89 वर्ष के हुए गुलजार, जन्मदिवस पर जानिए उनके कुछ रोचक किस्से…

बॉलीवुड डेस्क। मशहूर लेखक, कवी, फिल्ममेकर और शायर गुलजार का आज 89वां जन्मदिवस है। गुलजार आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है । उन्होंने हिंदी सिनेमा सहित हॉलीवुड में भी अपनी लेखनी की छाप छोड़ा है। तेरे बिना जिंदगी से शिकवा नहीं, मैंने तेरे लिए सात रंग के सपने जैसे शानदार गीत उनके शानदार कलेक्शन में से एक हैं। गुलजार को राष्ट्रीय पुरुस्कार पद्मश्री सहित 36 पुरस्कारो से नवाजा जा चुका हैं।

पिता की दूसरी पत्नी की संतान हैं गुलजार का आज के ही दिन ब्रिटिश इंडिया के झेलम जिले के दीना गांव (अब पाकिस्तान में ) में मक्खन सिंह कालरा और सुजान कौर के घर एक बेटे का जन्म हुआ। नाम रखा गया संपूर्ण सिंह कालरा, जिन्हें बाद में दुनियाभर में गुलजार के नाम से लोकप्रियता मिली। गुलजार के पिता
मक्खन सिंह ने तीन शादियां की थीं, गुलजार दूसरी पत्नी के बेटे हैं। जन्म के कुछ समय बाद ही उनकी मां का निधन हो गया था।

गुलजार पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित

गोडाउन में सोकर कई गुजारी कई रातें

दीना में उनके परिवार की कपड़े की दुकान थी। कुछ समय बाद पिता ने दिल्ली के सदर बाजार में थैले और टोपी की दुकान खोल ली। पिता के साथ गुलजार भी दिल्ली शिफ्ट हो गए। दिल्ली के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया था कि, यहां पर वो शॉप की देखरेख के लिए उसी के गोडाउन में सोते थे। फिर अगले दिन सुबह उठकर घर जाते थे और फिर वहां से स्कूल जाना होता था।

खाना खाकर वो करीब 8 बजे गोडाउन वापस चले जाते। जल्दी सोने की भी आदत नहीं थी । गुलजार ने बताया कि उस सामय लाइट की भी सुविधा नहीं थी और समय गुजारने का कोई साधन भी नहीं था। यही आपदा उनके लिए अवसर साबित हुई। गोडाउन के सामने एक बुक स्टॉल थी, जहां पर किताबें किराये पर मिलतीं। वक्त गुजारने के लिए गुलजार ने किताबें पढना शुरू किया। उन्हें क्राइम, थ्रिलर किताबों का ऐसा चस्का लगा कि वो रात-रात भर जागकर पूरी किताब पढ़ जाते।

गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर की किताबों से मिली प्रेरणा

गुलजार साहब हर रोज एक नई किताब लेने चले जाते। उनकी इस आदत से स्टॉल का मालिक भी परेशान हो गया। दरअसल, स्टॉल पर सवा आने पर हफ्ते भर किताबें पढ़ने की छूट थी। लोग अमूमन एक दो किताबें ही पढ़ते थे, लेकिन गुलजार हर रोज नई किताब लेते। उनकी इस हरकत से एक दिन तंग आकर स्टॉल के मालिक ने उन्हें रवींद्र नाथ टैगोर की किताब का उर्दू ट्रांसलेशन दे दिया। इस किताब ने गुलजार की पूरी दुनिया ही बदल दी और इसे पढ़ने के बाद ही उन्होंने लेखक बनने का मन बना लिया। किताबें पढ़ने के साथ उन्होंने लिखना भी शुरू कर दिया। किताबों की दुनिया में वो बढ़ ही रहे थे कि देश विभाजन शुरू हो गया। बंटवारे के भयानक मंजर ने उनसे बहुत कुछ छीन लिया, जिसका दर्द उनके गानों और नज्मों में साफ देखने को मिलता है। इसी वक्त वो मुंबई आकर बस गए, यहां वो अपने बड़े भाई के साथ रहते थे।

अपना खर्च निकालने के लिए गैराज में भी काम किया

बंटवारे का असर परिवार की आर्थिक हालत पर भी पड़ा। नतीजतन उन्होंने पढ़ाई छोड़ मुंबई के बायकुला के एक गैराज में काम करना शुरू कर दिया । यहां पर उनका काम एक्सीडेंट में खराब हुई गाड़ियों को पेंट करने के लिए कलर सैंपल बनाना होता था। गुजारे के लिए उन्होंने ये काम तो शुरू कर दिया था, लेकिन किताबें पढ़ने का सिलसिला जारी रहा। काम के दौरान बचे वक्त में वो किताबें पढ़ते और मन में आए ख्याल को कागज पर उतारते, जिसके नीचे लिखते – गुलजार दीनवी।

जब ये बात पिता के सामने आई कि गुलजार को लिखने का शौक है और वो इसी में फ्यूचर बनाना चाहते हैं, तब उनके पिता बेहद नाराज हुए। उन्होंने गुलजार को बहुत समझाया और कहा कि उनका भविष्य खराब हो जाएगा, लंगर में खाकर दिन गुजारे की नौबत आ जाएगी। फिर भी गुलजार ने अपना रास्ता नही बदला और शेरो-शायरी की दनिया में जमे रहे।

पहली फिल्म में कैसे मिला मौका ?

गुलजार के रूममेट देबू सेन बिमल रॉय के असिस्टेंट थे। बिमल रॉय और गुलजार की मुलाकात उन्होंने ही कराई थी। किस्सा ये है कि फिल्म बंदिनी के सभी गानों को शैलेंद्र ने लिखा था। सिर्फ एक गाना लिखने को बचा था, तभी शैलेंद्र की बिमल रॉय से अनबन हो गई और उन्होंने साथ काम करने से मना कर दिया।
फिर शैलेंद्र ने देबू सेन को सुझा कि वो गुलजार को बिमल रॉय के पास ले जाएं और उनकी जगह गाना लिखने को कहे। बात मानकर देबू सेन गुलजार को बिमल रॉय के पास ले गए। मुलाकात के बाद गुलजार ने मोरा गोरा अंग लई ले लिखा। लिखने के बाद उन्होंने ये गीत फिल्म के संगीतकार एसडी बर्मन को सौंप दिया। एसडी बर्मन ने शब्दों को राग में पिरोकर बिमल रॉय को ऐसे सुनाया कि उन्होंने झट से गाने के लिए “हां” कर दी और इस तरह से करियर का पहला गाना गुलजार की झोली में गिरा।

गलतफहमी से टूटा गुलजार और राखी का रिश्ता

गुलजार अपने इंटरव्यू में हमेशा बताते हैं कि बंगाली लोगों के व्यक्तित्व का उन पर गहरा असर पड़ा है। यही कारण है कि उन्होंने बंगाली (राखी गुलजार) से शादी कर ली। शादी से पहले गुलजार के कहने पर राखी ने उनसे वादा किया था कि वो शादी के बाद फिल्म इंडस्ट्री में काम नहीं करेंगी।

पिंकविला की रिपोर्ट्स के मुताबिक, शादी के एक साल बाद राखी ने बेटी मेघना को जन्म दिया। कुछ समय तक वो बेटी की देखभाल में व्यस्त रहीं, लेकिन फिर से उनका मन फिल्मों की तरफ खिंचने लगा। इसी दौरान यश चोपड़ा राखी के पास फिल्म कभी-कभी का ऑफर लेकर आए। फिल्म की कहानी राखी को भी पसंद आई।

इधर गुलजार फिल्म आंधी की शूटिंग में कश्मीर गए हुए थे। राखी उनसे बिना पूछे फिल्म साइन नहीं करना चाहती थीं, इसलिए कश्मीर चली गईं। फिल्म की हीरोइन सुचित्रा सेन और गुलजार की अच्छी दोस्ती थी। एक दिन शाम के वक्त फिल्म की पूरी टीम एक साथ बैठी थी। संजीव कुमार ने बहुत शराब पी रखी थी। पार्टी खत्म होने पर जैसे ही सुचित्रा रूम में जाने के लिए उठीं, संजीव ने उनका हाथ पकड़ लिया। मामला और बिगड़ ना जाए, लिहाजा गुलजार सुचित्रा को कमरे तक छोड़ने चले गए।

ये देख राखी को कुछ ठीक नहीं लगा। उन्हें शक हो गया कि गुलजार का कोई दूसरा रिश्ता है। यही बात वो गुलजार से पूछ बैठीं। राखी के इल्जाम से वो बहुत आहत हुए और उन्होंने राखी को थप्पड़ मार दिया। इस बात से दुखी होकर गुस्से में तिलमिलाई राखी ने गुलजार से पूछे बिना यश चोपड़ा की फिल्म साइन कर ली। इस घटना के बाद राखी गुलजार से अलग फॉर्म हाउस में रहने लगीं। हालांकि, उन्होंने कभी तलाक नहीं लिया। दोनों आज भी बेटी मेघना के लिए साथ हैं। हर एक फंक्शन वो साथ मिलकर सेलिब्रेट करते हैं।


गुलजार ने एक इंटरव्यू में बताया कि इतने सालों से पत्नी से अलग रहने के बावजूद वह कभी अलग नहीं हो पाए। गुलजार ने कहा था, अब भी हमारी हर 2-3 घंटे में बहस हो जाती है। मुझे लगता है कि ये ठीक भी है। वो प्यार ही क्या, जिसमें एक-दूसरे से झगड़ा न हो। राखी का जो मन होता है वो करती है। मेरा जो मन होता है, मैं करता हूं। सभी अच्छे दोस्त इसी तरह रहते हैं।

गुलजार ने एक इंटरव्यू में बताया कि इतने सालों से पत्नी से अलग रहने के बावजूद वह कभी अलग नहीं हो पाए। गुलजार ने कहा था, अब भी हमारी हर 2-3 घंटे में बहस हो जाती है। मुझे लगता है कि ये ठीक भी है। वो प्यार ही क्या, जिसमें एक-दूसरे से झगड़ा न हो। राखी का जो मन होता है वो करती है। मेरा जो मन होता है, मैं करता हूं। सभी अच्छे दोस्त इसी तरह रहते हैं।

अलगाव के बाद राखी ने स्टारडस्ट के साथ इंटरव्यू में कहा था, हम शादीशुदा कपल से ज्यादा बेहतर तरीके से रहते हैं। मैं और गुलजार हमेशा एक-दूसरे के लिए मौजूद रहते हैं। वो अभी भी मुझे अपनी पत्नी के जैसे ही ट्रीट करते हैं। वो मुझे कॉल करके कहते हैं- आज शाम को 4 दोस्त घर पर डिनर के लिए आ रहे हैं। उनके खाने के लिए घर पर अच्छा खाना नहीं है, इसलिए तुम जल्दी आ जाओ और झींगा करी बना दो।’ खीर उनको बहुत पसंद है और वो चाहते हैं कि मैं उनके लिए ये बनाऊं। आपको बता दे गुलजार असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा हैं।

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