छत्तीसगढ़ में अब सेकंड हैंड गाड़ियों की खरीद-बिक्री आसान होगी। इसके लिए अब लोगों को आरटीओ दफ्तर के चक्कर नही लगाने होंगे। इसके लिए जानकारी के मुताबिक परिवहन विभाग ने आधार ऑथेंटिकेशन नाम से नया प्रोसेस शुरू किया। जिसके तहत गाड़ी को खरीद-बिक्री करने वाले लोग अपने पास के परिवहन सुविधा केंद्र जाएंगे और आसानी से नाम ट्रांसफर करा सकेंगे। इस पूरी प्रक्रिया को आसान करने का मकसद गाड़ियों के नाम ट्रांसफर कराने के नाम पर चल रहे दलालों के खेल को कम करना है।

दरअसल, ज्यादातर लोग जानकारी के अभाव में आरटीओ के अंदर दलालों के चक्कर में फंस जाते हैं, जिसके लिए उनको मोटी रकम देनी पड़ती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि आसानी से यह काम परिवहन सुविधा केंद्र पर ही हो जाएगा। बस अभी जितना पैसा नाम ट्रांसफर में लग रहा है, उसमें 100 रुपए अतिरिक्त परिवहन सुविधा केंद्र को देने होंगे।

प्रदेश भर में 500 सुविधा केंद्र परिवहन

विभाग के सुविधा केंद्र की बात करें तो छत्तीसगढ़ में 500 सुविधा केंद्र हैं। वहीं अकेले राजधानी रायपुर जिले में करीब 50 सुविधा केंद्र खोले गए हैं। मौजूदा वक्त में यहां परिवहन संबंधित कामों के लिए ऑनलाइन फार्म भरने का काम होता है। लेकिन आधार ऑथेंटिकेशन शुरू किया जा रहा है, जिसमें सिर्फ बेचने वाले और खरीददार को अपना आधार नंबर बताना होगा। फिर केंद्र पर कर्मचारी परिवहन विभाग के डेटा से गाड़ी नंबर और मालिक की जांच करके गाड़ी का नाम ट्रांसफर कर देंगे।

ओनरशिप ट्रांसफर हुए बिना गाड़ी के मालिक नहीं

जब तक गाड़ी की ओनरशिप वाहन क्रेता अपने नाम ट्रांसफर नहीं करते, तब तक विधिक रूप से उस गाड़ी के मालिक नहीं कहे जाते हैं। इसी तरह यदि आपने गाड़ी बेची है और यदि उस गाड़ी से एक्सीडेंट या कोई अपराध घटित होता है तो आरसी बुक में दर्ज व्यक्ति के नाम से कार्यवाही होती है। यदि आप पुरानी कार या बाइक खरीद या बेच रहे हैं, तो उसके लिए रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना जरूरी होता है। अभी तक इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है। विक्रेता और क्रेता दोनों को ही आरटीओ ऑफिस जाना होता है।