रायपुर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने वन विभाग के साथ मिलकर वन चेतना केंद्र, कोडर डैम, महासमुंद, छत्तीसगढ़ में आर्द्र भूमि दिवस के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व आर्द्र भूमि दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में महासमुंद के विभिन्न संस्थानों के लगभग 250 छात्रों ने भाग लिया। इसमें प्रख्यात वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और सिविल सेवकों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महासमुंद जिला पंचायत के सीईओ एस. आलोक (आई.ए.एस) थे। अन्य अतिथियों में छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य प्रोफेसर एमएल नाइक, पंकज राजपूत (आई.एफ.एस), डीएफओ, महासमुंद एवं कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर उपस्थित थे।

महासमुंद के डीएफओ पंकज राजपूत (आई.एफ.एस) द्वारा युवा शिक्षार्थियों को आर्द्रभूमि और उनके महत्व से परिचित कराया गया। उन्होंने प्रतिभागियों का ध्यान घटते जल भंडार के मुद्दे की ओर आकर्षित किया और बताया कि इसका प्रभाव हमारे ग्रामीण क्षेत्रों पर कितना बुरा पड़ रहा है। उन्होंने आर्द्रभूमियों को न केवल एक संसाधन के रूप में बल्कि एक जीवन-सहायक इकाई के रूप में देखने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एस. आलोक ने पानी के महत्व और इस मूल्यवान संसाधन के संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में आर्द्रभूमियों के महत्व और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर भी जोर दिया। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद् प्रोफेसर एमएल नाइक ने जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन और टिकाऊ उपयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में आर्द्रभूमि द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी।

कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने प्रतिभागियों को जल संसाधनों को सांस्कृतिक पहलू से देखने और उनके स्थायी उपयोग की दिशा में प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
यू.आर. बसंत (राज्य वन सेवा), एस.डी.ओ वन, पिथौरा, ए.डब्ल्यू. खान (एस.एफ.एस.), एस.डी.ओ महासमुंद, एवं महासमुंद के रेंज अधिकारी टी.आर. सिन्हा भी उपस्थित थे और कार्यक्रम के सुचारू संचालन में सहायता की।

इस आयोजन में उन प्रतियोगिताओं की श्रृंखला का समापन भी शामिल था, जो पहले ब्लॉक स्तर पर आयोजित की गई थीं और इसमें महासमुंद के कई स्कूलों के 600 से अधिक छात्रों ने भाग लिया था। दो स्तरों – हाई स्कूल और विश्वविद्यालय में अंतिम जिला-स्तरीय भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें प्रतिभाशाली युवा दिमागों ने पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ खराब पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए अपने जुनून को साझा किया। इसके बाद एक स्लोगन प्रतियोगिता हुई, जिसमें युवाओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। प्रतिभागियों की प्रशंसा के लिए पहले से संपन्न प्रतियोगिताओं में से सर्वश्रेष्ठ आंकी गई पेंटिंग्स को प्रदर्शन पर रखा गया।

इनके साथ ही नया रायपुर स्थित कलिंगा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा भी स्वच्छता अभियान चलाया गया। उल्लेखनीय है कि वर्तमान अभियान में छात्रों द्वारा एकत्र किए गए 50 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे की मात्रा पिछले वर्ष के स्वच्छता अभियान में एकत्र किए गए लगभग 300 किलोग्राम कचरे से काफी कम थी। यह स्वच्छता सुनिश्चित करने में वन प्रभाग कार्यालय द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित करता है और पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को साबित करता है।

कार्यक्रम का समापन अतिथियों द्वारा विजेताओं के अभिनंदन और इस आशा के साथ हुआ कि युवा प्रतिभाशाली दिमाग सुंदरता के साथ-साथ स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व की सराहना करेंगे और उनके संरक्षण और बहाली के प्रति सचेत प्रयास करेंगे।