बलरामपुर: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से एक सीट है सामरी विधानसभा सीट. सामरी विधानसभा में वन संपदा भरपूर है. चारों तरफ घने जंगलों से ये घिरा हुआ है. ये क्षेत्र झारखंड की सीमा से लगा हुआ है. यहां बाक्साइट की खदानें है. राज्य को राजस्व देने वाला यह विधानसभा क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. ये पूरा क्षेत्र नक्सल प्रभावित है. यहां करीब 60-65 फीसद अनुसूचित जनजाति की आबादी है. इनमें गोंड, कंवर, उरांव और खैरवार जनजाति के सर्वाधिक मतदाता हैं.]

सामरी विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या:

सामरी विधानसभा सीट पर 197591 हैं. इनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 98626 से है. वहीं, महिला मतदाताओं की संख्या 98965 है. यानी कि इस सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के मुकाबले अधिक है.

सामरी विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्यासामरी विधानसभा सीट के मुद्दे और समस्याएं:

यह सीट अविभाजित मध्यप्रदेश में भी थी. सालों बीतने के बावजूद सामरी में कई सुविधाओं का अभाव है. उस कमी को पूरा करने की मांग यहां की जनता सालों से करती आ रही है. यहां रोजगार की समस्या प्रमुख मुद्दा है. उद्योग धंधे न होने के कारण यहां के स्थानीय युवा बेरोजगार हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की हालत जर्जर है. कई गांव के लोग रेल विस्तार की मांग कर रहे हैं. हाथियों के उत्पात से लोग पीड़ित हैं. इस सीट पर सरकारी योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती है. योजनाएं महज कागजों तक ही सीमित है.

सामरी विधानसभा सीट के मुख्य मुद्दे और समस्याएं 2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर:

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सामरी विधानसभा सीट पर 82.31 फीसदी वोटिंग हुई. इसमें कांग्रेस को 49.51 फीसदी, भाजपा को 36.05 फीसदी वोट मिले थे. सामरी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चिंतामणि महाराज ने 80620 वोटों से जीत हासिल की थी. भाजपा प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को 58697 वोट मिले थे. 2018छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में सामरी का नतीजासामरी विधानसभा सीट पर कौन तय करता है जीत और हार: सामरी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यहां करीब 65-70 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. इनमें गोंड, कंवर, उरांव और खैरवार जनजाति के लोग अधिक हैं. यहां पहाड़ी कोरवा, कोड़ा, कोरिया पंडो, उरांव, नगेसिया, भुईहर जनजाति के लोग रहते हैं. यहां करीब 25-30 फीसद आबादी ओबीसी और सामान्य लोगों की है. इस सीट पर कंवर जनजाति के उम्मीदवारों पर ही कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों का फोकस रहता है.

कंवर जनजाति के उम्मीदवार ही यहां से जीत हासिल करते रहे हैं. साल 2003 और 2008 में यहां से भाजपा के टिकट पर सिद्धनाथ पैकरा चुनाव जीतकर विधायक बने. साल 2013 में कांग्रेस से डॉक्टर प्रीतम राम ने जीत हासिल की. वहीं, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चिंतामणि महाराज विधायक बने.

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