भारतीय वायुसेना ने 39 नए सैन्य हवाईअड्डों और 9 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को नागरिक उड्डयन सेवा के लिए उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इनमें देश के सुदूर सीमावर्ती इलाकों में स्थित हवाईअड्डे भी शामिल हैं। वायुसेना की इस पहल को सरकार के आम लोगों के लिए हवाई सेवा सुगम बनाने और दूर दराज के इलाकों को हवाई नक्शे में शामिल करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इस योजना को रक्षा मंत्रालय और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) मिलकर मूर्त रूप देंगे। वायुसेना ने इन नए एयरबेस की सूची का खुलासा नहीं किया है।

23 सैन्य हवाईअड्डों का इस्तेमाल यात्रियों के लिए पहले से हो रहें

वायुसेना के पास फिलहाल कुल 124 एयरबेस हैं। इनमें से 60 पूरी तरह ऑपरेशनल हैं। इन सैन्य हवाईअड्डों का साझा इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब है कि नागरिक उड्डयन के साथ ही वायु सेना भी इसका इस्तेमाल करेगी। अभी 23 ऐसे सैन्य हवाई अड्डे हैं जिनका इस्तेमाल नागरिक उड्डयन के लिए पहले से ही किया जा रहा है। इनमें गोवा, गोरखपुर, आदमपुर, दरभंगा, सरवासा, कानपुर, उत्तरलाई और बागडोगरा मुख्य हैं।

इलाज में लापरवाही के खिलाफ दिशानिर्देश पर जल्द हो सकता फैसला

उधर, इलाज में लापरवाही के खिलाफ दिशानिर्देश विचाराधीन हैं। जल्द ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) इस पर फैसला ले सकता है और इन्हें सार्वजनिक कर सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, उपचार में लापरवाही के मामलों को लेकर फिलहाल कोई दिशानिर्देश नहीं है, लेकिन इस पर काफी समय से विचार चल रहा है।

एनएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग करने के बाद जब आयोग का गठन हुआ तब से अभी तक देश में चिकित्सा शिक्षा का बेहतर माहौल तैयार करने से जुड़ी नीतियों पर उनका अधिक जोर है। हालांकि, इस मामले में भी चर्चा लंबे समय से चल रही है। जल्द ही दिशानिर्देशों का ड्राफ्ट स्वरूप सार्वजनिक भी किया जाएगा। चिकित्सा लापरवाही को लेकर अक्सर अस्पतालों में विवाद, हंगामा और मारपीट की घटनाएं सामने आती हैं।