0 करोड़ों खर्च करने के बाद छग में बचा एक राजकीय वन भैंसा, वो भी नेत्रहीन और असक्त : बाकी सब निकले मिक्स ब्रीड

रायपुर। वन विभाग दावा करता रहा है कि छत्तीसगढ़ में 8 वन भैंसे हैं, छ: उदंती सीतानदी के बाड़े में, एक उदंती सीतानदी के जंगल में स्वतंत्र विचरण कर रहा है और एक जंगल सफारी में है, परन्तु डिप्टी डायरेक्टर, उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के पत्र ने वन विभाग की पोल खोल दी है। अब यह अधिकारिक तौर पर तय हो गया है कि छत्तीसगढ़ में शुद्ध नस्ल का सिर्फ एक राजकीय वन भैंसा बचा है।

जू अथॉरिटी के पत्र को लेकर उलझ गया वन विभाग

दरअसल वन विभाग ने असम से लाकर बार नवापारा में रखी गईं पांच मादा वन भैसों से, छत्तीसगढ़ के सात नर वन भैसों द्वारा प्रजनन कराने का ब्रीडिंग प्लान बना कर सेन्ट्रल जू अथॉरिटी को भेजा, साथ ही छत्तीसगढ़ के वन भैसों के नामों की सूची भी भेजी। जिसके जवाब में जू अथॉरिटी ने कहा कि जो नाम भेजे हैं उनमे ‘सिर्फ छोटू वन भैंसा ही शुद्ध नस्ल का है’, बाकी सब हाइब्रिड हैं, इनसे प्रजनन नहीं कराया जा सकता, अथॉरिटी के नियम इसकी अनुमति नहीं देते।

0 असम से लाये गए वन भैंसे

जीव दया जागी अधिकारी के मन में…

जू अथॉरिटी की आपत्ति के बाद वन्य जीवों को आजीवन बंधक बनाने की मानसिकता रखने वाले वन विभाग में अचानक जीव दया जाग गई। 10 अगस्त 2023 से उदंती सीतानदी में बाड़े में बंद हाइब्रिड भैंसों को फूड सप्लीमेंट (दलिया, मक्का, विटामिन सप्लीमेंट) देना बंद कर दिया गया। खाना देना बंद करने के 21 दिन बाद डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखा कि भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखे, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे। डिप्टी डायरेक्टर ने लिखा कि संविधान के अनुसार राज्य का भी कर्तव्य है कि राज्य पर्यावरण रक्षा और सुधार करने तथा देश के सभी वनों और वन्य जीवों की सुरक्षा करने का प्रयास करेगा। डिप्टी डायरेक्टर ने जू अथॉरिटी की आपत्ति का हवाला देकर लिखा कि समस्त हाइब्रिड भैसों को स्वतंत्र विचरण हेतु छोड़ा जाना उचित होगा।

चिट्ठी लिखी और भागने लगे हाइब्रिड भैंसे

डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन ने एक सितम्बर को लिखे अपने पत्र में उल्लेख किया था कि वन भैंसों को 10 अगस्त से फूड सप्लीमेंट देना बंद कर दिया गया है। वरुण जैन के पत्र लिखने के 3 दिन बाद और
खाना देना बंद करने के 23 दिन बाद 3 सितम्बर की रात भूख के कारण 11 हाइब्रिड वन भैंसे बाड़ा तोड़ कर भाग गए, उसके बाद 24 सितम्बर की रात 5 और 17 अक्टूबर को 2, कुल 18 वन भैंसा जंगल भाग गए।

अब यह शोध का विषय है कि हाईब्रीड भैंसे भाग गए या फिर वन अमले द्वारा उन्हें भगा दिया गया।

अब बाड़े में बचे भैंसों का हाल जानिए…

बाड़े में एक मात्र बचा शुद्ध नस्ल का छोटू वन भैंसा, 23 वर्ष का उम्र दराज वन भैंसा है, बाड़े में वीरा नामक वन भैंसा से हुई लड़ाई के दौरान उसकी दोनों आंखें खराब हो गई, वह लगभग अंधा है। बताया जाता है कि बाड़े में लगे लोहे के बाहर निकले टुकड़ों से टकरा कर उसकी आखें खराब हो गई।

0 शुद्ध नस्ल का छोटू वन भैंसा

दूसरा भैंस प्रिंस हाइब्रिड है और पूर्णत: अंधा है। बताया जाता है, वह स्वछंद विचरण करता था परन्तु अज्ञात कारणों से उसकी दोनों आंख खराब हो गई, उसे अलग बाड़े में रखा गया है।

एक अन्य हाइब्रिड आनंद बीमार है। आनंद की वीरा से लड़ाई के दौरान दोनों सिंग ऊपर से टूट गए थे। आज से तीन माह पूर्व उसमें पस भर गया था, उसके बाद उसे और कोई डॉक्टर देखने नहीं गया।

0 बीमार आनंद, जिसके दोनों सींग टूटे हुए हैं

सिंघवी ने वन अमले को दी बधाई

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने उदंती सीतानदी में जीव दया दिखा कर वन भैंसों को बाड़ा तोड़कर भाग जाने को मजबूर करने पर और जाने देने के लिए वन विभाग को बधाई दी है। उन्होंने चर्चा में बताया कि कुछ साल पहले ग्रामीणों से रम्भा और मेनका नामक हाइब्रिड भैंसों को असली ब्रीड का समझ कर वन अमले ने उदंती में लाकर बाड़े में डाल दिया, उन दोनों का परिवार बढ़ गया और अब सब जंगल में भाग गए। पछले 3 महीने से वे जंगल में स्वच्छंद और स्वतंत्र घूम रहे हैं।

किसे कहा जाता है हाईब्रीड वन भैंसा..?

दरअसल हम आम इस्तेमाल में आने वाली सब्जियों को देसी और हाइब्रिड के रूप में जानते हैं, उसी तरह वन भैंसे या अन्य जानवरों में अलग-अलग नस्ल के बीच क्रॉस के बाद पैदा होने वाले नस्ल को हाईब्रीड कहा जाता है। उदंती में जो हाईब्रीड भैंसे हैं, वे असली वन भैंसे और सामान्य पालतू भैंसों के बीच क्रॉस से पैदा हुए नस्ल के हैं। जिन्हें असली बताकर वन अमला उनके लालन-पालन में करोड़ों रूपये खर्च करता रहा। और अब जब सेन्ट्रल जू अथॉरिटी ने हाईब्रीड भैंसों को प्रजनन की योजना से बाहर करने का आदेश दिया तब वन विभाग के मन में जीव दया जाग गई। जो काम सालों पहले कर लेना था वह अब करना पड़ा।

महाराष्ट्र के इस रिजर्व में हैं शुद्ध नस्ल के वन भैंसे

नितिन सिंघवी बताते हैं कि अब सेंट्रल इंडिया में शुद्ध नस्ल के कुछ ही वन भैंसे स्वतंत्र विचरण करने वाले बचे हैं, जो कि अधिकतर समय महाराष्ट्र के गढ़चिरोली के कोलामारका कंजर्वेशन रिजर्व में रहते हैं, कभी-कभी इंद्रावती नदी पार करके वह छत्तीसगढ़ में आ जाते हैं। और यहां का वन विभाग दावा करता है कि वह छत्तीसगढ़ के हैं।