रायपुर। कोटा और तखतपुर यह दोनों विधानसभा जिले के महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में से माना जाता है। तखतपुर विधानसभा में लंबे अरसे के बाद कांग्रेस ने पिछले विधानसभा में फ़तह हासिल की थी। लेकिन यह जीत मामूली अंतर की जीत थी, इसलिए इस बार अगर कांग्रेस की सीटिंग एमएलए रश्मि सिंह को टिकट मिल भी जाती है तो कांग्रेस के लिए तखतपुर बचाना आसान नहीं होगा।

यहां दोनों बड़ी पार्टियों के लिए उनका चेहरा बड़ी भूमिका अदा कर सकते है। पिछले बार यहां जेसीसीजे की उपस्थिति भी शानदार थी, इसलिए यहां वोट केवल एक राजनीतिक धारा की तरफ ध्रुवीकृत होगी, यह कहना आसान नहीं है। वहीं कोटा विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार जेसीसीजे की प्रत्याशी रेणु जोगी ने त्रिकोणीय मुकाबले में शानदार वोटों से जीत हासिल की थी।

यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक मानी जाती है क्योंकि यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। पहली बार कांग्रेस पार्टी को यहां झटका लगा था। ऐसे में संभावना है कि कोटा विधानसभा क्षेत्र फिर से कांग्रेस के हाथ आ जाये । जेसीसीजे का प्रभाव कमजोर होने का फायदा सत्ताधारी कांग्रेस को मिल सकता है। इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

रहेगी कांटे की टक्कर

कुल मिलाकर बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा सीटों पर नजर दौड़ाए तो इस विधानसभा चुनाव में दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस की राजनीतिक ताकत बराबर की आंकी जा रही है। यानी न कांग्रेस 20 है ना बीजेपी 19। हालांकि कहीं बीजेपी कमजोर तो कहीं कांग्रेस की स्थिति पतली नजर आ रही है।

इस प्रकार कह सकते हैं कि यहां पर बीेजेपी कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने से दोनों में कांटे की टक्कर हो सकती है। सीएम भूपेश बघेल की सरकार में बिलासपुर जिले से कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय लीडरशिप और प्रदेश स्तरीय नेतृत्व जरूर कमजोर देखने को मिल रहा है।

आने वाले दिनों में जिले से नेतृत्व का विस्तार इस बात पर निर्भर करता है कि प्रदेश में किसकी सरकार बनती है। अगर कांग्रेस जिले में बेहतर प्रदर्शन करती है तो संभावना है कि बिलासपुर जिले को राज्य या केंद्र में नेतृत्व का अवसर मिले। यदि प्रदेश में बीजेपी की सरकार आती है, तो बिलासपुर से केंद्र या राज्य में बीजेपी को नेतृत्व मिले इसकी संभावना अधिक दिख रही है।

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