नई दिल्ली।  पीओके की विधानसभा ने भारत के गृहमंत्री अमित शाह के एक प्रस्ताव का समर्थन कर दिया है जिससे पाकिस्तान बौखला गया है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की सरकार ने कश्मीर के दोनों हिस्सों को जोड़ने के लिए करतारपुर जैसा एक गलियारा खोलने की मांग करने वाले एक प्रस्ताव को क्षेत्र की विधानसभा में सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी है। इसके बाद पाकिस्तान भड़क गया है और उसने इस संबंध में तथ्यों का पता लगाने के वास्ते एक पड़ताल शुरू की है।

मिली जानकारी के अनुसार  पीओके के प्रधानमंत्री सरदार तनवीर इलियास खान ने हुर्रियत नेताओं के सम्मान में अपनी मेजबानी में आयोजित एक रात्रिभोज के दौरान दिये गये भाषण के दौरान अपनी इस प्रस्ताव के बारे में बताया। भाषण के दौरान सरदार तनवीर इलियास खान ने विधानसभा में प्रस्तुत प्रस्ताव को लेकर अपनी गंभीर चिंता जताई और कहा कि एक तथ्यान्वेषी जांच जारी है। उन्होंने कहा कि इसे शीघ्र ही सार्वजनिक किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 2019 में चालू हुआ करतारपुर गलियारा पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिला में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है।

यह चार किलोमीटर लंबा गलियारा गुरुद्वारा दरबार साहिब की यात्रा के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा मुक्त आवाजाही की सुविधा प्रदान करता है। हम आपको यह भी बता दें कि पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के कारनाह सेक्टर में नियंत्रण रेखा के समीप माता शारदा देवी मंदिर का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया था। इस अवसर पर उन्होंने कहा था कि मंदिर का उद्घाटन माता शारदा देवी के आशीर्वाद और एलओसी के दोनों ओर के लोगों की संयुक्त कोशिशों से संभव हुआ है। अमित शाह ने करतारपुर गलियारा की तर्ज पर एलओसी के दोनों ओर शारदा पीठ खोलने की मांग का जिक्र करते हुए कहा था कि केंद्र इस पर निश्चित रूप से प्रयास करेगा और इस बारे में कोई संदेह नहीं है।

कश्मीरी पंडितों की इच्छा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले शारदापीठ मंदिर की सदियों पुरानी तीर्थयात्रा फिर शुरू की जाये। माना जाता है कि पीओके में स्थित शारदापीठ मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। जिस तरह कश्मीर में अमरनाथ मंदिर और मार्तंड सूर्य मंदिर का महत्व है उसी तरह शारदापीठ मंदिर भी हिंदुओं की गहरी आस्था का स्थल है। शारदापीठ मंदिर को मुगलों, अफगानों और इस्लामिक कट्टरपंथियों ने काफी नुकसान पहुँचाया था। ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि कश्मीर में देवी की आराधना सबसे पहले शारदापीठ मंदिर में ही शुरू हुई थी, बाद में खीर भवानी और माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना हुई थी।

शारदापीठ मंदिर का महत्व आप इसी बात से समझ सकते हैं कि वहां आदि शंकराचार्य और वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने साधना कर महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की थीं। देवी की 18 शक्तिपीठों में से एक शारदापीठ को भी माना जाता है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य जब शुरू हुआ था तो अन्य ऐतिहासिक हिंदू धर्म स्थलों के साथ ही शारदापीठ मंदिर की पवित्र मिट्टी भी निर्माण कार्य में उपयोग के लिए मंगाई गयी थी।
फिलहाल शारदापीठ मंदिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है जहां पाकिस्तानियों के अलावा चीनियों को जाने की इजाजत है। कश्मीरी पंडितों की मांग है कि शारदापीठ मंदिर की यात्रा पहले की तरह शुरू की जानी चाहिए। ऐसे में पीओके के प्रधानमंत्री का जो बयान सामने आया है वह इस उम्मीद को जगाता है कि जल्द ही करतारपुर की तरह शारदापीठ तक भी श्रद्धालु जा सकेंगे।