टीआरपी डेस्क। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस पार्टी स्पष्ट बहुमत में है। कांग्रेस को मिले इस बहुमत के साथ दक्षिण का पहला राज्य है जहां कांग्रेस ने स्वयं की बदौलत सत्ता पाई है। बता दें कि 2018 में कांग्रेस कर्नाटक में दूसरी बड़ी पार्टी थी और जेडीएस के साथ सत्ता में आई थी। मगर 2019 में ऑपरेशन लोटस की वजह से कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई थी। जिसके बाद बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी ने सरकार बनाई थी।

सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने कई स्तर पर रणनीति तैयार की। बेंगलुरु के वार रूम से लगातार इसकी मॉनिटरिंग भी की गई। आईये जानें पर्दे के पीछे से कांग्रेस के लिए काम कर रहे उन 5 नेताओं के बारे में जिन्होंने कांग्रेस को कर्नाटक का नया किंग बना दिया।

शशिकांत सेंथिल
पूर्व आईएएस अधिकारी शशिकांत सेंथिल को कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के वार रूम प्रभारी की जिम्मेदारी मिली। सेंथिल कर्नाटक कैडर के 2009 बैच के अधिकारी थे। बता दें उन्होंने 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था।

2020 में उन्होंने तमिलनाडु में प्रदेश प्रभारी दिनेश गुंडू राव के सामने कांग्रेस की सदस्यता ली थी। जुलाई 2022 में कांग्रेस ने सेंथिल को कर्नाटक चुनाव में वार रूम प्रभारी घोषित किया था। वार रूम से एक-एक सीट पर चल रहे प्रचार अभियान पर नजर और इसकी फीडबैक रिपोर्ट बड़े नेताओं को सौंपी जाती है।

44 वर्षीय सेंथिल मूल रूप से तमिलनाडु से हैं। कांग्रेस में शामिल होने के दौरान सेंथिल ने पत्रकारों को बताया था कि बीजेपी कर्नाटक में हिंदुत्व के नाम पर लोगों को बांट रही थी, इसलिए उन्होंने आईएएस की नौकरी छोड़ दी।

जी परमेश्वर
कर्नाटक में चुनाव में मेनिफेस्टो ने भी काफी सुर्खियां बटोरी। 62 पन्नों के मेनिफेस्टो में हिंदूवादी संगठन बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कही गई। जिसके चलते पूरे देश की राजनीति में हचलचल मच गई। कर्नाटक कांग्रेस का मेनिफेस्टो जी परमेश्वर के नेतृत्व में ही तैयार हुआ किया गया।

बता दें कि जी परमेश्वर कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम रह चुके हैं। कृषि विज्ञान से पीएचडी करने वाले परमेश्वर 1989 में पहली बार विधायक बने। 1992 में उन्हें कीट-रेशम विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। 1999 में उन्हें उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी भी दी जा चुकी है। कर्नाटक में इस बार परमेश्वर और उनकी टीम ने अलग-अलग क्षेत्रों के लिए भी मेनिफेस्टो तैयार किया गया।

एमबी पाटील
कांग्रेस में लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता मल्लनगौड़ा बसनगौड़ा पाटील (एमबी पाटील) कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हैं। बता दें कि पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार भी बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। शेट्टार को पार्टी में शामिल करने का काम पाटील ने ही किया था।

पाटील कर्नाटक सरकार में गृह, जल संसाधन जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 1998 से 1999 तक लोकसभा के सांसद भी रहे हैं। पाटील ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत 1991 में की थी।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले एमबी पाटील को राजनीतिक विरासत में मिली है। उनके पिता बीएम पाटील भी कर्नाटक के बड़े राजनेता थे।

सुनील कानुगोलू
सुनील कानुगोलू कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार मानें जाते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस 2022 से ही कानुगोलू और उनकी टीम को तैनात कर दिया था। उनकी टीम सर्वे तैयार करने से लेकर कैंपेन, उम्मीदवारों का चयन और जीत की रणनीति तैयार करने में प्रमुख भूमिका रही।

बता दें कि कानुगोलू डेटा का विश्लेषण कर राज्य की एक-एक सीट के लिए रणनीति तैयार करते हैं। चुनावी कैंपेन से लेकर मेनिफेस्टो तक में कानुगोलू का दखल माना जाता है। 40 साल के कानुगोलू मूल रूप से कर्नाटक के बेल्लारी जिले के रहने वाले हैं।

अमेरिका से एमबीए की पढ़ाई कर 2009 में कानुगोलू भारत लौटे थे। कुछ समय बाद वो नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ गए। यहां पर प्रशांत किशोर की टीम सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) से जुड़े। बाद में उन्हें एसोसिएशन ऑफ ब्रिलियंट माइंड्स का प्रमुख बनाया गया, जो बीजेपी के लिए रणनीति तैयार करने का काम करती है।

2022 में प्रशांत किशोर से बात नहीं जमने के बाद कांग्रेस ने कानुगोलू से संपर्क साधा। बता दें कि कानुगोलू कांग्रेस के 2024 टास्क फोर्स के मेंबर भी हैं। जो कि 2024 चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने का काम करेगी.

रणदीप सिंह सुरजेवाला
2020 में केसी वेणुगोपाल की जगह रणदीप सिंह सुरजेवाला को कांग्रेस ने कर्नाटक का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया गया। कर्नाटक में 2018 में सरकार जाने के बाद कांग्रेस के भीतर आंतरिक गुटबाजी चरम पर थी। इस दौरान सुरजेवाला ने पहले भारत जोड़ो यात्रा और फिर चुनाव में 2 बड़े गुट (सिद्धारमैया और शिवकुमार) को जोड़े रखा।

रणनीति तैयार करने के साथ ही सुरजेवाला बीजेपी पर सबसे अधिक हमलावर रहते हैं। सोशल मीडिया पर भी वे मोर्चा संभालने में पीछे नहीं रहते। चंडीगढ़ में जन्मे 55 साल के सुरजेवाला 1996 में उन्होंने कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला को नरवाना सीट से हरा दिया था।

बता दें सुरजेवाला हरियाणा विधानसभा में 4 बार विधायक रहे हैं। 2022 में कांग्रेस ने उन्हें राजस्थान से राज्यसभा में भेजा। सुरजेवाला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के साथ मीडिया के प्रभारी की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। सुरजेवाला भूपिंद्र सिंह हुड्डा कैबिनेट में ऊर्जा और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री पद पर भी काबिज रहे हैं।

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