रायपुर। प्रदेश की राजनिती में आप के दखल के बाद दोनों प्रमुख दलों के समीकरण बिगड़ते नजर आ रहे हैं। जबकि आप के संयोजक अरिवंद केजरीवाल पंजाब के सीएम भगवंत मान बिलासपुर और जगदलपुर में चुनावी सभा को लेकर पिरवतर्न यात्रा और कांग्रेस के बड़े नेताओं के समकक्ष 10 गारंटी देने की घोणणा कर भाजपा कांग्रेस के पास नया कुछ करने का मौका ही नहीं छोड़ा है।

आप 10 तो भाजपा के 21टिकट घोषणा के बाद शेष 69 टिकटों को लेकर चल रहे मंथन में 13 वतर्मान विधायकों को लेकर सबसे ज्यादा हाईकमान टेंशन में दिखाई दे रही है। वहीं कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अब तक टिकटों की घोषणा की तारीखों के आगे बढ़ाने के अलावा कोई फैसला सामने नहीं आ पाया।

71 विधायकों वाले सत्तारूढ़ कांग्रेस के रायपुर की चारों विधानसभा पर वतर्मान विधायकों की दावेदारी मजबूत होते दिखाई दे रही है। वहीं दक्षिण विधानसभा सीट से कन्हैया अग्रवाल कम अंतर से हार के कारण मजबूत दावेदार बन गए है।

वहीं उत्तर में कुलदीप जुनेजा की टिकट पैनल में फंस गई है। यहां से पैनल में 3 नाम बताएं जा रहे हैं। वहीं रायपुर ग्रामीण में सत्यनारायण शर्मा ने अपने कामकाज और हर वर्ग में मजबूत पकड़ के साथ कामकाज के आधार पर खुद चुनाव नहीं लड़ने के बजाय पुत्र पंकज शर्मा का नाम आगे बढ़ाकर पैनल में जो दो नाम है उसे पीछे छोड़ दिया है।

अब बात करते है रायपुर पिश्चम की तो यह विकास उपाध्याय के चुनाव समिती में शामिल होने के कारण पैनल में सबसे ऊपर स्थान पर है। रायपुर में केवल कुलदीप जुनेजा पैनल में नहींं फंसे हैं, कन्हैया अग्रवाल, पंकज शर्मा, पैनल में होने के बाद भी मजबूत दावा माना जा रहा है।

कांग्रेस में जहां कुछ भी असंभव की रणनीति के नजरिए से भी देखे तो चुनाव स्क्रिनिंग कमेट बृजमोहन अग्रवाल का गढ़ में ढहाने के लिएए दक्षिण में और मजबूत प्रत्याशी की तलाश करने पर भी विचार कर रही है।

जिन 31 विधायकों की रिपोर्ट कार्ड में पासिंग मार्क था उसे भी सुधारने के लिए सभी को जमीनी स्तर पर जुड़ने का मौका भी दिया गया था। टिकट घोषणा से पहले यदि रिपोर्ट कार्ड में सुधार हो जाती है तो टिकट काटने में कांग्रेस को फिर से विचार करना पड़ेगा।

एक तरफ नए युवाओं को मौका देने की बात कही जा रही है वहीं दूसरी ओर खराब रिपोर्ट वाले विधायकों को टिकट दिया गया तो समिकरण बिगड़ना तय है। वहीं भाजपा मजबूत और जिताऊ जनप्रतिनिधि की तलाश में कांग्रेस की घोषणा का इंतजार कर रही है।

परिवर्तन यात्रा हो या महिला समृद्धि सम्मेलन हो या 10 गारंटी का वादा हो नेताओ को इस बार चुनाव में जीत अर्जित करने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। पार्टी का फायदा सीधे तौर से किसी भी पार्टी को नहीं मिलेगी। उनके व्यक्तिगत संपर्क और विकास कार्य वोट का ग्राफ बढ़ा सकते हैं।

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