नई दिल्ली। बिना जरूरी टेस्ट दिए भारत में इलाज कर रहे 73 मेडिकल स्टूडेंट के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। इस एजेंसी ने राज्यों की 14 मेडिकल काउंसिल को भी जांच के घेरे में लिया है। आरोप है कि इन स्टूडेंट्स ने भारत में प्रैक्टिस के लिए जरूरी फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जाम स्क्रीनिंग टेस्ट पास ही नहीं किया। इसके बावजूद राज्यों की मेडिकल काउंसिल ने इन्हें प्रैक्टिस करने की इजाजत दे दी। विदेश में मेडिकल की डिग्री लेने वालों को नेशनल मेडिकल कमिशन या स्टेट मेडिकल कमिशन से परमानेंट या प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन पाने के लिए यह टेस्ट जरूरी होता है। इस टेस्ट को नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन लेता है।

73 डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज
सीबीआई ने इस मामले में स्टेट मेडिकल कांउसिल, मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया के तत्कालीन अज्ञात अधिकारियों और इन 73 मेडिकल ग्रैजुएट्स के खिलाफ भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश रचने और धोखेबाजी का केस दर्ज किया है। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को बताया था कि इन 73 मेडिकल ग्रैजुएट्स ने साल 2011-22 के दौरान रूस, यूक्रेन, चीन और नाइजीरिया से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी, लेकिन एफएमजीई टेस्ट पास नहीं किया और कई राज्यों के मेडिकल काउंसिल से प्रैक्टिस करने का रजिस्ट्रेशन करा लिया।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने लिखी थी सीबीआई को चिट्ठी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में सीबीआई से शिकायत की थी। इसमें कहा गया है कि गैर योग्य व्यक्तियों का इस तरह की धोखाधड़ी और फर्जी रजिस्ट्रेशन लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होगा। इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। सीबीआई की इन पर चार साल से नजर थी। सीबीआई को स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से की गई शिकायत में मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी ने नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन  की तरफ से 12 सितंबर और 17 अक्टूबर को मिले पत्र का हवाला दिया है। ने मंत्रालय को लिखे पत्र में ऐसे 73 कैंडिडेट की पहचान करते हुए लिखा है कि ये लोग नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशनके रेकॉर्ड के मुताबिक स्क्रीनिंग के लिए क्वालीफाई नहीं हुए हैं। लेकिन ये कैंडिडेट रजिस्ट्रेशन कराकर प्रैक्टिस कर रहे हैं। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने इन कैंडिडेट का रजिस्ट्रेशन नंबर भी मंत्रालय को उपलब्ध कराया है।

इन डॉक्टर का कैसे हुए रजिस्ट्रेशन?
सीबीआई को लिखे पत्र में मंत्रालय ने लिखा है कि इस तरह के फर्जी और अयोग्य लोगों के रजिस्ट्रेशन के कारण आम लोगों का जीवन खतरे में है। हेल्थ सेक्टर के लिए ये खतरा है। ये लोग कई राज्यों में फैले हुए हैं। इसलिए सीबीआई से इस मामले की जांच करने का आग्रह किया जाता है कि वे इस बात की पता लगाने की कोशिश करें कि कैसे ये लोग भारत में रजिस्ट्रेशन करवाने में सफल रहे।