नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव के पहले जेडीएस को करारा झटका लगा है, कर्नाटक हाई कोर्ट ने जनता दल (एस) के विधायक डीसी.गौरीशंकर को फर्जी बीमा बांड के जरिए मतदाताओं को लुभाने के मामले में दोषी करार देते हुए अयोग्य घोषित कर दिया है जिसके बाद अब गौरीशंकर के छह साल तक चुनाव लड़ने पर बैन लग गया है। विधायक पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हालांकि इस आदेश पर एक महीने तक की रोक लगा दी है जिससे विधायक को फौरी तौर पर तो राहत मिल गई है और वो अब इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दे सकते हैं ।

विधायक ने 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान मारुति सेवा ट्रस्ट से बुजुर्गो और बच्चों को फर्जी बीमा बॉंड बांटे थे, मालूम हो कि मारुति सेवा ट्रस्ट में ट्रस्टी इन्हीं के परिवार के लोग हैं। विधायक के खिलाफ कोर्ट में अर्जी बीजेपी नेता सुरेश गौड़ा ने दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अब फैसला सुनाया है। आपको बता दें कि मौजूदा दौर में गौरीशंकर तुमकुरु ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। MSIL फाउंडेशन के अध्यक्ष उनके सफर की बात करें तो साल 2008 में वो मधुगिरी से पहली बार विधायक बने थे लेकिन इसके बाद उन्होंने अगला चुनाव तुमकुर ग्रामीण विधानसभा सीट से लड़ा था, जहां उनकी 1500 मतों से हार हुई थी लेकिन 2018 के चुनावों में वो 5640 मतों के अंतर से यहां से जीतकर दूसरी बार विधायक चुने गए थे।

उन्होंने JDS और कांग्रेस की गठबंधन सरकार में 6 महीने तक MSIL फाउंडेशन की अध्यक्षता की थी। वो जेडीएस के चर्चित चेहरों में से एक हैं। कब होगा कर्नाटक में विधानसभा चुनाव आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को मतदान होगा और 13 मई को चुनवाी नतीजे आएंगे।कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 25 मई को खत्म हो रहा है। राज्य में उम्मीदवारों कि नामांकन की तारीख 13 अप्रैल से शुरू हो रही है जिसकी आखिरी तारीख 20 अप्रैल है और 24 तारीख तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं।

पांच साल में तीन मुख्यमंत्री गौरतलब है कि साल 2018 के चुनावों में भाजपा ने 104 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस को यहां 80 सीटों पर विजय मिली थी और JDS ने 37 सीटें हासिल की थी, बहुमत किसी भी पार्टी को नहीं मिला था इसलिए कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन करके सरकार बनाई थी और सीएम की कुर्सी पर जेडीएस नेता कुमारस्वामी बैठे थे लेकिन मात्र 14 महीने बाद ये गठबंधन टूट गया था क्योंकि कांग्रेस के कई विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी, जिसके बाद राज्य में भाजपा की सरकार बनी थी और बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे लेकिन दो साल बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद छोड़ दिया और उनकी जगह बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री बने और तब से वो राज्य का सीएम पद संभाल रहे हैं।