्चों को गोद लिया जा चुका है।